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पहला दिन: लंदन-एमस्टरडम
यूरोप जाने की बहुत दिनों से योजना बन रही थी। यह भी पता था कि यूरोप इतना बड़ा है कि उसे कुछ दिनों में देखना असंभव है। मैंने अपने दोस्तों के साथ चौदह दिन की यात्रा का कार्यक्रम बनाया। ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट से हम लंदन के ‘हिथ्रो‘ एयरपोर्ट पर उतरे। एयरपोर्ट पर ही फ्रेश होकर हम बस में बैठ गए। जो हमें ‘डोवर’ ले गई। गाइड ने बताया कि ‘डोवर’ समुद्र के किनारे स्थित है। यहां से हम हॉवर क्राफ्ट में बैठे। हॉवर क्राफ्ट के स्टार्ट होते ही हम करीब पांच से सात फीट ऊपर उठ गए। इंग्लिश चैनल पार करते हुए ठंडी हवा ने जब हमें छुआ तो दिल्ली की गर्मी एकदम भूल गए। चालीस मिनट के बाद हम फ्रांस के शहर ‘कैले’ पहुंच गए। यहां से हम बस से यात्रा शुरू करने वाले थे।
दोपहर के साढ़े बारह बज रहे थे। हमें बताया गया कि अब हम बेल्जियम की ओर जाएंगे। ‘ब्रसल्स’ बेल्जियम की राजधानी है। सेंट्रल यूरोप में होने के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों ने यहां प्लांट्स लगाए हुए हैं। ‘ब्रसल्स’ को हमने बस से ही देखा। सिटी सेंटर पर थोड़ा समय बिताया। यहां से हम ‘हॉलैंड’ के लिए निकल गए और चालीस मिनट बाद ‘एमस्टरडम’ शहर पहुंचे। यह नहरों का शहर है। ‘डैम स्क्वेअर’ पर हम लोग एक-डेढ़ घंटे घूमते रहे। कंडक्टर के बताए हुए समय पर बस में आकर बैठ गए। फिर मिनी सिटी ‘मदुरोदम’ की तरफ बढ़ गए। यह एक मॉडल शहर है। वहां मिनी एयरपोर्ट भी बना हुआ है। इस मॉडल शहर में पूरे हॉलैंड के वास्तुशिल्प को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है। इसे देख जब बस में बैठे तब तक रात के आठ बज चुके थे।
दूसरा दिन: एमस्टरडम-राइनलैंड
सुबह हम लोगों ने एमस्टरडम शहर देखते हुए बिताई। यहां पर हमने डायमंड पॉलिशिंग एंड कटिंग फैक्टरी देखी। दोपहर में बस में बैठ हम लोग जर्मनी की तरफ निकल पड़े। जर्मनी में पहला पड़ाव क्लोन शहर था। यह राइन नदी पर बसा पुराना शहर है। यहां तेरहवीं शताब्दी के बने हुये कई चर्च हैं।
तीसरा दिन: राइनलैंड-इन्सब्रुक
आज का दिन बहुत रोमांचकारी होने वाला था। हम राइन नदी पर क्रूज लेने वाले थे। पहले हम बस से बोन शहर गए। यहां हमने मशहूर गायक बीथोवन का घर देखा। यहां से हम राइन नदी के किनारे पहुंचे। राइन नदी पर यह क्रूज हमें बावेरियन फॉरेस्ट के बीच में से होता हुआ ले गया। रास्ते में हमने कई सुंदर महल देखे। वाइन यार्ड्स और जंगलों के बीच में बसे हुए छोटे-छोटे गांव बचपन में पढ़ी हुई परी कथाओं की याद दिलाते हैं। दो घंटे के इस क्रूज में बहुत मजा आया। थोड़ी दूर जाने के बाद वापस बस में बैठकर हम आस्टि्रया के ‘इन्सब्रुक’ शहर की ओर निकल पड़े। ‘इन्सब्रुक’ के पास ही एक अंडरग्राउंड लेक है। करीब 100 फीट नीचे जाने पर भी पानी बिल्कुल साफ देखने को मिलता है। लेक के नीचे एक अलग ही दुनिया है। एक चर्च भी इस लेक के अंदर बना हुआ है। बोट से इस चर्च के अंदर जाते हैं। ‘इन्सब्रुक’ में कल्चरल शो होता है। इसमें कलाकार अलग-अलग मुल्कों की भाषा के राष्ट्रीय गीत गाते हैं। एक-एक देश का झंडा उठाते हैं और फिर उसका गीत गाते हैं। दर्शक भी साथ देते हैं। यह एक देखने लायक शो है।
