हांगकांग: गगनचुंबिओं की धरती

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मनुष्य की जिज्ञासा, उसे कहां-कहां नही ले जाती। इसी जिज्ञासावश अमेरिका से भारत वापसी के मार्ग में हमने हांगकांग भ्रमण का कार्यक्रम बना लिया। हांगकांग को गगनचुंबी इमारतों का देश या लैंड ऑफ स्काई स्क्रेपर्स भी कहा जाता है। इसका नजारा हमने हांगकांग हवाईअड्डे पर उतरने से पूर्व ही देख लिया। विमान की खिड़की से हमें पहले बादलों के नीचे से नीला समुद्र, भूरी पहाडि़यां और हरे-भरे खेत दिखे और फिर धरती के सीने पर पंक्तिबद्ध खड़ी उठ हुई उंगलियों की तरह बहुमंजिली इमारतों का दीदार हुआ। नीचे उतरे तो धीरे-धीरे इन गगनचुंबी इमारतों ने अपना वास्तविक आकार ले लिया। पूरे हांगकांग में इन बहुमंजिली गगनचुंबी इमारतों का जाल बिछा हुआ है। आधुनिक हांगकांग में पुरानी ऐतिहासिक इमारतें बहुत कम रह गई हैं। पिछले पचास वर्षो में पुरानी सभी इमारतें गिरा दी गई हैं और शहर आधुनिक वास्तुशिल्प का एक आकर्षक केंद्र बन गया है क्योंकि सभी पुरानी इमारतों का स्थान ले लिया है विशाल गगनचुंबी इमारतों ने। गर्दन उठाकर देखें तो विक्टोरिया बंदरगाह के तट पर स्थित ऊंची व्यापारिक इमारतें आकाश को भेदती हुई प्रतीत होती हैं।

हांगकांग की सबसे प्रसिद्ध और विशाल इमारत है बैंक ऑफ चायना टावरजिसमें टॉप पर एक नुकीला एंगल लगा है। कहा जाता है कि यह फेन शुई की नकारात्मक ऊर्जा को हांगकांग के हृदय स्थल पर डालता है ऐसा विवाद हांगकांग में इसके निर्माण के बाद से ही जोरों पर रहा। इसके पास ही एचएसबीसी के मुख्यालय की इमारत भी अपनी ऊंचाई और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा हांगकांग के अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे की इमारत यहां की सबसे ऊंची इमारत है। आवासीय इमारतों में सबसे ऊंची है 120 मंजिलों वाली इमारत जिसमें अस्सी हजार लोग निवास करते है। यह दुनिया की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी है। इन बहुमंजिली इमारतों के कारण हांगकांग दुनिया का जनसंख्या के सबसे अधिक घनत्व वाला देश है। हांगकांग की सैर का सुखद अवसर हमें उस समय मिला जब हांगकांग के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंच कर हमें दूसरी उड़ान के लिए इंतजार करना पड़ा।

