श्रीलंका: छोटा सा द्वीप

  • SocialTwist Tell-a-Friend

भारतीयों को अपनी सीमाओं के बाहर जाकर भी जिन देशों में बिलकुल अपना सा व्यवहार और एहसास मिलता है, उनमें श्रीलंका का नाम प्रमुख है। हिंद महासागर के बीच मौजूद इस छोटे-से द्वीप के साथ हमारे सांस्कृतिक रिश्ते कब से चले आ रहे हैं, इसका ठीक-ठीक अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है। छोटे-से इस द्वीप के पास वह सबकुछ है जिसकी जरूरत पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए होती है। खानपान में स्वादिष्ट व्यंजनों से लेकर खरीदारी के लिए कीमती रत्न, जेवरात, तरह-तरह के वन्य जीवों से भरे राष्ट्रीय पार्क, पक्षी विहार, चाय बागान, सुंदर समुद्रतट, रोमांच प्रेमियों के लिए पर्यटन से जुड़े कई खेल और आस्थावान लोगों के लिए मंदिर व मसजिद भी..। इस छोटे-से द्वीप में सैर-सपाटे का पूरा खजाना उपलब्ध है। एक तरफ तो यहां परंपरागत रहन-सहन और आचार-व्यवहार का दर्शन होता है, दूसरी तरफ आधुनिक जीवन शैली के प्रतीक कैसीनो भी हैं। इसके साथ ही यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूरा जीवन दर्शन और इतिहास भरा पड़ा है। पहाड़ों को काटकर बनाई गई भगवान बुद्ध की मूर्तियां यहां श्रद्धालु और कला प्रेमी पर्यटकों के आकर्षण का खास केंद्र हैं। मूंगे, पन्ने, नीलम और माणिक्य की चट्टानों वाला यह देश जितना सुंदर है, उतना ही जीवंत भी है। शायद यही वजह है जो लंबे समय तक चले आतंकवाद और सुनामी जैसे प्राकृतिक प्रकोप की विभीषिका के बाद वहां जिंदगी फिर से एक साल के भीतर ही पहले जैसी ही रवानी में आ गई। भारतीय पर्यटकों के लिए एक अच्छी बात यह भी है कि श्रीलंका की सांस्कृतिक बनावट बिलकुल वैसी ही है, जैसी भारत की।

एहसास कोलंबो का

श्रीलंका की राजधानी है कोलंबो। घुमक्कड़ी की शुरुआत यहीं से होती है। रत्नों और जेवरों के लिए प्रसिद्ध यह शहर पर्यटकों के प्रति अपनी दोस्ताना जीवन शैली के लिए इतना लोकप्रिय हो चुका है कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय घुमक्कड़ आपसे अपने कोलंबो एक्सपीरिएंस की चर्चा किए बगैर नहीं रह सकता है। बस यूं समझिए कि थोड़े से हेरफेर के साथ अपने ढंग का बनारस है यह। वैसे अब यह शहर फैशन का भी बड़ा बाजार बन रहा है। आस्थावान लोगों के लिए बौद्ध तथा हिंदू मंदिर तो यहां हैं ही, गिरजाघर व मसजिदें भी हैं। इसके अलावा यहां पुरानी संसद, संग्रहालय और कला गैलरियां भी देखने लायक हैं।

श्रीलंका में अगर आप डच संस्कृति की  जीवंतता देखना चाहते हैं तो तटीय शहर गाले जरूर जाएं। यह डच अधिकारियों के अधीन पुराना बंदरगाह था। आज यह एक चहल-पहल वाला शहर है और अनअवटुना बे के लिए मशहूर है। यहां डच स्टार फोर्ट अभी भी मौजूद है, जिसे अब विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त है। आधुनिकता में रमे इस शहर में अच्छी तरह संरक्षित ग्रूट कर्क (डच गिरजाघर) और डच सभ्यता के कई अन्य अवशेष भी मिल जाएंगे। गाले में आज भी डच ‘पिल्लो लेस’ बनाए जाते हैं तथा एबनी कार्विग व जेम पॉलिशिंग भी की जाती है। ऐसे ही पत्थर का एक किला है सिगिरजा। श्रीलंका की पुरानी विरासत को जानने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है।

