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दिल्ली की गर्मी के साथ-साथ मेरा गुस्सा भी अपने पतिदेव पर बढ़ रहा था, छुट्टी के लिए समय निकालना तो जैसे उन्होंने कभी सीखा ही नहीं था। हमारे दोस्त संदीप और पूर्णिमा पिछले पंद्रह दिनों से पीछे पड़े थे कि कहीं छुट्टी पर चलो। बात यूरोप, अमेरिका से होते-होते मॉरिशस पर आ पहुंची क्योंकि मेरे पति आलोक सिर्फ सात दिन की छुट्टी ही लेना चाहते थे। बहुत मुश्किल से ट्रेवल एजेंट के जरिए हमने बुकिंग कराई। दिल्ली में कुछ शॉपिंग कर हम चारों मॉरिशस के लिये निकल पड़े। सप्ताह में एक ही बार मॉरिशस के लिए दिल्ली से फ्लाइट है इसीलिए छुट्टी सात ही दिन की ली जा सकती थी।
यादगार सफर
फ्लाइट पर मॉरिशस के बारे में एक पत्रिका में पढ़ते हुए पता चला ‘कलात्मक और खूबसूरत मूंगे की चट्टान से बना मॉरिशस भारत के दक्षिण में स्थित है। 720 स्क्वायर मील का यह टापू हिंद महासागर के बीच में है। यहां 1000 मील से ज्यादा लंबी और खूबसूरत सड़कें हैं, जिनके दोनों ओर बोगेनवेलिया और फ्लेम के खूबसूरत पौधे लगे हुए हैं। सुंदर पर्वत, गहरी घाटियां, घने जंगल, बलखाती नदियां, जलप्रपात, आकाश में टिमटिमाते सितारे और इंद्रधनुष, हरियाली से घिरे गांव मॉरिशस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।
मूंगे का समुद्र तट देख लगता है मानो किसी ने उस पर सुनहरा पाउडर बिखेर दिया है। इसके तटों पर नारियल, ताड़ और सुपारी के विशाल पेड़ों की भरमार है। नीले, हरे, कई रंग झलकते हैं यहां के समुद्री पानी में। पानी की सौम्यता और निर्मलता के कारण पारदर्शी हो उठता है सारा वातावरण।’ यह सब पढ़कर लगा कि तुरंत मॉरिशस पहुंच जाएं।
मॉरिशस में लैंडिंग
मॉरिशस के ‘सर शिवोसागर रामगुलाम इंटरनेशनल एयरपोर्ट‘ पर लैंड करने के बाद जब हम बाहर निकले तो वहां की ठंडी और साफ हवा में सांस लेते ही मन तरोताजा हो गया। होटल की गाड़ी हमें एयरपोर्ट पर लेने आई हुई थी। उसमें बैठकर हम चालीस मिनट की दूरी पर स्थित रेडिसन होटल के लिए निकल पड़े। दूर तक फैली हुई हरियाली, कुछ छोटी एवं कुछ ऊंची पहाडि़यों को देखकर मन में इंडियन ओशियन का दीदार करने की तीव्र इच्छा हो रही थी।
होटल पहुंच हमने जल्दी-जल्दी अपना सामान कमरों में रखवाया और निकल पड़े बीच पर दौड़ लगाने। नीला और हरा समुद्र देख मन खुश हो गया। मॉरिशस विश्व का ऐसा दर्शनीय स्थल है जहां पूरे वर्ष समुद्री स्नान का आनंद उठाया जा सकता है। होटल के ही बीच पर वाटर स्पोर्टस करने की इच्छा हो उठी और हम लोग रबड़ बोट पर बैठकर समुद्र में दौड़ लगाने लगे।
टूरिस्ट फन
मॉरिशस में हर तरह के वाटर स्पोर्टस की सुविधाएं हैं। वाटर स्कींग, विंड सर्फ, कायाब्स, डीपसी ड्राइविंग इत्यादि। समुद्र केतल को देखने की इच्छा हम लोगों को ग्रेंड वे खींच ले गई। यहां एक विशेष तरीके का सूट पहनकर हम लोगों ने समुद्र के तल पर चहलकदमी की। अगर पीछे लगा ऑक्सीजन का सिलेंडर खत्म न हो रहा होता और बोट वाला बार-बार ऊपर आने के लिए इशारा न कर रहा होता तो हम चारों वहां एक-दो घंटा और बिता देते।