लॉस एंजेलिस से भारत वापसी में हमें दूसरी उड़ान के लिए हांगकांग में लगभग 16 घंटे (सवेरे साढ़े पांच बजे से रात साढ़े दस बजे तक) प्रतीक्षा करनी थी। लिहाजा हमने अमेरिका में बैठे-बैठे ही हांगकांग की टूरिस्ट बस की बुकिंग करा ली जो हांगकांग हवाईअड्डे से ही चलती है। बस से हांगकांग के प्रमुख स्थलों की सैर के बाद हवाई अड्डे तक वापसी मेट्रो रेल से होती है जिसका टिकट इस यात्रा के साथ फ्री मिलता है। हम लोग सवेरे हांगकांग पहुंचे। हवाईअड्डे पर ही तैयार होकर ट्रांजिट टूर काउंटर पर गए। यहां से हमें बस तक ले जाया गया। एयरकंडीशंड बस में गाइड की सुविधा भी थी।
द्वीपों का समूह
पर्यटन बस का गाइड एक हंसमुख चीनी व्यक्ति था जिसे अंग्रेजी भी बहुत अच्छी आती थी। उसने पहले हमारे स्वागत में एक अंग्रेजी गीत गाया और उसके बाद बताना शुरू किया कि हांगकांग दक्षिणी चीनी सागर में 236 द्वीपों का समूह है जिनमें मुख्य है हांगकांग द्वीप, कोलून व न्यू टेरेटरीज। चीन की मुख्य भूमि और न्यू टेरेटरीज के बीच शाम चुन नदी बहती है। लैन्चु द्वीप यहां का सबसे बड़ा टापू है। हांगकांग शुरू से ही चीन का हिस्सा रहा है। यह एक प्रमुख व्यापारिक बंदरगाह था। चीन व ब्रिटेन के बीच अफीम की लड़ाई के बाद 19वीं सदी में इस पर ब्रिटेन ने अधिकार कर लिया था। 1898 में ब्रिटेन ने लैन्चू द्वीप को 99 साल के लीज पर चीन से हासिल कर लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साढ़े तीन साल के लिए जापान का इस क्षेत्र पर अधिकार स्थापित हो गया। 15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के बाद हांगकांग ने तेजी से उन्नति की। चीन व ब्रिटेन की संयुक्त घोषणा के अनुसार 1 जुलाई 1997 को हांगकांग ने ब्रिटिश दासता से मुक्ति प्राप्त की और हांगकांग जनवादी चीनी गणतन्त्र का विशेष प्रशासकीय क्षेत्र बन गया। संयोगवश हम हांगकांग के स्वतंन्त्रता दिवस 1 जुलाई को ही हांगकांग दर्शन पर निकले हुए थे।

हांगकांग की विशिष्ट भौगोलिक व्यापारिक व राजनैतिक स्थिति के कारण आजकल इसे चीन का प्रवेश द्वार कहा जाता है। हांगकांग शब्द का साहित्यिक अर्थ है ‘सुगंधित बंदरगाह’। हांगकांग पहले एक विशिष्ट प्रकार की सुगंधित लकड़ी के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था जिसे चीनी टून कहा जाता था। भारी मात्रा में इस सुगंधित लकड़ी का हांगकांग से निर्यात होता था लिहाजा इसे चीनी भाषा में ‘हैंग गैंग’ या सुगंधित बंदरगाह कहा जाने लगा। कालांतर में हैंग गैंग शब्द ही हांगकांग नाम से प्रचलित हो गया।
दिलकश नज़ारे
टूरिस्ट बस हमें सबसे पहले हांगकांग लैन्चु लिंक व्यू प्वाइंट ले गई जहां से हमने शाम को चुन नदी के ऊपर स्थित शिंग मा ब्रिज को देखा जो विश्व का विशालतम केबिल निर्मित पुल है जिसमें रेल लाइन और पैदल पथ दोनों ही है। यह आधुनिक तकनीक का अद्वितीय नमूना है। थोड़ी देर बाद इसी पुल के ऊपर से गुजरते हुए हमने दो और केबिल निर्मित पुल देखे-काप श्यू मुन और तिंग काड। ये पुल भव्य और सुंदर तो हैं ही, साथ ही हांगकांग के तकनीकी विकास के प्रतीक भी। ये हांगकांग के विभिन्न क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। पुल से होते हुए हम छोटी सी पहाड़ी पर स्थित एक सुंदर पार्क पहुंचे जिसका नाम है नैन व्यूलिंग पार्क। पार्क में हरे भरे लॉन, फूलों से लदी क्यारियां व फव्वारों के अतिरिक्त आकर्षक मूर्तियां और डिज्नी के कार्टून की प्रतिमूर्तियां भी हैं। यहां से हांगकांग की पुष्प भरी वादियों का दृश्य मन मोह लेता है जहां वर्ष भर एक प्रकार का फूल खिला रहता है जिसे यहां की भाषा में बौहनिया ब्लैकिना कहते हैं। बौहनिया ब्लैकिना हांगकांग का राष्ट्रीय पुष्प है और प्रतीक चिन्ह भी है। हांगकांग में अधिसंख्यक जनसंख्या बहुमंजिली इमारतों में ही निवास करती है। लिहाजा जमीन का साठ फीसदी हिस्सा खुला है। इस कारण यह एशिया का सबसे हरियाला शहर है। यहां की पहाडि़यों पर स्थित पार्क में लोग सैर सपाटे व कैम्पिंग का आनंद लेते हैं। हमारा दूसरा गंतव्य स्थल था समुद्र तट पर स्थित सिम शा सुई डेक जो पर्यटकों के लिए मनोरम विहार स्थल है। वे वाटर पर वातानुकूलित स्टीमर में बैठकर समुद्र के घूमने का आनंद अद्वितीय है यहां से नीले समुद्र में घूमते हुए हांगकांग का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है।