जिंदगी उत्सव है जहां

कोलंबो से 129 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैंडी एक हिल स्टेशन है। कोलंबो के बाद यही श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां पूरे साल रंगारंग कार्यक्रम चलते रहते हैं। कैंडी समुद्र तट से लगभग 1500 फुट की ऊंचाई पर है। गर्मियों में यहां काफी चहल-पहल रहती है। कैंडी को श्रीलंका की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। यहां संगीत और नृत्य के तरह-तरह के समारोहों की भरमार हुआ करती है। देर तक लोग आपको यहां के भीड़ भरे बाजार में खरीदारी करते दिख जाएंगे। यहां के मंदिर भी देखने लायक हैं जिनमें चौदहवीं सदी में बना लंकातिलक विहार्य भी शामिल है। तीन मंजिलों का यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तु प्रारूप पर आधारित है। इसकी दीवारों और छतों पर फ्रेस्को स्टाइल की आकर्षक पेंटिंग्स हैं और लकड़ी के बने इसके दरवाजे भी बेहद खूबसूरत हैं। सोलहवीं शताब्दी में निर्मित यहां का दंत मंदिर दुनिया की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों में एक है। यह धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में एक दांत रखा है। माना जाता है कि यह दांत भगवान बुद्ध का है। कैंडी के निचले इलाके में कैंडी झील की शोभा रात को देखते ही बनती है। यहां आप नौकायन का आनंद ले सकते हैं और स्नान में लीन हाथियों के झुंड देखने का भी।

खूबसूरत सागर तट

श्रीलंका के समुद्र तटों को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है- पश्चिमी और दक्षिणी समुद्रतट तथा दूसरा पूर्वी और उत्तरी समुद्र तट। पश्चिमी व दक्षिणी समुद्र तट पर ही राजधानी कोलंबो है। कोलंबो हवाई अड्डे के पास ही उत्तरी कोलंबो में हेंडाला, नेगोंबो और वैकाल तट हैं। दक्षिणी कोलंबो में गोल्ड कोस्ट के नाम से विख्यात समुद्र तट है। लाविनिया, गाले,  वादुआ, कालुतारा, बेरूआला, बेंटोटा, इंदुरूआ, कोसोगोदा, अहुंगाला, हिक्कादुआ, उनावंतुना, कोगाला, तंगाले, वेलीगामा और हंबंटोटा जैसे बीच हैं। मीलों लंबे फैले यहां के इन तटों में से किसी पर भी छुट्टियां बिताई जा सकती हैं।

पूर्वी और उत्तरी किनारे पर श्रीलंका में नीलावेली, कुज्जवेली, मार्बल बे, स्वीट बे और डेड वे केव्ज नामक समुद्रतट हैं। दूर तक फैले इन तटों पर वॉटर स्पो‌र्ट्स के लिए हर तरह की सुविधा मिल जाएगी। दक्षिण की ओर जाने पर पासेकुद्दा, कालकुद्दा और अरूगम बे जैसे शांत तट हैं। श्रीलंका के ज्यादातर समुद्र तट शांत और साफ-सुथरे हैं। इन तटों के किनारे केरल की तरह ही पेड़ों की कतारें हैं।

