नजारे दुनिया के

  • SocialTwist Tell-a-Friend

पांच महीने बाद निकला तो सूरज
लगभग आधे साल तक सूरज के दर्शन ही न हों, सुनने में लगता तो बड़ा अजीब है, लेकिन यह हमारी प्रकृति की कलाकारी है। उत्तरी ध्रुव से छह सौ मील दूर लांगईयरबायन द्वीप के लगभग दो हजार बाशिंदों ने गत वर्ष अक्टूबर के बाद पहली बार इस साल 8 मार्च को सूरज के दर्शन किए। जाहिर है, बाकी दुनिया के लिए सूरज का उगना और डूबना भले ही रोजमर्रा का किस्सा हो, नार्वे के इस सुदूरवर्ती इलाके के लिए यह नए उत्साह से भरा दिन था। सूरज का उगना इस इलाके को न केवल उष्मा और उजाला देता है, बल्कि यहां के जीवन को फिर रंगीन भी बना देता है। कई महीनों के किसी फिल्म के नेगेटिव जैसे रंग अचानक सजीव हो उठते हैं-बर्फ की वही सफेदी, पानी का वही नीलापन, फूलों का वही चटखीलापन, सब लौट आता है। यह जगह लगभग एक सदी पहले बसी थी जब एक अमेरिकी ने इसे खोज निकाला था। उसी के नाम पर इसे लांगईयरबायन कहा जाने लगा। बाद में यहां कोयले का खनन होने लगा। मध्य नवंबर से लेकर जनवरी तक यहां पूरा अंधेरा होता है। नवंबर के शुरू के दिनों में और फरवरी में यहां दिन में थोड़ी रोशनी होती है। मार्च में सूरज की आहट हर आने वाले दिन को बीस मिनट लंबा कर देती है। बस मार्च भर में यहां का जनजीवन बाकी दुनिया जैसा होता है-रात और दिन। अप्रैल से सितंबर तक यहां फिर दिन ही दिन होता है-रोशनी ही रोशनी। अंधेरे के दिन जिंदगी के ठहराव के होते हैं जो रोशनी के आते ही व्यस्तता में बदल जाते हैं। हम लोगों के लिए कल्पना भी मुश्किल है कि कैसे जीवन-चक्र बदल जाता है यहां। खानें अब भी चल रही हैं लेकिन सैलानी भी यहां खूब आते हैं। पर्यटन यहां का मुख्य व्यवसाय हो गया है। यहां की खास प्रकृति के चलते दुनिया भर के वैज्ञानिक भी यहां अड्डा जमाए रहते हैं। यहां हवाईअड्डा भी है और विश्वविद्यालय भी। ठहरने के लिए बढि़या से बढि़या होटल भी मिल जाएंगे और कैंपिंग साइट भी। बस आपका इंतजार है।

29yatrap4a08चढ़ा आस्ट्रेलिया का प्रेम
भारत-आस्ट्रेलिया के रिश्तों में नई गरमी आ रही है। जी नहीं, हम यहां क्रिकेट की नहीं बल्कि पर्यटन की बात कर रहे हैं। लेकिन यह बात सही है कि भारतीय क्रिकेट टीम की ही तरह भारतीय सैलानियों को भी आस्ट्रेलिया रास आने लगा है। अभी आस्ट्रेलिया जाने वाले कुल भारतीयों की संख्या लगभग एक लाख है जिसे 2010 तक डेढ़ लाख करने का लक्ष्य आस्ट्रेलियाई पर्यटन का है। खास बात यह है कि आस्ट्रेलिया जाने वाले भारतीयों में बड़ी संख्या (61 फीसदी) उनकी है जो पहली बार आस्ट्रेलिया गए हैं। खर्च करने में भी भारतीय किसी से कम नही हैं। आस्ट्रेलिया की खूबसूरती तो लाजवाब है ही, वहां की प्रकृति में भी भारत जैसी ही विविधता है। वहां जाने वाले भारतीय लोगों को बाहर खाना-पीना, समुद्र तटों पर मौज-मस्ती करना, वाइल्डलाइफ पार्क, जू, एक्वेरियम, बोटोनिकल पार्क व थीम पार्क जाना, बोट, फेरी व क्रूज का आनंद लेना और पब, क्लब व डिस्को में धूम मचाना बहुत पसंद आता है।

VN:F [1.9.1_1087]
Rating: 0.0/10 (0 votes cast)



Leave a Reply

    * Following fields are required

    उत्तर दर्ज करें

     (To type in english, unckeck the checkbox.)

आपके आस-पास

Jagran Yatra