मलयेशिया: कुदरत और मानव के करिश्मे का अनोखा संगम

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रनियो प्रायद्वीप में सबा और सरवाक जैसे सुंदर राज्यों से मिलकर बना ‘मलयेशिया गणराज्य’ अपने आप में प्राकृतिक रूप से एक सुंदर देश है। दक्षिणी चीनी सागर से सटकर फैला यह प्रायद्वीप देश 7 डिग्री उत्तर देशांतर रेखा पर स्थित है। उत्तर में इस प्रायद्वीप की सीमा थाईलैंड से जुड़ती है जबकि दक्षिण में सिंगापुर इसका पड़ोसी है। मलयेशिया को पर्यटन के हिसाब से 15 हिस्सों में बांटा जा सकता है जिनमें कुआलालंपुर, पेरिल, केद्दाह, पेनांग, पेराक, सेलानगोर, नेगरी सेंबीलान, मेलाका, जोहर, पहंग, तेरेनगानु, केलांतन, सरवाक, सबह, लाबुआन आदि प्रमुख हैं।

कहां से शुरू करें

चूंकि मलयेशिया में आने का सर्वाधिक सुगम रास्ता कुआलालंपुर है, सो मलयेशिया भ्रमण का आरंभ यहीं से किया जा सकता है जहां दुनिया की सबसे ऊंची इमारत पेट्रोनास ट्विन टावर स्थित है। 452 मीटर ऊंचे इस टावर पर दो समानांतर इमारतें हैं और ये बीच में एक पुल से जुड़ी हुई हैं। ऊंचाई के मामले में इसने अमेरिका के एंपायर इस्टेट बिल्डिंग को बहुत पीछे छोड़ दिया है। गोलाकार सिलिंडर के रूप में आकाश को छूते इस टावर पर आमतौर पर मलयेशियाई गर्व करते हैं। विश्व भर के लोग इसे देखने के लिए आते हैं। इसकी ऊपर की मंजिलों से आप पूरे कुआलालंपुर का भव्य नजारा देख सकते हैं। इन टावरों में प्रत्येक में 88 से अधिक मंजिलें हैं। पर ऐसा नहीं है कि यही एक गगनचुंबी इमारत यहां का आकर्षण है। इसके साथ ही यहां आकाश से बातें करती एक और इमारत लोगों को अपनी ओर बरबस खींचती है। यह है- मीनारे कुआलालंपुर। इस मीनार से आप ट्विन टावर की भव्यता को बारीकी से निहार सकते हैं। इस मीनार की कुल ऊंचाई 276 मीटर है। पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यह और भी ऊंची दिखती है। वैसे भी यह दुनिया की चौथी सबसे ऊंची इमारत है। पूरे कुआलालंपुर शहर को आप यहां से रात के समय देखें तो यह और भी खूबसूरत नजर आता है। इसके अतिरिक्त कुआलालंपुर की सुल्तान अब्दुल समद बिल्डिंग, नेशनल म्यूजियम, नेशनल थियेटर, विदेशी दासता से मुक्ति का प्रतीक नेशनल स्मारक और भव्य रेलवे स्टेशन भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। शहर में आप खरीदारी के साथ ही गोल्फ का आनंद भी ले सकते हैं। कुआलालंपुर में एक दर्जन से भी ज्यादा गोल्फ कोर्स हैं। खासतौर पर यहां आप रात्रिकालीन गोल्फ का आनंद उठा सकते हैं जो दुनिया के बहुत कम शहरों में उपलब्ध है।

कुआलालंपुर से आप पेरिल जा सकते हैं जहां सौंदर्य से भरपूर प्राकृतिक स्थलों की भरमार है। मलयेशिया के सबसे छोटे प्रांत पेरिल में आप गुआ केलम गुफा के भीतर जा सकते हैं और वहां के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। पेरिल से आप केदाह जा सकते हैं जहां का प्रमुख पर्यटन स्थल लंकावी है। लंकावी 99 द्वीपों का समूह है और हर द्वीप की अपनी खासियत है।

sak275लंकावी में ईगल स्क्वायर देखने लायक है। समुद्र तट पर बाज की विशाल प्रतिमूर्ति वाला यह स्क्वायर यहां के समुद्र तट को एक नया आयाम देता है। लंकावी एक मुक्त द्वीप समूह है जहां आप स्वछंद खरीदारी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त केदाह में आप दूसरे अन्य खूबसूरत समुद्री तटों का आनंद भी उठा सकते हैं। केदाह के अन्य आकर्षणों में पूरी तरह लकड़ी से तैयार बलाई बेसार, जहीर मसजिद और रॉयल म्यूजियम भी शामिल हैं। इसके साथ ही यहां आप पलाऊ सिंगा बेसार अभ्यारण्य में वन्य जीवों को देख सकते हैं।

