हॉलैंड जहां प्रकृति ने लुटाई है संपदा

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प्रकृति और कृति दोनों ही ने अगर अपनी संपदा किसी देश को खुले हाथों से लुटाई है तो वह है हॉलैंड यानी रॉयल किंगडम ऑफ द नीदरलैंड्स। यह केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि ज्ञान-विज्ञान, कला, तकनीक, कृषि और अर्थव्यवस्था हर स्तर पर दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में शुमार किया जाता है। पशुपालन और इसी कारण दुग्ध उत्पादों के मामले में दुनिया में अव्वल हॉलैंड के विकास की आश्चर्यजनक गति का सबसे बड़ा कारण है प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित दोहन और उदार चेतना से संपन्न शांतिपूर्ण व्यवस्था। यह संपन्नता कोई हशीश के उत्पादन या तस्करी नहीं, उपलब्ध संसाधनों का सुनियोजित उपयोग करने वाली सुविचारित और सफल अर्थव्यस्था से आई है। संवैधानिक व्यवस्था के संदर्भ में वैचारिक स्तर पर भी इसे सबसे प्रगतिशील देशों में गिना जाता है।

निचले देशों का ऊपर आना

आज हम जिस राजनैतिक क्षेत्र को नीदरलैंड्स के नाम से जानते हैं, उसकी भौगोलिक सीमाओं का एक अस्पष्ट सा रेखांकन सोलहवीं शताब्दी में हुआ। इसके पहले तक का इसका इतिहास दो अन्य देशों बेल्जियम और लक्समबर्ग से जुड़ा हुआ था। आज के इन तीनों देशों को तब संयुक्त रूप से निचले देशों के नाम से जाना जाता था। इसके मूल निवासी दो आदिवासी समुदाय थे। सागर किनारे वाले क्षेत्रों पर जर्मन बटावियों और सुदूर उत्तरी क्षेत्र पर फ्रिजियों का कब्जा था। 16वीं शताब्दी में इसके उत्तरी प्रांतों पर प्रोटेस्टेंट ईसाइयों का कब्जा हो गया और वे स्पेन के कैथोलिक शासकों से लड़ने के लिए एकजुट होने लगे। स्पेन के तत्कालीन शासक फिलिप द्वितीय ने यहां ईसाईयत की कैथोलिक शाखा के प्रसार के लिए जोर-जबर्दस्ती का प्रयोग भी किया। नतीजा एक भयावह संघर्ष के रूप में सामने आया। इस विद्रोह का नेतृत्व प्रिंस विलियम ऑफ ऑरेंज कर रहे थे।

80 वर्षो तक चले संघर्ष के बाद हॉलैंड और इसके सहयोगी प्रांतों के लोग स्पेनी लोगों को निकाल भगाने में सफल हो सके। इस तरह हॉलैंड 1648 में एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। इसी बीच डच ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रभाव से यहां भौतिक समृद्धि आनी शुरू हुई। इस दौरान यहां कलाओं को भरपूर प्रोत्साहन मिला और रेम्ब्रांट जैसे विश्वप्रसिद्ध चित्रकार उभर कर सामने आए। लेकिन समृद्धि का यह दौर बहुत दिनों तक टिका नहीं। सन् 1795 में यहां फे्रंच शासक पहुंच गए और नेपोलियन ने अपने छोटे भाई लुई को यहां का राजा नियुक्त कर दिया। इस अलोकप्रिय शासन का अंत होने के बाद सन् 1814 में किंग विलियम फ‌र्स्ट ऑफ ऑरेंज यहां के पहले शासक बने। आज भी नीदरलैंड्स पर इसी राजपरिवार का शासन है। तब इसका नाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ नीदरलैंड्स हुआ और उस समय इसमें बेल्जियम और लक्समबर्ग भी शामिल किए गए। बाद में 1830 में बेल्जियम के लोगों ने विद्रोह कर दिया और वे अलग हो गए। इसके कुछ ही दिनों बाद लक्समबर्ग भी स्वतंत्र हो गया।