समुद्रतट के किनारे वाले छोटे शहरों में खास तौर से बेनटोटा और हिकादुआ के नाम उल्लेखनीय हैं। विदेशों से तमाम पर्यटक यहां हर साल धूप स्नान के लिए आते हैं। हिकादुआ श्रीलंका का सबसे प्रसिद्ध बीच रिसॉर्ट है। यहां तैराकी, स्कूबा डाइव आदि की सुविधाएं हैं। यहां एक तटीय सैंक्चुरी में कांच के तले वाली नौकाएं भी हैं, जिनका आनंद लेने के लिए तमाम पर्यटक यहां खास तौर से आते हैं। यहीं एक जगह है समानालकंद। यह पर्वत की एक ऐसी चोटी है, जिसे तितलियों के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है। हर साल तमाम तितलियां यहां पहुंच कर मर जाती हैं। इसे आदम की चोटी नाम से भी जाना जाता है। यह श्रीलंका की दूसरी सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी है। इसी चोटी पर एक और जगह है श्रीपाद। ईसाइयों का विश्वास है कि यही वह जगह है जहां आदम ने पहली बार अपने पांव रखे।

अतीत के वैभव

श्रीलंका में प्राचीन धरोहरों को देखना एक अलग अनुभव है। हालांकि श्रीलंका का लिखित इतिहास 2000 वर्ष से भी कम पुराना है, पर वहां की स्थापत्य कला के प्राचीन नमूनों से साफ झलकता है कि श्रीलंका बहुत पहले से एक विकसित क्षेत्र रहा है। श्रीलंका के प्राचीन वैभव को देखने के लिए किसी जमाने में यहां की राजधानी रही अनुराधापुरा से यात्रा शुरू की जा सकती है। कोलंबो से 205 किलोमीटर दूर स्थित इस शहर में किलों के प्राचीन भग्नावशेष और भव्य स्तूप चारों ओर दिखते हैं। इनमें से रूवांवेली, जेतावान्ना और अभयगिरी के स्तूपों की भव्यता देखते ही बनती है। पर्यटकों को लुभाने वाले ये स्तूप 1500 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इसके पास ही विश्व के सबसे पुराने पेड़ों में से एक पवित्र श्री महाबोधि वृक्ष है। संभवत: यह दुनिया का सबसे पुराना पवित्र वृक्ष है। इसे सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र ने अनुराधापुरा में लगाया था। माना जाता है कि यह वृक्ष भारत के बोधगया स्थित उस महाबोधि वृक्ष का ही एक अंश है, जिसके नीचे भगवान बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्त हुआ था और जिसकी एक टहनी महेंद्र अपने साथ ले गए थे। समाधि में लीन बुद्ध की प्रतिमा भी यहां है, जो मूर्तिकला की अद्भुत मिसाल है। वैसे पूरे अनुराधापुरा में इस तरह की मूर्तियों, मंदिरों और पुरातात्विक अवशेषों की भरमार है जहां पर्यटक खो से जाते हैं।

अनुराधापुरा से 13 किमी की दूरी पर स्थित मिहिंटेल में स्तूपों और मंदिरों के अलावा वे गुफाएं देखने लायक हैं जिनमें बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। कोलंबो से 216 किलोमीटर की दूरी पर अनुराधापुरा के पास ही स्थित पोलान्नोरुआ में पहाड़ों को काटकर बनाई गई बुद्ध की मूर्तियां भी देखने लायक हैं। यहां आराम करते बुद्ध और खड़े बुद्ध की विशाल मूर्तियां आकर्षक हैं। पोलान्नोरुआ के पास ही सिगिरिया है। यह एक छोटी-सी गोलाकार पहाड़ी है, जिसके ऊपर मौजूद है एक किला। इसका निर्माण पांचवीं शताब्दी में यहां के तत्कालीन शासक ने कराया था, जहां साढे़ नौ फुट चौड़ाई की घुमावदार सीढि़यों से चढ़ा जा सकता है। इन सीढि़यों को दोनों ओर से ढकने के लिए दीवार बनाई गई है और उस पर कुछ इस तरह से प्लास्टर किया गया है कि सैकड़ों साल तक धूप, हवा और बारिश झेलने के बाद भी इस दीवार में आप अपनी शक्ल देख सकते हैं। यही कारण है कि इसे मिरर वॉल कहते हैं। श्रीलंका में यह इकलौता ऐसा स्थान है जहां पहाड़ों पर स्त्रियों के चित्र बनाए गए हैं। पहाड़ी के ऊपर से आसपास के इलाकों को देखना सुखद अनुभव है। इसके चारों ओर हरियाली का साम्राज्य है। ऊपरी भाग में चित्रकला की अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। सिगिरिया से 12 किलोमीटर की दूरी पर दंबुला है जहां एक विशाल मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें बुद्ध की 150 से भी ज्यादा आदमकद मूर्तियां एक कतार में लगी हैं। इसकी छत पर भी कई प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इसके अलावा यहां की पांच गुफाओं को भी पवित्र स्थलों में बदला गया है, जिनमें से एक में 47 फुट लंबी बुद्ध की प्रतिमा है।