केदाह के बाद पेनांग की यात्रा कर सकते हैं जहां समुद्र में निर्मित पेनांग ब्रिज की खूबसूरती को आप देखते रह जाएंगे। यह प्रांत पूरब और पश्चिम का अद्भुत संगम है। यहां खू कोंगसी, कैपितान केलिंग मसजिद, श्री मरीमन मंदिर, पेनांग हिल, केक लोक सी मंदिर, स्नेक  टेंपल, पेनांग पक्षी विहार एवं कार्नवालिस महल देखने जाना एक आनंददायक अनुभव है। पेनांग में बौद्धों का चैया मंगकलरम मंदिर है जिसमें दुनिया की विशालतम प्रतिमाओं में से एक बुद्ध की मूर्ति है जिसे देखना नहीं भूलना चाहिए। पेनांग के आकर्षक समुद्र तटों पर तरह-तरह के खेलों का आनंद भी ले सकते हैं। यहां द्वीपों से मुख्य भूमि तक जाने के लिए फेरी की यात्रा भी अपने आप में काफी रोमांचक है और फेरी से प्रकृति के नजारों को निहारना भी आनंददायक है। पूरे पेनांग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिजा‌र्ट्स की भरमार है। पेनांग हिल जाने के लिए टूरिस्ट ट्रेन से सफर का अपना ही मजा है। यह ट्रेन पेनांग की खूबसूरत पहाडि़यों के बीच से गुजरती है।

पेनांग से आगे

पेनांग से पेराक जाया जा सकता है जहां अबुदिया मसजिद, इस्कंद्रिया महल दर्शनीय स्थान हैं। पेराक टीन के खनन के लिए प्रसिद्ध है और यहां का छीन म्यूजियम, छीन के इतिहास की दास्तां बयां करता है। पेराक में पंगकोर लॉट रिजार्ट ठहरने का अच्छा स्थान है। और प्रांतों की तरह ही यहां भी खूबसूरत समुद्र तट हैं। कुआलालंपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेगेरी सेंबीलान अपने पोर्ट डिक्सन तट के लिए मशहूर है जहां से सूर्यास्त का नयनाभिराम दृश्य देखा जा सकता है। यहां आमतौर पर कुआलालंपुर और सिंगापुर के लोग अपनी छुट्टियां बिताने और मस्ती करने के लिए आते हैं।

मेलाका मलयेशिया के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विख्यात है जहां आपको मलय संस्कृति के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि सुमात्रा के राजकुमार परमेश्वर ने इसकी स्थापना सन् 1400 में की और तभी मलयेशिया अस्तित्व में आया। बाद में यह मेलाका सल्तनत के दौरान फूला-फला और यहां चीन, भारत, अरब एवं यूरोप के लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। 1511 में इस पर सबसे पहले पुर्तगालियों ने कब्जा किया और उसके बाद इस पर डच और ब्रिटिश शासन रहा। यही कारण है कि यहां के आकर्षणों में विविधता है। मेलाका के घूमने और देखने लायक स्थानों में समुद्री तटों के अतिरिक्त सेंट पाल चर्च, सेंट जान फोर्ट, कल्चरल म्यूजियम और फमोआ किला प्रमुख है।

मेलाका से आगे जोहर आता है जो सड़क और रेल मार्ग से सिंगापुर से जुड़ा हुआ है। सिंगापुर से इसके जुड़े होने से इसकी अहमियत में और इजाफा किया है, जहां से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। लंबे समुद्र तट के कारण यह सिंगापुर से लेकर चीन तक को जोड़ता-सा दिखता है। जोहर मुख्य रूप से अपने प्राकृतिक दृश्यों के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इसके अतिरिक्त जोहर में आप रॉयल म्यूजियम, सुल्तान अबू बकर मसजिद, द ग्रैंड पैलेस और द जोहर आर्ट गैलरी देख सकते हैं। जोहर के उत्तर में 56 किमी. की दूरी पर प्रसिद्ध कोटा ¨टगी जलप्रपात है। यहां आप पाम के पेड़ों और कॉफी की खेती को नजदीक से कहीं भी देख सकते हैं। यहां पूरे साल समुद्री भोजन का आनंद लिया जा सकता है।