एक अलग मिजाज का शहर

नीदरलैंड्स न केवल मौज-मस्ती, बल्कि अत्याधुनिक कला और विज्ञान की जानकारी बढ़ाने ेकी दृष्टि से भी घुमक्कड़ी के लिए एक आदर्श जगह है। आधुनिक ढंग से अपनी परंपरा के पोषण और संव‌र्द्धन का इससे बेहतर उदाहरण दूसरा नहीं है। मन मोह लेने वाले यहां के खेतों की हरियाली सिर्फ तकनीकी विकास के कारण नहीं, बल्कि ऊर्जा के पारंपरिक स्त्रोतों के सुनियोजित और संतुलित उपयोग के भी कारण है। इससे जहां एक तरफ यहां के लोग बाढ़ और तूफान जैसी विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से बचे हैं, वहीं दूसरी तरफ अत्यंत कम लागत में अच्छा परिणाम भी वे ले रहे हैं। दूध और उसके उत्पादों के लिए हॉलैंड दुनिया भर में चर्चित है। यह गायों के नस्ल सुधार और दूध उत्पादों के विकास के लिए नवीनतम तकनीक के उपयोग का नतीजा है। परंपरा और आधुनिकता का ऐसा ही बेजोड़ संतुलन हॉलैंड के शहरों में भी दिखाई देता है। हॉलैंड के शहरों में जहां एक तरफ गगनचुंबी अट्टालिकाओं, बड़े-बड़े कारखानों, अत्याधुनिक सुविधाओं वाले बाजारों, थिएटर, पब, बार आदि की भरमार है, वहीं दूसरी तरफ कला के पुराने नमूनों को संरक्षित रखने वाले बड़े-बड़े संग्रहालय और सांस्कृतिक संस्थान भी खूब हैं। शायद यही वजह है कि संसाधनों और संपन्नता से परिपूर्ण होने के बावजूद हॉलैंड अभी भी एक शांतिपूर्ण देश के रूप में गिना जाता है। हर तरह से अत्याधुनिक होने के बावजूद हॉलैंड के हर शहर का अपना एक अलग मिजाज है और यह मिजाज उसकी परंपरा की ही देन है।

नहरें हैं नसें

नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम को व्यावसायिकता में कलाप्रियता और हर हाल में मौज-मस्ती के अपने खास मिजाज के लिए जाना जाता है। यूरोप आने वाले पर्यटक अपनी प्राथमिकता सूची में इस शहर को अनिवार्य रूप से शामिल करते हैं। स्वच्छ जल से भरी इसकी झिलमिलाती नहरें और दिलचस्प सामासिक संस्कृति लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्रबिंदु हैं। नहरें इस शहर की नसें हैं। न केवल माल की ढुलाई, बल्कि लोगों खास तौर से पर्यटकों के यातायात के लिए इनका खूब उपयोग किया जाता है। अ‌र्द्धचंद्र के आकार में बनी तीन नहरें यहां मुख्य हैं, जो शहर के उत्तरी सिरे पर एक बांध से जाकर मिलती हैं। देखने पर ऐसा लगता है जैसे किसी पहिये पर एक छड़ी रख दी गई हो। दरअसल कृत्रिम रूप से बनाई गई इन नहरों को उत्तरी सिरे पर समुद्र होने के कारण बांध बनाकर सील कर दिया गया है। इससे ये समुद्र के ज्वार-भाटे से अप्रभावित रहती हैं। सप्ताह में तीन बार इनकी सफाई की जाती है और इसीलिए ये गंदगी और कूड़े-करकट से बची रहती हैं।

संस्कृति का वैभव

एम्सटर्डम की दूसरी खासियत यहां बने कला संग्रहालय हैं। सही पूछिए तो यही इस शहर के सांस्कृतिक वैभव के मुख्य प्रतीक हैं। गौरतलब है कि रेम्ब्रांट और वान गॉग जैसे कई बड़े चित्रकार इस शहर में हो चुके हैं। संस्कृति जगत के खोजियों के लिए इन संग्रहालयों के पास बहुत कुछ है। ऐसे कई चित्रकारों की कृतियां इन संग्रहालयों में संरक्षित हैं। रेम्ब्रांट की दुनिया भर में चर्चित चित्रकृति ‘नाइटवाच’ रिक्सम्यूजियम में संरक्षित है। यही नहीं, पिछली पांच शताब्दियों में हुए कई महत्वपूर्ण चित्रकारों की कृतियां, स्कल्प्चर और मध्यकालीन लोककला के नमूने यहां उपलब्ध हैं। वस्तुत: डच संस्कृति के इतिहास के अध्ययन के लिए इससे अच्छी जगह नहीं हो सकती है।