हांगकांग का अगला आकर्षण है हॉलीवुड रोड। यहां रास्ते के दोनों ओर आधुनिकतम वस्तुओं से लेकर  पुरातत्व की वस्तुओं व कलाकृतियों से सुसज्जित भव्य दुकानें बरबस आपका ध्यान खींचती हैं। हांगकांग के बौद्ध मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है मान मो मंदिर और हुंग शिंग मंदिर। मान मो मंदिर लगभग तीन सौ वर्ष पुराना है। नैनय्यू स्थित बुद्ध की विशाल मूर्ति भी दर्शनीय है। हांगकांग चीनी गणतन्त्र का एक प्रशासकीय क्षेत्र होते हुए भी पर्याप्त स्वायत्तता का उपभोग करता है। ‘एक देश, दो पद्धति’ की नीति के तहत हांगकांग की अपनी पृथक न्याय पद्धति, मुद्रा प्रणाली, कस्टम पद्धति व प्रवासी कानून है। यहां कि स्वतंत्र और उदार अर्थनीति शुल्क मुक्त व्यवस्था पर आधारित है। हांगकांग इसीलिए दुनिया का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और विशालतम बैंकिंग केंद्रों में एक है। ऐतिहासिक विक्टोरिया शहर के पास स्थित सेन्ट्रल हांगकांग यहां की राजनीति और प्रशासन का केंद्र है। हांगकांग निवासियों में लगभग 96 प्रतिशत जनता चीनी है शेष 4 प्रतिशत गैर चीनी होते हुए भी यहां विशेष महत्व रखते हैं। यहां चीनी भाषा के  साथ अंग्रेजी का विशेष प्रचलन है। यहां एक सार्वभौम संस्कृति का दर्शन होता है जो अभूतपूर्व है। इसी कारण हांगकांग को ‘पूर्व और पश्चिम का मिलन बिंदु’ भी कहा जाता है। हमारे हांगकांग सैर की समाप्ति सेंट्रल में हांगकांग स्टेशन पर हुई जहां हमें हांगकांग हवाईअड्डे तक पहुंचने के लिए एयरपोर्ट एक्सप्रेस ट्रेन की टिकट दी गई। यह रेल यात्रा भी हांगकांग दर्शन का ही एक अंग था। ट्रेन ने केवल 23 मिनट में हमें हवाईअड्डे पर पहुंचा दिया। शाम हो चुकी थी और हम इंद्रधनुषी रोशनी से सुसज्जित दुनिया के विशालतम व सुंदरतम हवाईअड्डों में से एक की सैर के लिए तैयार थे। विशेष बात यह कि हवाईअड्डा एक हवाई जहाज के आकार की ही भूमि पर बना हुआ है। यह केवल दुनिया भर के विमानों के उतरने और उड़ान भरने का ही एक स्थल मात्र नहीं है वरन यात्रियों के ठहरने, खाने-पीने, मौज-मस्ती करने व मनचाही खरीदारी की भी यहां विशेष व्यवस्थाएं हैं। बिना खरीदारी भी यहां टाइम पास के लिए घूमते रहने का आनंद किसी स्वप्नलोक में विचरण करने के समान है। हांगकांग भले ही चीन का हिस्सा है लेकिन कई मामले में उसे स्वायत्तता हासिल है। वीजा के मामले में भी यह बात लागू होती है। यहां आने के लिए वीजा लेना आसान है, लेकिन चीन के मुख्य इलाके में जाने के लिए अलग से वीजा लेना होगा। हांगकांग से चीन या मकाऊ जाने के लिए फेरी सेवा भी उपलब्ध है। वैसे चीन जाने के लिए सड़क व रेल मार्ग भी हैं। हांगकांग स्टार क्रूज का भी एक प्रमुख केंद्र है। दिल्ली व मुंबई से हांगकांग के लिए कई देशी-विदेशी एयरलाइंसों की रोजाना सीधी उड़ानें हैं। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में समय रहते बुकिंग कराई जाए तो किराए भी कुछ खास नहीं

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