यहीं पर स्थित है ‘स्वरोस्की संग्रहालय‘। इस संग्रहालय में क्रिस्टल से बना महाराणा प्रताप का घोड़ा भी है। इस संग्रहालय की दीवार पूरी क्रिस्टल की बनी है।
चौथा दिन: इन्सब्रुक-वेनिस
अगले दिन हमने ‘इन्सब्रुक’ शहर का एक टूर लिया। इस शहर में ‘गोल्डनरूफ‘ और ‘इंपीरियल पैलेस‘ देखने योग्य जगह हैं। दोपहर में हम बस में बैठकर वेनिस की तरफ निकल पड़े। वेनिस कला और सपनों का शहर है। वेनिस शहर में सड़कें नहीं हैं। यहां पर आवागमन सिर्फ नाव के माध्यम से ही होता है। ऐसा लगता है कि मानो पूरा शहर पानी के ऊपर तैर रहा है। यहां पर एक विशेष प्रकार की नाव चलती है, जिसे ‘गोंडोला’ कहते हैं। तीन घंटे तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मस्ती करके हम लोग रात में होटल पहुंचे।
पांचवा दिन: वेनिस-रोम
आज हम लोगों को ‘रोम’ की तरफ जाना था। ‘रोम’ इटली की राजधानी है। यह सात छोटी-छोटी पहाडि़यों के ऊपर बसा हुआ है। पांच घंटे की बस यात्रा के बाद हम ‘रोम’ पहुंचे। रात में ‘रोम’ का एक अलग ही नजारा होता है। इसे देखकर काफी मजा आया। ‘रोम’ इतना बड़ा शहर है कि एक दिन में देखना मुमकिन नहीं। इसलिए अगला पूरा दिन हमने ‘रोम’ में ही बिताया।
छठा दिन: रोम
रोम के बीचोबीच ‘वैटीकन सिटी‘ स्थित है। सुबह हम ‘वैटिकन सिटी’ देखने के लिए निकले। ‘वैटीकन सिटी’ में ईसाई समुदाय के प्रमुख पोप, जॉन पोप द्वितीय रहते हैं। यहां पर सेंट पीटर चर्च में विख्यात चित्रकार माइकल एंजलो की पेंटिंग देख मन रोमांचित हो उठा। यह पेंटिंग चर्च की छत से लटकी हुई है। पूरे शहर के अंदर की कलाकृतियां और वास्तुशिल्प देख यहां से जाने की इच्छा नहीं हो रही थी। दोपहर के बाद हमने शहर का एक गाइडिड टुअर लिया। हमें ‘कोलासियम’, ‘इंपीरियल फोरम’ और शहर के अन्य हिस्सों के बारे में बखूबी समझाते हुए दिखाया गया।
सातवां दिन: रोम-फ्लोरेंस
बस से हम ‘फ्लोरेंस’ की ओर निकले। रोम से ‘फ्लोरेंस’ का रास्ता चार घंटे का है। गाइड ने बताया कि अब तक जितनी संस्कृति और सुंदरता देखी है वह इस शहर के सामने बेकार है। इसकी हवा तक में सौंदर्य घुला हुआ है। वास्तव में यह शहर कला और संस्कृति का खजाना है। पहली बार सिग्नोरा स्थित ‘ओपन एयर म्यूजियम’ देखा। यहां महंगे से महंगा सामान खुले में रखा रहता है। ‘फ्लोरेंस’ में ही मशहूर चित्रकार माइकेल एंजलो और वैज्ञानिक गैलीलियो के मकबरे हैं। वहां लोग बुके चढ़ाते हैं। ऐसा क्यों करते हैं, गाइड से पूछने पर पता चला कि हर व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे बड़े होकर इन लोगों की तरह ही महान बनें।
आठवां दिन: फ्लोरेंस-लुजर्न
बस से ‘लुजर्न’ पहुंचने में हमें सात घंटे लगे। रास्ते में हमने ‘ओलिव ग्रूव’ और ‘वाइन यार्ड’ देखे। इटली के’लेक डिस्टि्रक्ट’ की ओर बढ़ते हुए हम ‘पीसा की मीनार’ देखने के लिए रुके। इसका निर्माण कार्य 1173 में शुरू हुआ था।