समुद्री जहाजों का राष्ट्रीय संग्रहालय शीपवार्त म्यूजियम यहां का दूसरा महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। आयमीर और ऐम्सटेल नदियों के संगम पर स्थित यह संग्रहालय ऐम्सटर्डम सेंट्रल रेलवे स्टेशन से सटे है। यहां समुद्री नावों और जहाजों के सैकड़ों नमूनों को प्रदर्शन के लिए रखा गया है। समुद्री परिवहन के लिए डच लोगों द्वारा 15वीं शताब्दी से अब तक उपयोग में लाई गई सभी तरह की नावें और जहाज यहां उपलब्ध हैं। यहां न केवल स्थानीय सांस्कृतिक, बल्कि तकनीकी इतिहास के भी कई अनछुए पहलू उजागर होते हैं। एक और महत्वपूर्ण स्थल एनी फ्रांक का घर भी है। इसे भी यहां राष्ट्रीय महत्व के संग्रहालय का दर्जा दिया गया है। एनी फ्रांक एक यहूदी लड़की थी, जो नाजियों के हमले के दौरान दो साल से अधिक समय तक यहां अपने पूरे परिवार के साथ छिप कर रही थी। इस घर में अन्य चीजों के साथ एनी फ्रांक की डायरी के पन्ने भी प्रदर्शित किए गए हैं। ये पन्ने इस बात को उजागर करते हैं कि जब नाजी एम्सटर्डम पर काबिज थे तो उन्होंने यहां के स्थानीय लोगों पर कैसे-कैसे अत्याचार किए। इसे ‘सीक्रेट अनेक्स’ नाम दिया गया है। यहां मैग्ना प्लाजा, रॉयल पैलेस और द न्यू चर्च भी देखने लायक जगहें हैं। यहां एक प्रदर्शनी स्थल न्यूवेकर्क भी है, जहां समय-समय पर कला-संस्कृति की विभिन्न विधाओं की प्रदर्शनियां लगती रहती हैं।

एक शहर सुधियों का

पुराने जमाने का हॉलैंड अगर आप देखना चाहते हैं तो मास्टि्रच जरूर जाएं। इस देश का परंपरागत वैभव संस्कृति के तल पर अगर एम्सटर्डम में मौजूद है तो सभ्यता के तल पर मास्टि्रच इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। पुराने जमाने के बने घर, दीवारें, गिरजाघर और टाउन हॉल आदि कुल मिला कर यहां एक पुराने शहर का पूरा माहौल उपस्थित कर देती हैं। रहस्य की एक बात आपको यह भी बता दें कि ये चीजें वस्तुत: पुराने जमाने की ही हैं नहीं। दरअसल दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब इस शहर का पुनरुद्धार किया गया उस समय इस बात का पूरा खयाल रखा गया कि इसका मौलिक चरित्र किसी भी तरह से नष्ट न होने पाए। इसीलिए नए सिरे से निर्माण करते हुए पुरानी चीजों को बहुत करीने से संरक्षित रखा गया। यहां तक कि लोगों ने भी अपने स्वभाव में अपनी परंपरागत गरिमा को संजो कर रखा हुआ है और यही वजह है कि यहां आने वाला शख्स शहर के प्रति अपने भीतर एक सुखद एहसास लेकर जाता है।

हॉलैंड के दक्षिणपूर्वी कोने पर बसे इस शहर में आधुनिकता का वैभव भी भरपूर है। वस्तुत: मास्टि्रच एक जमाने में बहुत संपन्न शहर था और इसकी संपन्नता के प्रमाण यहां अभी भी मौजूद हैं। इतिहासप्रेमी घुमक्कड़ों के लिए यहां दो मोर्चाबंद किले खास तौर से दर्शनीय हैं। होज फ्रॉन्टेन, जिसे द डयू मोलिन लाइन के नाम से भी जाना जाता है शहर के उत्तर पश्चिमी किनारे पर मौजूद है। जबकि वाल्डेक बैशन दक्षिण-पश्चिमी भाग में है। होज फ्रॉन्टेन की बाहरी और भीतरी दीवारें मिलकर भीतर एक गुफा जैसा दृश्य बनाती हैं। इसके भीतरी दीवारों में बंदूकधारी सैनिकों के लिए चाक-चौबंद होकर बैठने की व्यवस्था भी है। भीतर चलते हुए हर कदम पर ऐसा लगता है जैसे अभी पकड़ लिए जाएंगे। दूसरा वाल्डेक बैशन एक छोटा किला है। यह जेकर और मास नदियों के संगम पर बना है और बाहर से देखने पर अत्यंत सुंदर लगता है। ये दोनों किले आम दर्शकों के लिए खास अवसरों पर ही खोले जाते हैं। मास्टि्रच का विश्वविद्यालय चौक वाल्डेकपार्क के निकट है। इसके चारों तरफ बने लाल ईटों वाले घर हर समय किसी पुराने शहर में होने का एहसास दिलाते रहते हैं। इसके आसपास पुरानी शैली के कुछ पुल और पार्क भी बने हैं। इसे अच्छी तरह देखने के लिए बेहतर होगा कि आप दक्षिण की ओर से चल कर पूरब की ओर आएं।

