

- Round Trip
- One Way


![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
Select Your Theme
Number of Guest
Specify ages of children at time of travel:
मुख पृष्ठ » पूर्व भारत » उड़ीसा » कोरापुट »
अपनी शांति, सुंदरता व धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध उड़ीसा की पहचान सिर्फ खूबसूरत समुद तटों, स्थापत्य के नमूनों, झीलों और लैगूनों तक ही सीमित नहीं है। दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण के कई केंद्र यहां हैं। वैसे तो उड़ीसा का पूरा दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र ही सुंदरता का प्रतिमान है, लेकिन खास तौर से कोरापुट जिले को तो यहां स्वर्ग का टुकड़ा ही कहा जाता है। मनुष्य और प्रकृति के लयबद्ध सह अस्तित्व का ऐसा ऩजारा अन्यत्र दुर्लभ है। यहां के मूल निवासी आज भी आधुनिक सभ्यता से बिलकुल प्रभावित हुए बिना प्रकृति की गोद में ही रहना पसंद करते हैं। यहां आकर पता चलता है कि उड़ीसा के जनजीवन और प्रकृति में अभी ऐसे बहुत सारे रहस्य हैं जिन्हें जानना शेष है। अगर आप इन भोले-भाले लोगों को इनके प्राकृतिक परिवेश में देखना चाहते हैं तो आपको कोरापुट और रायगदा जिले के घने जंगलों में मौजूद इनके घरों तक आना होगा। रायगदा भी पहले कोरापुट जिले का ही हिस्सा था। इनके बा़जारों, पर्वो, उत्सवों और आयोजनों में हिस्सेदारी का अनुभव अनूठा है। उड़ीसा की 62 जनजातियों में से प्रमुख बोंडा, गड़वा, गोंडा, लंजिया, सौरा और डोंगरिया कंधास इन्हीं जंगलों के विभिन्न इलाकों में रहते हैं। इनके बीच आने का अनुभव बेहद रोमांचक होगा।
संस्कृति और परंपरा
यदि आप इनकी परंपराओं और संस्कृति को इनकी पूर्णता में देखना चाहते हैं तो बेहतर होगा इनके रंग-बिरंगे उत्सव पर्व में शामिल हों। 16 से 18 नवंबर तक चलने वाले इसके मुख्य उत्सव में 50 ह़जार से ज्यादा कलाकार व खिलाड़ी भाग लेते हैं। यह तमाम जनजातीय संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक साझा मंच है। उत्साहपूर्ण माहौल में होने वाली तमाम गतिविधियों नाते इसे उत्सवों का उत्सव कहा जाता है। यहां एक संग्रहालय में रखी कलाकृतियां जनजातीय संस्कृति की कलात्मक समृद्धि का बयान करती हैं।
यहां एक और आकर्षक जगह है सबरा श्री क्षेत्र। यहां भगवान जगन्नाथ की पूजा उसी विधि-विधान से की जाती है जैसे पुरी स्थित मुख्य मंदिर में होती है। भगवान जगन्नाथ का यहां जो मंदिर है, वह वस्तुत: मुख्य मंदिर का जनजातीय स्वरूप है। जिले में मौजूद अन्य महत्वपूर्ण जगहों के भ्रमण के लिए कोरापुट को आधार स्थल माना जा सकता है। ये जगह हैं-
गुप्तेश्वर : कोरापुट से 80 किमी दूर स्थित इस स्थान पर एक प्राचीन गुफा में भगवान शिव का मंदिर है। इस मंदिर को ही गुप्तेश्वर कहते हैं। शिवरात्रि के दिन तमाम लोग भगवान शिव के दर्शन-पूजन के लिए यहां आते हैं।
दुदुमा वॉटरफॉल: दुदुमा आधुनिकता और परंपरा के जीवंत मेल का प्रतीक है। यहां मौजूद सुंदर वाटरफॉल मच्छकुंड को मत्स्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। 90 किमी की दूरी पर मौजूद दुदुमा में आदिवासी लोगों के ग्रामीण परिवेश वाले बा़जार भी कई हैं।
डुमुरीपुट: यहां भगवान श्रीराम का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमान जी की उड़ीसा में सबसे ऊंची है।
नंदापुर: यह गांव किसी समय पत्थरों की बनी दीवार से घिरा था, जिन पर कलाकृतियां खुदी थीं। इसके अवशेष अभी भी हैं। इसकी कथा महाराज विक्रमादित्य की सिंहासन बत्तीसी से जुड़ी है। दो कलात्मक पत्थरों के अलावा यहां 1.8 मीटर ऊंची गणेश जी की प्रतिमा भी है। मंदिर की दीवारों पर लगा एक शिलालेख भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि का बयान करता है।
सुअई: कोरापुट से 34किमी दूर सिमलीगुडा और नंदापुर के बीच मौजूद सुअई को जैन तीर्थकर ऋषभनाथ के मंदिर के लिए जाना जाता है। किसी जमाने में यह महत्वपूर्ण जैन तीर्थ था। यहां मौजूद संग्रहालय में जैन धर्म-दर्शन को चित्रित करने वाली कई कलाकृतियां हैं। कोरापुट में देखने के लिए
कई और जगहें भी हैं। देश का सबसे ऊंचा ब्रॉड गेज रेलवे टनेल मालीगुडा में मौजूद है, जो यहां से 77 किमी दूर है। व्यापारिक कस्बा जयपुर और कोलाब रे़जर्वायर भी देखने लायक जगहें हैं।
कुछ जानकारियां
कोरापुट पहुंचने के लिए भुवनेश्वर से रेल और बस दोनों तरह की सेवाएं हैं। वैसे यहां प्रकृति के सौंदर्य को ठीक से महसूस करने के लिए बेहतर होगा कि कोरापुट आप ट्रेन से ही आएं। इस तरह टनेल वाली रेलवे लाइनों से आते हुए आप प्रकृति की सुंदरता के साथ ही रेलवे इंजीनियरों के तकनीकी कमाल को भी देख सकेंगे। वैसे भुवनेश्वर से कोरापुट के लिए राज्य परिवहन की लग़्जरी बसें नियमित रूप से चलती हैं। आप खुद अपने साधनों से भी यहां आ सकते हैं। उड़ीसा पर्यटन विकास निगम और टूर ऑपरेटर भी कोरापुट व अन्य जिलों के लिए ट्रिप आयोजित करते हैं। कोरापुट के बारे में आप उड़ीसा सरकार के राज्य पर्यटन विभाग से भी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं। कोरापुट में सस्ते-महंगे सभी तरह के होटल और गेस्ट हाउस भी कई हैं। ठहरने के लिए अपने बजट के मुताबिक इनमें से किसी को भी चुना जा सकता है।