स्वीकारें पूरब के गौरव उड़ीसा का नेह निमंत्रण

  • SocialTwist Tell-a-Friend

बंगाल की खाड़ी की अपार जलराशि और दूर-दूर तक फैले ईस्टर्न घाट के जंगलों की हरियाली से सुसज्जित पर्वतश्रृंखलाओं के बीच स्थित है उड़ीसा की मनोरम भूमि। मन मोह लेने वाली सांस्कृतिक विशिष्टताएं, पहाड़ और जंगल, स्वच्छ और शांत गांव तथा 482 किलोमीटर लंबी समुद्रतट रेखा कुल मिलाकर इसे पर्यटन की दृष्टि से एक मुकम्मिल जगह बनाते हैं। चाहे आप कलाप्रेमी हों, या प्रकृतिप्रेमी, वन्य जीवन के प्रति बेहद जिज्ञासु हों या फिर पक्षियों के अध्ययन में रुचिशील, मनुष्य के सामाजिक व्यवहार के अध्येता हों या फिर गंभीर समाजशास्त्री, कंप्यूटर के अभ्यस्त उद्योगपति हों या फिर मौज-मस्ती की तलाश में निकले पर्यटक, उड़ीसा में आपकी हर जरूरत के अनुसार पर्यटन स्थल और सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां आप अपनी इच्छानुसार जगह चुन सकते हैं।

तमाम तरह की आकर्षक जगहों से भरपूर उड़ीसा में हर शख्स के लिए उसकी मनचाही चीजें हैं। जब भी आप यहां आने का मन बनाएं अपनी सुविधानुसार घूमने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की योजना भी जरूर तैयार कर लें। घूमने के लिए यहां आपको सैकड़ों जगहें मिलेंगी। इनमें भी कुछ खास जगहें ऐसी हैं जहां उड़ीसा आने वाला हर शख्स जाना ही चाहता है।

भुवनेश्वर

ऐसी ही अत्यंत लोकप्रिय जगहों में एक है भुवनेश्वर। राज्य की राजधानी होने के कारण यह बाहर से आने वाले लोगों के लिए उड़ीसा दर्शन का केंद्रीय बिंदु तो है ही, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। छठवीं-सातवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी तक के बीच बने 500 मंदिर यहां मौजूद हैं। इसके पास ही स्थित खंडगिरि और उदयगिरि में दूसरी से पहली शताब्दी ईसा पूर्व के बीच चट्टानों को काट कर बनाई गई गुफाएं हैं। यहां के रीजनल प्लांट रिसोर्स सेंटर में स्थित बाग में आप कई तरह के कैक्टस देख सकते हैं। नंदन कानन में सफेद बाघ देख सकते हैं तो धौली में शांति स्तूप। अनूठा योगिनी स्मारक हीरापुर में देखा जा सकता है। इसके अलावा राज्य के गौरवशाली अतीत के तमाम प्रमाणों को अपने में समेटे उड़ीसा का राजकीय संग्रहालय भी इस शहर का महत्वपूर्ण स्थल है।

कोणार्क

भुवनेश्वर से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शहर सूर्य मंदिर के लिए विश्वविख्यात है। पत्थरों पर उकेरी गई यह कविता सदियों से भारतीय वास्तुशिल्प का उत्कृष्टतम नमूना बनी हुई है। तेरहवीं शताब्दी में बना भगवान सूर्य का यह मंदिर एक रथ के रूप में है, जिसमें लगे 24 पहिये वास्तुशिल्प के आश्चर्य कहे जाते हैं। मंदिर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर चंद्रभागा नदी और समुद्र का संगम स्थल एक नयनाभिराम दृश्य उपस्थित करते हैं। कोणार्क से पुरी तक जाने के लिए समुद्रतट के किनारे-किनारे एक सड़क भी बनी है और इस पर यात्रा आपके लिए रोचक अनुभव हो सकती है।

पुरी

यह शहर भी बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा हुआ है और यह दुनिया के सबसे सुंदर समुद्रतटों में एक है। भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी यहीं है और इसीलिए इसकी गिनती देश के चार पवित्रतम धामों में की जाती है। बारहवीं शताब्दी में बना 65 मीटर ऊंचा यह मंदिर वास्तु की कलिंग शैली का एक बेजोड़ उदाहरण है। यहां हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकाली जाती है और इसमें शामिल होने लाखों लोग आते हैं।

चिल्का

एशिया में खारे पानी की सबसे बड़ी झील चिल्का है। वैसे इसे पक्षीप्रेमियों का स्वर्ग भी कहा जा सकता है। पक्षियों की डेढ़ सौ प्रजातियों के अलावा यहां खिलंदड़ डॉल्फिन, कई तरह के कीट, उभयचर और जड़ी-बूटियों के पौधे भी देखे जा सकते हैं। हरे-भरे पहाड़ों के बीच जल के नीले विस्तार को उसमें बसे छोटे-छोटे द्वीपों का शांत वातावरण और भी सुंदर बना देता है।