यहां नॉलेन पार्क खास तौर से घूमने लायक है। यह किलेबंदी जैसी वास्तुयोजना तहत बसे इस शहर की तीसरी दीवार के बाहरी छोर पर है। इस दीवार को डेर्डे ओमवालिंग के नाम से जाना जाता है। पार्क के बीचोबीच बना एक पुराना गेटवे, किनारे पर सफेद पत्थरों की बनी दो मीनारें और दो तालाब इसे एक अलग ही रूप देते हैं। शहर की पहली दीवार को ए‌र्स्ट ओमवालिंग के नाम से जाना जाता है। इस पर पूरब की ओर मुखातिब तोपों का एक पूरा जखीरा तैनात है। ट्वीड ओमवालिंग के नाम से मशहूर दूसरी दीवार शहर के उत्तरी किनारे पर डेर्डे के समानांतर बनी है। इसके सिरे पर मौजूद एक टॉवर पर लगी स्थापत्य पट्टिका बताती है कि इसका निर्माण सन् 1229 में हुआ है।

शहर के निचले हिस्से में मौजूद कुछ बाजार भी पुराने जमाने की याद दिलाते हैं। ओल्ड लेडी ऑफ द रिवर के नाम से यहां मशहूर एक चर्च द होली मदर बैसिलिका भी अपने आप में अनूठी जगह है। इससे जुडे़ संग्रहालय में यहां की पुरानी संपदा का अच्छा संग्रह है। इसके स्टाडुस चौक पर लगी स्टाडुस की प्रतिमा किंवदतियों में इस शहर की आस्था को उजागर करती है। स्टाडुस के बारे में ठीक-ठीक जानकारी किसी को नहीं है, पर उनके बारे में किंवदतियां खूब हैं। स्टाडुस के हाथ में एक मशाल है। यह मशाल कोई कांक्रीट की बनी हुई नहीं, बल्कि सचमुच की जलती हुई मशाल है। इसके पास ही सफेद सितारों से जड़ा लाल रंग का झंडा भी फहराता है, जो मास्टि्रच शहर का प्रतीक है। यहां मौजूद सेंट जांस्कर्क चर्च युद्ध की विभीषिका का गवाह है। जबकि सेंट सर्वास्बासिलिएक चर्च से जुड़ा एक संग्रहालय शहर के सांस्कृतिक वैभव का गवाह है।

न्याय और शांति के महल

अंतरराष्ट्रीय अदालत के लिए मशहूर द हेग शहर वैसे तो अपने कूटनीतिक तेवर के लिए जाना जाता है, पर यहां इसके अलावा भी बहुत कुछ है। डच पार्लियामेंट और एम्बेसी क्वाटर्स के अलावा यहां बनी राष्ट्रीय महत्व की कई सुंदर इमारतें आकर्षण की खास केंद्रबिंदु हैं। इसका रेलवे स्टेशन शहर के दक्षिणी हिस्से में है, जो मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्र है। स्टेशन के चारों तरफ ऊंची-ऊंची इमारतें हैं।

एम्बेसी क्वाटर्स की शुरुआत ग्रोट कर्क से होती है। इसके सिरे पर बना हाग्स टॉरेन दूर से ही दिखाई देता है। यह लाल ईटों से बना एक ऊंचा टॉवर है। इसके आगे प्रिंजेनपलास में छोटा सा खूबसूरत पार्क है। इसी क्षेत्र में स्थित अन्ना पॉलोवा चौक पर अन्ना पॉलोवा का स्मारक है। वहां एक छोटे से पार्क में बेंच पर बैठी हुई शांत मुद्रा में अन्ना पॉलोवा की प्रतिमा स्थापित है। इस पार्क के चारों तरफ सुंदर अपार्टमेंट बने हैं और इनमें से अधिकतर पर दूतावासों का कब्जा है। यहां के सबसे आकर्षक है पैलेस ऑफ पीस। युद्धबंदियों के मामलों पर फैसले करने वाले अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण यहीं हैं।

