कई संस्कृतियों का संगम है मलक्का में

  • SocialTwist Tell-a-Friend

यूं तो मलेशिया में कई ऐसी जगहें हैं जहां आप समुद्री तटों, गगनचुम्बी इमारतों और अत्याधुनिक मनोरंजन के साधनों का लुत्फ उठाते हुए अपनी छुट्टियों का भरपूर आनंद ले सकते हैं। लेकिन मलेशिया में संपूर्ण एशिया का अहसास करना हो तो मलक्का से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। मलक्का मलेशिया का करीब 600 वर्ष पुराना राज्य है जहां का अद्भुत इतिहास, प्राचीन इमारतें, ल़जीज परंपरागत खाना और सांस्कृतिक विरासत-मलेशिया की ट्रूली एशिया संज्ञा को सार्थक बनाती है।

पिछले दिनों मलेशिया जाने का मौका मिला। पहले पेनांग जाना था फिर कुआलालंपुर होते हुए मलक्का आना था। मौका था चीनी लूनर यानी चंद्र नववर्ष के आयोजन का। मलेशिया सरकार ने यह समारोह मनाने के लिए मलक्का को चुना था। पुराने ऐतिहासिक शहर में भले ही आधुनिकता की चादर बिछी हो लेकिन जब यह समारोह मलक्का में हुआ तो चीनी संस्कृति में मलेशियाई इतने सराबोर थे कि ऐसा लगा मानो हम चीन में आ गए हों। इसी तरह मलक्का दिवाली के दिनों में हिंदुस्तान हो जाता है तो क्रिसमस के दिनों में ब्रिटेन का सा अहसास देता है। सभी धर्मो की संस्कृति का सम्मान करते हुए मलय लोग अपनी अलग परंपराओं व पहचान को भी कायम रखे हुए हैं। मलक्का को सबसे पहले सुमात्राई हिंदू राजकुमार रामेश्वर ने खोजा था। तब मसालों का व्यापार मलक्का बंदरगाह से ही होता था। यहां की किसी भी जगह पर जाएं, कुछ न कुछ नया मिलता जाएगा। पुर्तगालियों, डच, और ब्रितानी हुकूमत की गवाही देने वाली अनेक इमारतें आज भी वैसी ही खड़ी है जैसी 150 से 250 वर्ष पहले थी। लेकिन अब मलक्का में औद्योगिक विकास काफी ज्यादा हुआ है और वहां की सरकार का दावा है कि वर्ष 2010 तक यह पूरी तरह इंडस्ट्रीयल स्टेट बन जाएगा।    वैसे तो इस शहर में पुराने पुर्तगाली किले ए फामोसा फोर्ट, स्टैथायस-(डच गवर्नर का मकान), सेंट पीटर्स चर्च, बुकिट चायना (चायना हिल) सहित ढेरों जगहें देखने की है, लेकिन बाबा नोयना समुदाय को जानना बड़ा दिलचस्प लगा। यह समुदाय मलय व चीनी लोगों के मेल से नई पीढ़ी बनने से फला-फूला। भले ही यह समुदाय मलक्का में बस गया, लेकिन चीन व मलय संस्कृति का नया सम्मिश्रण यहां देखने को मिला। इस नई वंशावली में पुरुषों को बाबा और महिलाओं को नोन्या कहा जाने लगा। इन परिवार में भी यह नियम था कि महिलाओं के पैर छोटे हों, वह धीरे धीरे छोटे कदम लेकर चले। इसके लिए उनके पैरों की उंगलियों को कपड़े से बांधकर बढ़ने से रोका जाता था। मलक्का को जानने के लिए वहां की सरकार ने लाइट शो के जरिए पर्यटकों को लुभाने का सफल प्रयास भी किया है।    शहर को बढि़या तरीके से घूमने के लिए खूब रंगीन, सजे हुए रिक्शा पर सवारी एक यादगार पल बन गई। यह सस्ता भी पड़ता है और शहर की एक-एक गली में भी आप घूम कर आ सकते हैं। खासकर जब शॉपिंग स्ट्रीट में जाना हो तो ऐसे रिक्शा ही लिए जाएं।
शॉपिंग