बीच पर दौड़ लगाने और समुद्र में तैरने के बाद तेज भूख लगी तो भारतीय खाने की याद आई। टैक्सी पकड़कर हम लोग ताजमहल रेस्टोरेंट पहुंचे। बढि़या भारतीय खाना खाकर हम तृप्त हो गए और शाम को पोर्टलुई के लिए निकल पड़े। पोर्टलुई मॉरिशस की राजधानी है और पुराने कोलोनियल शहर की याद दिलाती है। मॉरिशस की राजधानी, इस देश की कला-संस्कृति की जीती-जागती तस्वीर है। यहां का रौनक-भरा बाजार, शहर का सबसे भीड़ भरा इलाका माना जाता है। आकर्षक पिक्चर पोस्टकार्ड, टी-शर्ट्स से लेकर सूखी मछलियों से बने अनूठे गहने, क्या कुछ नहीं मिलता यहां। यह बाजार सजावटी चीजों के लिए भी मशहूर है, जिन्हें टूरिस्ट वापस लौटते समय अपनी मॉरिशस-यात्रा की निशानी के रूप में साथ ले जाना नहीं भूलते।
शॉपिंग
शॉपिंग करने का मेरा मन हमेशा करता है लेकिन यहां की महंगाई देखकर हम लोगों ने शॉपिंग न करना ही ठीक समझा। परंतु हल्की सर्दी होने के कारण इस समय यहां पर ऊनी कपड़े बहुत अच्छे मिल रहे थे। आलोक को अचानक एक सूट सिलवाने की दुकान दिख गई और सूट के दाम पता करने पर इच्छा हुई कि एक सूट सिलवाया जाए क्योंकि इंडिया में इतना बढि़या और सस्ता सूट नहीं बन पाता। होटल पहुंचकर शाम को हम लोगों ने ‘सेगा डांस’ का आनंद लिया। यह नृत्य प्राचीन अफ्रीकी संगीत की देन है। संगीत की मधुर धुन पर मस्ती के आलम में थिरकते लोगों को देखकर हम भी डांस करने लगे।
वाटर स्पोर्टस का मजा
अगले दिन हम लोगों का प्रोग्राम ‘इलो सर्फ’ जाने का था। सुबह आंख देर से खुलने के कारण हम ‘इलो सर्फ’ ग्यारह बजे तक पहुंच पाए। ‘इलो सर्फ’ वाटर स्पोर्टस करने के लिए एक लाजवाब जगह है। समुद्र का पानी यहां इतना साफ है कि जो बोट हम लोगों को पैराग्लाइडिंग कराने के लिए समुद्र के बीच ले जा रही थी उससे हम गहरे समुद्र में कूद गए और तैरने लगे। थोड़ी देर में जब यह अहसास हुआ कि अब हाथ पैर नहीं चलेंगे तो बोट वाले को पुकार लगाकर अपने को बोट पर खिंचवाया। पैराग्लाइडिंग वैसे तो देखने में बड़ी आसान लगती है पर जिस समय हमें पैराशूट से बांधा जा रहा था तब मुझे घबराहट महसूस होने लगी। मैं चिल्लाकर बोट वाले को मना करने की कोशिश कर ही रही थी कि अचानक लगा कि पैर तो जमीन पर हैं ही नहीं और मैं पतंग की माफिक खिंचती हुई ऊपर आकाश में पहुंच गई। पहले तो मैंने आंखें बंद कर लीं पर जब आंख खुली तो इतनी ऊंचाई से दृश्य देखकर मन रोमांचित हो उठा। नीचे चमकता हुआ नीला समुद्र, दूर तक फैली हुई हरियाली और तेज हवा के झोंके,मन कर रहा था कि यूं ही पैराशूट से लटके रहें पर थोड़ी ही देर में बोट वाले ने बोट धीमी कर पैराशूट को नीचे लाना शुरू किया।
शाम को हम लोगों का ‘पैंपलेमुजेज बोटेनिकल गार्डन‘ जाने का इरादा बनाया। यह गार्डन खास तरह के ‘वॉटर-लिली’ के फूलों और दुर्लभ पेड़-पौधों के लिए मशहूर है। यहां ‘टेलीपोर्ट पॉम’ नाम का ऐसा दुर्लभ पेड़ है जो साठ साल में एक बार फूल देता है और उसके बाद मर जाता है।