समुद्रतटीय कस्बा शेवेनेंजिन यहां से कुछ ही दूर है। यहां एक अत्याधुनिक सभागार है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हेग के नाजियों से मुक्त कराए जाने की स्मृति में ‘तेरह फरवरी’ का स्मारक भी यहीं है। इससे थोड़ी ही दूरी पर स्थित डच संसद बिनेनहॉफ भी सुंदरता की दृष्टि से बेजोड़ है। इसका भीतरी चौक आम जनता के लिए हमेशा खुला रहता है। बिनेनहॉफ के पीछे मॉरिशस संग्रहालय है और इसके बाद पैलेस ऑफ जस्टिस। वस्तुत: हॉलैंड के शहरों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबसे महत्वपूर्ण निभाने वाला हेग ही है।

रोटर्डम

अगर आप बड़े शहर में घूमते हुए छोटे शहर में होने के एहसास का मजा लेना चाहें तो फिर एक बार रोटर्डम जरूर हो आएं। यूरोप का एक प्रमुख व्यावसायिक होने के बावजूद, यहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके नाते शांतिप्रिय लोग बड़े शहरों में जाने से घबराते हैं। न तो यहां गंदगी है, न बेतरतीब और बेतहाशा भीड़, न एक जैसी ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच फंस जाने से उत्पन्न होने वाला उबाऊ व दमघोंटू वातावरण और न ही स्थानीय लोगों के निस्संग अजनबीपन से भरे व्यवहार के कारण यात्री मन को सालता अकेलापन। चुंबक की तरह आंखों से चिपक जाने वाले प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर इस  महानगर के लोगों के व्यवहार में परदेसियों के लिए भी एक शालीन किस्म अपनापन  दिखता है।

मास नदी के किनारे बसे इस शहर के चारों तरफ कई द्वीप हैं। वस्तुत: मास एक बेहद चौड़ी नदी है। दोपहर के समय देखने पर तो यह समुद्र जैसी लगती है। शहर के बाहरी सिरे पर इस नदी से लगे एक दर्जन से ज्यादा बंदरगाह हैं। इसी नदी से निकल कर एक बड़ी नहर शहर के भीतर गई है। रेलवे स्टेशन शहर के उत्तरी भाग में है, जो अपेक्षाकृत नीचा है। स्टेशन से बाहर निकलते यहां का मुख्य बाजार है। दिल्ली के कनॉट प्लेस की तरह आठ खंडों में बंटा यह बाजार वास्तुयोजना, स्थापत्य और सुविधाओं, हर दृष्टि से अत्याधुनिक है। इनमें ज्यादातर भवन नए और स्थापत्य की दृष्टि से अनूठे हैं। शहर के इस निचले हिस्से में वैसे तो ज्यादातर चीजें नई हैं, लेकिन पुराने भवनों को भी यहां बड़े करीने से संजो कर रखा गया है, जो शहर को अलग चरित्र देता है। इसके पूर्वी हिस्से में कई रेस्टोरेंट और कैफे हैं। इसके पास ही बिनेनरॉट है, जहां हर रविवार को साप्ताहिक बाजार लगता है। सभी बाजारों के आसपास आवासीय मकान भी बने हैं। 17वीं-18वीं शताब्दी में लाल ईटों से बने ये मकान भी इस शहर की ऐतिहासिक गरिमा का एहसास दिलाते हैं।

नदी के किनारे स्थित विनावेन यहां मौज-मस्ती के लिए सबसे अच्छी जगह है। रोटर्डम का सुप्रसिद्ध जलपोत संग्रहालय भी यहीं है। प्राचीन संस्कृति से प्रभावित इस इलाके पुराने ढंग के कई बार और क्लब भी हैं। दिन में यह इलाका आम तौर पर शांत होता है, जबकि रात में यहां चहल-पहल होती है। रोटर्डम में धातु की बनी कई बड़ी और महत्वपूर्ण प्रतिभाएं भी हैं। शहर के आर्किटेक्चरल इंस्टीटयूट में लगी एक प्रतिमा ऐसी प्रतिमा बहुत सुंदर है। इससे थोड़ी ही दूरी पर म्यूजियम पार्क है। यहां रोटर्डम के कलावैभव को प्रदर्शित करने वाले कई संग्रहालय हैं। इससे थोड़ा और आगे स्थित हेटपार्क में स्थानीय स्तर पर चर्चित कई महत्वपूर्ण लोगों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां बत्तखों और कई और पक्षियों से भरा एक छोटा सा तालाब और टहलने के लिए घास का सुंदर मैदान भी है।