मलक्का की यादगार चीज अपने साथ ले जानी हो तो वहां के मुख्य बाजारों में शाम के वक्त हाट लगता है जो शाम पांच बजे के बाद सजता है और वहां रात 12-1 बजे तक चहल पहल रहती है। यहां ऐतिहासिक प्रतीक चिह्नों से लेकर कपड़े और चाइनीज खिलौनों तक, सब कुछ मिल जाता है और दाम भी वाजिब। चूंकि मलक्का में चीनी न्यू ईयर मनाया जा रहा था तो लाल रंग से बाजार सजे थे। लाल रंग चीन में खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। वहां बिकने वाली वस्तुएं भी लाल रंग की ही ज्यादा थीं। चीनी ड्रेस, चीनी पंखे और शुभ यंत्र देखकर ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि यह मलक्का नहीं चीन है। खरीददारी के वक्त थोड़ा तोल-मोल कर लिया जाए तो फायदा होता है। नाइट स्ट्रीट के अलावा बड़े शॉपिंग मॉल भी यहां हैं। मेहकोटा परेड, जया जूस्को, द स्टोर और कोटामास शॉपिंग कांप्लेक्स घूमा जा सकता है। यह सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक खुले रहते हैं। लेकिन यदि मलक्का के हैंडीक्राफ्ट लेने हों तो इसके लिए अलग इम्पोरियम में भी जाया जा सकता है।

पानी में अठखेलियां
मलक्का शहर में ही आसपास कई ऐसे बीच हैं जहां आप परिवार के साथ पानी में खूब अठखेलियां कर सकते हैं। भारतीय तटों से तुलना करें तो मलेशिया में बीच बहुत साफ-सुथरे हैं। बच्चे हवा भरे खिलौनों, ट्यूब के साथ पानी में मस्ती तो कर ही सकते हैं वहीं तेज मोटर बोट व स्कूटर में लहरों के साथ घूमना भी रोमांच प्रदान करता है। कुछ जगहों पर मोटर बोट से पैराग्लाइडिंग भी करवाई जाती है। तेंजुंग केलिंग, पंटाई पुतेरी, क्लेबांग और बिंदारा बीच मलैका के प्रसिद्ध बीच हैं। क्लेबांग बीच पतंगबाजी के लिए लोकप्रिय है। मलक्का बंदरगाह के साथ ही छोटे-छोटे द्वीप भी हैं। यहां जैटी से पहुंचा जा सकता है। प्रकृति का आनंद उठाना हो तो पुलाऊ बेसर द्वीप बेहद खूबसूरत है।
स्वादिष्ट
सी फूड
मलक्का का खाना अपने खुशबू और स्वाद के कारण बेहद प्रसिद्ध है। वहां जितने समुदाय बस्ते हैं उतनी ही खाने की वैरायटी हैं। मलय खानपान से शुरू करें तो सैटे सेलप-यानि सीफूड में सबसे स्वादिष्ट पकवान, का जो जायका मलक्का के रेस्तरां में मिलेगा वह कहीं और नहीं मिल सकता। मूंगफली की सॉस में सीफूड को पका कर परोसते हैं तो इसकी खुशबू से ही स्वाद का अंदाजा लगाया जा सकता है। चाइनीज खाना तो लाजवाब मिलता ही है। नूडल्ज की ही ढेरों किस्में हैं। नोयना खानपान भी अनोखा है। चीन के खाने में मलय जड़ी-बूटियां व मसाले मिलाएं तो नोयना रेसीपी बन जाती है। ओटक-ओटक (मसाले वाली मच्छी के मीट को केले के पत्ते में ग्रिल किया जाता है) लोगों का पसंदीदा व्यंजन है। इसी तरह पुर्तगाली व भारतीय सीफूड भी यहां के रेस्तरां में परोसा जाता है।
कैसे
पहुंचें
मलक्का मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से 144 किमी दूर है। गाड़ी में दो घंटे में पहुंचा जा सकता है। मलक्का का सबसे पास का रेलवे स्टेशन बिगेरी सेंबिलेन 38 किमी दूर है। सुमात्रा व मलक्का के बीच फेरी भी चलती है। शहर में घूमने के लिए टैक्सी, एसी बसें, रिक्शा व साइकिल भी किराए पर मिल सकती हैं।
कब
जाएं
मलक्का सालभर में कभी भी जाया जा सकता है। यहां तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। ठहरने के लिए यहां हर बजट के होटल हैं और अलग अनुभव के लिए हैरीटेज होटल भी।

VN:F [1.9.1_1087]
Rating: 0.0/10 (0 votes cast)



Leave a Reply

    * Following fields are required

    उत्तर दर्ज करें

     (To type in english, unckeck the checkbox.)

आपके आस-पास

Jagran Yatra