दुनिया जंगल की

श्रीलंका के अभयारण्यों में हाथियों के झुंड खूब देखे जा सकते हैं। कोलंबो से 309 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रुहुना नेशनल पार्क श्रीलंका का सर्वाधिक लोकप्रिय वन्य जीव अभयारण्य है। इस अभयारण्य का प्राकृतिक सौंदर्य भी अप्रतिम है। पेड़ों और तमाम तरह की वनस्पतियों के अलावा यहां मनोरम वॉटरफ्रंट और बेहद सुंदर लैगून भी हैं। इस अभयारण्य की प्रसिद्धि खास तौर से हाथियों के लिए है। इसके अलावा यहां भारी संख्या में चीते, जंगली सुअर, मोर, सांभर और कई तरह के पक्षी  भी मौजूद हैं।

कैंडी स्थित थहानम केले और को उदवात्केले वन्य अभयारण्य खास तौर से देखने लायक हैं। यहां वन्य जंतुओं की विलुप्त होती 16 प्रजातियों को संभाल कर रखा गया है। इनमें चूहा और हिरन भी शामिल हैं। कैंडी के अतिरिक्त सिंहराजा रेन फॉरेस्ट भी देखने लायक है। विलपतु और इनगिनियागाला अभयारण्यों में सुरक्षित चोटियों से या बंद जीप के माध्यम से आप जंगली जानवरों को बिलकुल पास से देख सकते हैं। पक्षियों के लिए विशेष रूप से कुमाना और विरावाला पक्षी विहार देखना समय का सदुपयोग होगा। इन अभयारण्यों में श्रीलंका में पाए जाने वाले 427 प्रकार के पक्षियों को भी देखा जा सकता है। पक्षियों में पीले कानों वाली बुलबुल, लाल चेहरों वाली मल्कोहा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। वासागामुआ नेशनल पार्क , हॉटन प्लेंस नेशनल पार्क, बुंदाला नेशनल पार्क  देखने लायक जगहें हैं।

भारत के पौराणिक साहित्य में श्रीलंका को सोने का नगर कहा गया है। अन्य देशों में भी इसे ‘पूरब के मोती’, ‘स्वर्णद्वीप’ और ‘सेरेनदीब’ जैसे विशेषणों से जाना जाता है। असल में इसकी वजह प्रकृति से इसे मिली समृद्धि है। माणिक्य, पन्ना और नीलम जैसे बहुमूल्य रत्न यहां के समुद्र तटों पर खूब पाए जाते हैं। जेवरात और रत्नों की खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए श्रीलंका अच्छी जगह है। यहां शुद्धता की दृष्टि से अच्छे रत्न तो मिलते ही हैं, कई जगहों की तुलना में सस्ते भी होते हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले सर्वाधिक लोग रत्न खरीदना पसंद करते हैं।