जब ऊबें आधुनिकता से

ऊंचे-ऊंचे मकानों, बेतहाशा भीड़, कल-कारखानों, बदनाम रेड लाइट इलाके और खुलेआम समलैंगिक संबंधों के स्वीकार वाले निहायत उत्तर आधुनिक एम्सटर्डम शहर से ऊबकर अगर आप तुरंत उसका विकल्प चाहें तो सीधे यूट्रेच चले जाएं। यह एम्सटर्डम से दक्षिण पूर्व दिशा में थोड़ी ही दूरी पर यह शहर बसा है। यहां बाजार, नहरें, रेस्टोरेंट और प्राकृतिक परिवेश- सब कुछ भीड़ से मुक्त और पारंपरिक शिष्टाचार से युक्त है। घने बसे इस छोटे शहर में एक अलग तरह की शांति है। पुरानी नहर के किनारे बने लाल ईटों वाले फुटपाथ से सटे तमाम दुकानें हैं। नहर संकरी और गहरी है। इसमें यात्री नावें प्राय: आती-जाती रहती हैं। बहुत पहले यहां कई बार भयावह बाढ़ आ चुकी है, पर अब नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर बाढ़ पर काबू पा लिया गया है। पानी एक निश्चित स्तर से अधिक बढ़ने ही नहीं पाता। यहां फूलों का प्रसिद्ध बाजार भी है, जिसे बेकर्सबग कहते हैं। हुग कैथरीन यहां का सबसे बड़ा आधुनिक बाजार है, जो रेलवे स्टेशन से सटे है। शहर का दक्षिणी इलाका अपेक्षाकृत नीचा है और इसके बीचोबीच स्थित है यहां की स्थापत्य कला एक महत्वपूर्ण नमूना डॉम टॉवर। देखने में यह किसी बड़े निर्माण के छोटे हिस्से जैसा लगता है। लेकिन वस्तुत: ऐसा है नहीं। दर्शक इसकी दूसरी मंजिल तक चढ़कर शहर का नजारा ले सकते हैं, लेकिन इस पर चढ़ने की अनुमति मुश्किल से ही मिल पाती है। यहां का एक और मुख्य आकर्षण डॉम कर्क है। यह प्रोटेस्टेंट चर्च है और इसके पास ही एपिस्कोपल पैलेस है। यह महल अब स्थानीय विश्वविद्यालय को सौंप दिया गया है। इसके आग म्यूजियम हाफ है। इसे म्यूजियम हाफ कहने का कारण दरअसल यह है कि वस्तुत: यह पूरे शहर का आधा क्षेत्रफल घेरे हुए है और इस पूरे इलाके में तरह-तरह की चीजों से भरे कई संग्रहालय हैं। इसके सेंट्रल म्यूजियम का भवन भी बेजोड़ है। जबकि वाटर टॉवर म्यूजियम एक बड़े तालाब के बीच बने टॉवर में स्थित है। मुख्य नहर के पूर्वी छोर पर स्थित रेलरोड म्यूजियम भी अत्यंत आकर्षक है।

इस शहर की एक और बड़ी खासियत लॉम्बॉक जिला है। दुकानों और रेस्टोरेंटों से भरा यह इलाका यूट्रेच के एथनिक वैविध्य का सबसे जीवंत नमूना है। यहां इंडोनेशिया, थोईलैंड, तुर्की, सूरीनाम और अफ्रीका के बने कई सामान सस्ते दाम पर मिल सकते हैं। इसके पास ही स्थित रेलवे स्टेशन के पश्चिम तरफ जारब्यूर्स नाम का खूबसूरत थियेटर है। सचमुच, हॉलैंड में कला और इतिहास के प्रेमियों के देखने के लिए बहुत कुछ है। यूं तो यहां कितने भी दिनों तक घूम कर मन नहीं भरता, पर पूरे देश के भीतर कहीं से कहीं तक भी आने-जाने के लिए यातायात के तमाम साधन होने के कारण थोड़ी सी अवधि में भी इसे पूरा घूमा जा सकता है। यह अलग बात है कि यहां कितना भी घूम कर बार-बार आने का मन बना ही रहता है।

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