गोपालपुर

अपनी खास तरह की सुनहरी रेत के कारण यह देश के सर्वाधिक लोकप्रिय समुद्रतटों में एक है। अगर आप भीड़ भरे शहर की आपाधापी से ऊबे हुए हों तो बरहामपुर शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित इस जगह पर छुट्टियां बिताना आपके लिए सबसे प्रीतिकर अनुभव होगा। एक अरसे पुराना यहां का लाइटहाउस और गहरे पानी में इधर-उधर व्यस्त मछुआरे इसे एक अलग ही तरह का माहौल देते हैं। भीड़ से दूर इस अत्यंत शांत सैरगाह में ठहरने के लिए यहां पांच सितारा होटल और रिसॉर्ट भी हैं।

चांदीपुर

यह एक ऐसी जगह है जहां समुद्र सैलानियों के साथ लुकाछिपी का खेल खेलता है। पांच किलोमीटर तक फैला यह सागरतट प्रकृति के अनमोल खजाने को खोलता हुआ सा लगता है। इस तट का सुंदर और शांत वातावरण किसी भी सैलानी का मन मोह लेने में सक्षम है।

ललितगिरि, रत्नगिरि और उदयगिरि

बौद्ध पुरावशेषों का समृद्ध भंडार देखना हो एक बार यहां अवश्य आएं। इन जगहों से खुदाई में पाए गए और अब यहीं संरक्षित अवशेष उड़ीसा में बौद्ध धर्म और परंपराओं के जीवंत दस्तावेज हैं।

भितरकनिका

पूरी तरह शांत और निर्जन समुद्रतट, रंग-बिरंगे पक्षी, दस हजार से ज्यादा बड़े समुद्री कछुए, डरावने मगरमच्छ, पहले कभी डेल्टाई द्वीप होने का सा आभास देती संकरी खाडि़यां और सघन वन में स्वच्छंद विचरण करते जीव- यही भितरकनिका है। भुवनेश्वर से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके में 380 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगलों से घिरा है, जिसमें 115.50 वर्ग किलोमीटर मैंग्रूव के जंगलों से आच्छादित है। ब्राह्मणी, बैतरणी और धमारा नदियों के बीच मौजूद इस क्षेत्र का पर्यावरण तथा इसकी पारिस्थितिकी संरचना भी अपने आपमें अनन्य ही है।

सिमिलीपाल

भुवनेश्वर से 330 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद यह क्षेत्र 2750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला 12 नदियों और कई सुंदर जलप्रपातों को समेटे सिमलीपाल प्रकृतिप्रेमी सैलानियों के लिए बेहद आकर्षक जगह है। वन्य वैभव के प्रतीक बाघों के लिए मशहूर इस राष्ट्रीय पार्क में चीते, हाथी, मगरमच्छ तथा कई तरह के सरीसृपों के अलावा रंग-बिरंगे पक्षी भी देखे जा सकते हैं।

जनजातीय जिले

भारत की जनजातीय आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा यानी 25 प्रतिशत उड़ीसा में ही रहता है। यहां मौजूद जनजातियों की कुल संख्या 62 है। राज्य की कुल आबाद क्षेत्रफल का एक-तिहाई इन भोले-भाले लोगों के पास ही है। हालांकि अपनी रंग-बिरंगी संस्कृति के साथ ये लोग पूरे राज्य के हर जिले में मौजूद हैं, लेकिन इनकी अधिक आबादी मुख्य रूप से फुलबनी, कोरातपुर, क्योंझर, रायगदा, मलकानगिरि और नुआपादा जिलों में है। इन जिलों आदिवासी संस्कृति को उसकी पूरी जीवंतता में देखा जा सकता है।

अन्य आकर्षण

उड़ीसा में इसके अलावा भी पर्यटकों के लिए आकर्षण के कई कारण हैं। अगर आप साहसिक पर्यटन के शौकीन हैं तो चिल्का में सर्फिग-बोटिंग, महानदी की सतकोसिया घाटी में नौकायन, महेंद्रगिरि व नीलगिरि की ट्रेकिंग कर सकते हैं। सांस्कृतिक रुचि के लोग रघुराजपुर व पिपिली के कलाग्रामों की घुमक्कड़ी कर सकते हैं। तन-मन को ताजगी देने वाले आयुर्वेदिक मसाज के अलावा पौराणिक नाटय परंपरा धनुयात्रा और हस्तशिल्प वस्तुओं की खरीदारी का लुत्फ भी आप यहां उठा सकते हैं। उडि़या व्यंजनों का स्वाद भी खासा मोहक है।

कुछ जरूरी जानकारियां

उड़ीसा दुनिया के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राजधानी भुवनेश्वर के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई व बंग्लौर से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। देश के सभी भागों से यह सुपर फास्ट ट्रेनों के जरिये भी जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से भी यह पूरे देश के संपर्क में है। यहां सभी वर्गो के लिए ठहरने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उड़ीसा पर्यटन विकास निगम के अधीन उड़ीसा सरकार की ओर से चलाए जाने वाले पथनिवास, यात्री निवास और पंथशाला श्रेणी में मध्यमवर्गीय लोगों के लिए ठहरने की सुविधाएं उपलब्ध हैं तो लग्जरी इंतजाम के लिए आप स्टार होटलों में ठहर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप उड़ीसा के पर्यटन कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

VN:F [1.9.1_1087]
Rating: 0.0/10 (0 votes cast)



Leave a Reply

    * Following fields are required

    उत्तर दर्ज करें

     (To type in english, unckeck the checkbox.)

आपके आस-पास

Jagran Yatra