इसके अलावा कोलंबो में आप नए फैशन के कपड़े-जूते भी खरीद सकते हैं। कैंडी स्मृति चिह्नों की खरीद के लिए भी एक आकर्षक जगह है। यहां लकड़ी, तांबा, पीतल, चांदी और कांसे के सामान खरीदे जा सकते हैं। यहां से सेरामिक्स, लैकर वर्क, हैंडलू, बाटीक, जेवर और रश एंड रीड वेयर भी खरीदे जा सकते हैं। चाय भारत के अलावा अगर किसी और देश में अच्छी मिलती है तो वह श्रीलंका ही है। आप चाहें तो यहां से चाय भी खरीद सकते हैं।

फूलों की कढ़ी का बेजोड़ स्वाद

श्रीलंका का मुख्य भोजन चावल और कढ़ी है। इस देश की पारंपरिक थाली में आपको चावल और करी के साथ कई तरह की सब्जियां, सैलेड, मसालेदार मांस व मछलियां एक साथ मिलेंगी। यहां गुड़हल के फूलों को उबाल कर एक खास तरह की कढ़ी बनाई जाती है। सफेद रंग की इस कढ़ी का स्वाद कभी भूला नहीं जा सकता। कुछ लोग इसके साथ तली हुई सब्जियां खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसे संतुलित करने के लिए लाल रंग को प्रॉन करी लेते हैं। भोजन में मसालों के प्रयोग श्रीलंका के लोगों को भी भारतीयों की ही तरह बहुत पसंद है। इसलिए आम भारतीयों को यहां के व्यंजनों में कोई परायापन नहीं लगता है। यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के जोरदार व्यंजन मिलते हैं। लॉवस्टर, क्रैब्स और प्रॉन की खेती के लिए मशहूर नीगौम्बो मछली पसंद करने वालों का स्वर्ग है। चारों तरफ समुद्र से घिरे होने के कारण सी फूड कई तरह का मिलता है। मिठाई के शौकीन लोगों के लिए भी यहां बहुत कुछ है। वैसे यहां कोलंबो के रेस्तराओं में भारतीय, मलय व चीनी व्यंजन भी आसानी से मिल जाते हैं। खास तौर से दक्षिण भारतीय व्यंजन तो कहीं भी मिल सकते हैं।

जरूरी जानकारियां

कैसे जाएं : कोलंबो के लिए नई दिल्ली, मुंबई और चेन्नई से सीधी उड़ानें हैं। इनमें कहीं से भी आप अपनी सुविधानुसार उड़ान भर कर श्रीलंका पहुंच सकते हैं।

वीजा नियम : श्रीलंका के लिए भारतीय सैलानियों को पहले से वीजा लेने की कोई जरूरत नहीं होती है। आपके पास सि़र्फ एक वैध पासपोर्ट होना चाहिए। इसके बाद भारतीय सैलानियों को कोलंबो पहुंचने के बाद वहीं वीजा जारी कर दिए जाते हैं। श्रीलंका के लिए भारतीयों को पहले से वीजा लेने की जरूरत केवल विशेष परिस्थितियों में ही होती है।

मौसम : श्रीलंका में पूरे साल अच्छी धूप खिली रहती है। इसलिए भारतीय पर्यटकों के लिए यहां का मौसम हमेशा उपयुक्त होता है।

कहां ठहरें : ठहरने के लिए यहां सभी तरह के होटल, लॉज और बोर्डिग हाउस हैं। आयुर्वेदिक हेल्थ रिसॉर्ट, स्पा और बीच रिसॉर्ट आप अपनी सुविधा व पसंद के अनुसार चुन सकते हैं।

मुद्रा : श्रीलंका की मुद्रा रुपया है। भारत के 100 रुपये आम तौर पर 230 श्रीलंकाई रुपये के बराबर होते हैं।

VN:F [1.9.1_1087]
Rating: 0.0/10 (0 votes cast)



Leave a Reply

    * Following fields are required

    उत्तर दर्ज करें

     (To type in english, unckeck the checkbox.)

आपके आस-पास

Jagran Yatra