जोहर से आगे पहंग है जो मलयेशिया का सबसे बड़ा प्रांत है। यह घने जंगलों से आच्छादित प्रांत है और यहां पर आप 13 करोड़ वर्ष पुराने जंगलों को देख सकते हैं। इन जंगलों में तिमान निगारा नेशनल पार्क पर्यटन की दृष्टि से सबसे आकर्षक है। इस पार्क में दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे हैं। जंगलों में बारिश और रात के समय वन्य जीवन देखने के लिए अलग-अलग स्थल बनाए गए हैं जो सुरक्षित हैं और पूरी तरह से आपको जंगल का असली दृश्य दिखाते हैं। यहां आप राफ्ंिटग, ट्रेकिंग और फिशिंग का आनंद भी ले सकते हैं।

मलयेशिया के दूसरे प्रांतों और स्थलों की ही तरह आप तेरंगनु में भी समुद्री खेलों का आनंद ले सकते हैं। यहां आपको 2.5 मीटर लंबे और 375 किलोग्राम वजन तक के कछुओं के दर्शन हो सकते हैं। ये कछुए तटों पर अंडे देते हुए भी देखे जा सकते हैं। तेरंगनु में एक और आकर्षण तैरती मसजिद का है। कुआला इबाई स्थित यह मसजिद एक अद्भुत नजारा पेश करती है।

खूबसूरत सैरगाह: सरवाक

मलेशिया के बड़े प्रांतों में शामिल सरवाक पर्यटकों के लिए एक सुंदर जगह है। यहां घने जंगलों के साथ ही ऊंचे और खूबसूरत पहाड़ हैं तो आश्चर्यचकित कर देने वाली गुफाएं भी हैं। इन गुफाओं में नियाह और मुलु गुफाएं भी शामिल हैं जिनका वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं है। इसी तरह सरवाक चैम्बर गुफा के बारे में कहा जाता है कि इस गुफा में एक साथ 40 बोइंग 747 विमान समा सकते हैं। इसी से यहां की गुफाओं की भव्यता के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। क्लियर वॉटर और डियर गुफा भी देखने लायक है। यहां दर्जन भर से भी ज्यादा म्यूजियम हैं जो अलग-अलग संस्कृतियों के दर्शन कराते हैं। मार्गरिता महल भी यहां के दर्शनीय स्थानों में से एक है। सरवाक के बाद सबह की यात्रा की यात्रा की जा सकती है जहां दुनिया का सबसे बड़ा फूल रफलेशिया पाया जाता है। इसके लिए आपको रहमान पार्क से होते हुए किनाबालू पार्क और किनाबालू पहाड़ी जाना होगा। 4095 मीटर ऊंची इस पहाड़ी की चढ़ाई कठिन नहीं है। पहाड़ी की चोटी से आप आसपास के सुंदर दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं। यहां पर वन्य जीवों के दर्शन भी कर सकते हैं। खासतौर पर यहां पाए जाने वाले विशेष प्रजाति के बंदर और बादलों (क्लाउड लेपर्ड) वाला तेंदुआ अलग ही आकर्षण हैं। सुबह समुद्री जीव-जंतुओं को भी आप समुद्र के भीतर देख सकते हैं और सतह पर वाटर  राफ्टिंग का मजा ले सकते हैं। मलयेशिया की यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में आप लबुआन जा सकते हैं जो एक व्यावसायिक स्थल है। आप यहां से अच्छी खरीदारी कर सकते हैं। यहां ठहरने के लिये अच्छे होटल और मनबहलाव के लिए गोल्फ कोर्स आदि हैं।

हवाई मार्ग मलयेशिया पहुंचने का सबसे सरल तरीका है। यह हवाई यात्रा आपको सीधे कुआलालंपुर से 50 किमी दूरी पर सेपंग में स्थित केएल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंचा देती है। समुद्री रास्ते से कुआलालंपुर पहुंचने के लिए आपको कुआलालांपुर से 50 किमी दूर कलांग पोर्ट पर उतना पड़ेगा। मलयेशिया सिंगापुर के रास्ते ट्रेन व सड़क मार्ग से भी जाया जा सकता है।

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