देवों के जलसे

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कृष्ण जन्माष्टमी
यूं तो कृष्णजन्मोत्सव का पर्व तमाम हिंदू घरों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। लोग घरों में झांकियां लगाते हैं। मंदिर सजाये जाते हैं। लेकिन जन्माष्टमी का त्योहार कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में मनाने की कामना ज्यादातर लोगों की होती है। वहां का माहौल ही इस मौके पर कुछ अलग होता है। इसीलिए हर साल लाखों की संख्या में लोग जन्माष्टमी पर मथुरा में कृष्णजन्मस्थली और वृंदावन देखने के लिए देखने पहुंचते हैं। मथुरा के अलावा उदयपुर के पास नाथद्वारा में भी कृष्णभक्तों का जोरदार जमावड़ा होता है।

बंदर
भगवान का जन्मदिन
बंदर देवता के नाम पर हमारे हनुमान जी के सिवाय भी दुनिया में कोई और है, यह सुनकर अचरज होगा। लेकिन हकीकत यही है कि सिंगापुर और हांगकांग में हर साल बौद्ध परंपरा के चीनी समुदाय द्वारा बंदर देवता का जन्मदिन मनाया जाता है। यह हनुमान नहीं हैं लेकिन बहुत मुमकिन है कि वह उनसे प्रेरित रहा हो। यह इसलिए भी लगता है क्योंकि यह उस बंदर के लिए मनाया जाता है जिसने सैकड़ों साल पहले तंग वंश के एक राजा द्वारा भारत से बुद्ध के ग्रंथ लाने के लिए भेजे गए एक यात्री की मदद की थी। इसका पहला उल्लेख मिंग वंश (1368-1644 ई.) के दौरान लिखे गए एक ग्रंथ से मिलता है। इस मौके पर शानदार रंगारंग झांकियां निकाली जाती है। दोनों ही जगहों पर यह भगवान काफी लोकप्रिय हैं।

नाइट
ऑफ थाउजैंड फायर्स
नाइट ऑफ थाउजैंड फायर्स, ओबरवेजेल, जर्मनी में मनाया जाता है । राइन इन फ्लेम्स के पूरे आयोजन का चरम। राइन खड्ड में ओबरवेजेल के आसपास शानदार आतिशबाजी, सेंट गोर से गुजरते जहाजों से गूंजता अद्भुत संगीत, चारों तरफ रोशनी का नजारा। फिर 15 सितंबर को सेंट गोर व सेंट गोरशाउसेन शहरों में बेमिसाल जश्न। इसे पूरे आयोजन की सबसे रोमांटिक रात कहा जाता है। राइन नदी पर जगमगाती रोशनी के बीच स्थानीय वाइन का सुरूर। जर्मनी के देशज रूप को महसूस करने का सबसे शानदार मौका।

डाइविंग बुद्धा फेस्टिवल
मध्य थाईलैंड के  फेच्चाबुन में यह प्राचीन बौद्ध उत्सव बड़ी रंगारंग झांकियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और बुद्ध की मूर्ति को गोता खिलाने की बड़ी अजीबोगरीब रस्म के साथ मनाया जाता है। बुद्ध की मूर्ति के साथ विशाल जुलूस निकाला जाता है, प्रांत का गवर्नर फिर मूर्ति को सिर पर उठाकर पकड़े नदी में गोता लगाता है। वह चार दिशाओं में चार बात गोता लगाता है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इससे समूचे इलाके में संपन्नता व खुशहाली फैलती है। मूर्ति को गोता खिलाने के बाद खान-पान के साथ-साथ संगीत व नृत्य का आयोजन होता है। इस आयोजन के मूल में भी एक रोचक कहानी है जो बुद्ध की मूर्ति के मिलने, खोने और फिर मिलने से जुड़ी है।

बर्निग मैन
बर्निग मैन उत्सव , ब्लैक रॉक डेजर्ट, नेवादा, अमेरिका में  मनाया जाता है । कला के लिए रेगिस्तान के बीचों-बीच हर साल लगने वाला तीस-पैंतीस हजार लोगों का जमघट। इसका नाम उस पुतले पर पड़ा है जो आखिरी रात जलाया जाता है। लोग हर तरह से यहां आते हैं-साइकिल से लेकर ट्रक तक। लेकिन देखने की बात उनके वाहन की और उनकी खुद की वेशभूषा होती है, जिसमें हर किस्म के प्रयोग किए जाते हैं। हर साल एक थीम तय की जाती है जो हर जगह नजर आती है। इस बार की थीम है-प्रकृति से जुड़ाव-ग्रीन मैन। तीन हफ्ते में रेगिस्तान के बीचों-बीच एक शहर जैसा खड़ा हो जाता है। यहां हर चीज लोग खुद लेकर आते हैं-खाना-पीना-ठहरना, सब कुछ। जिंदगी भर याद रहने वाला एक रोमांचक अनुभव।

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