मॉरीशस: कण-कण में है भारतीयता की खुशबू

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मॉरीशस स्थित नेशनल उर्दू इंस्टीटयूट के तत्वावधान में दूसरे विश्व उर्दू सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुझे निमंत्रण मिला। भारत के प्रमुख साहित्यकारों एवं शिक्षाविदों के साथ बतौर सांस्कृतिक सांस्कृतिक राजदूत एयर मॉरीशस की फ्लाइट द्वारा लगभग 7 घंटे की उड़ान के बाद हम मॉरीशस पहुंचे। मॉरीशस के एयरपोर्ट पर उतरने से लेकर वहां के विविध कार्यक्रमों में भागीदारी के बीच कहीं भी और कभी भी हमें यह महसूस नहीं हुआ कि हम भारत के बाहर अफ्रीका के दक्षिणी पूर्वी छोर पर बसे किसी द्वीप पर मौजूद हैं। बल्कि हर कदम पर हमें लगा कि मॉरीशस भारत का ही दूसरा रूप है। मॉरीशस एक ऐसा देश है, जहां की यात्रा किसी भी व्यक्ति के लिए सुखद अनुभव हो सकती है, जैसा कि हमारे साथ भी हुआ।

भारतीय मूल के लोग

समूचे अफ्रीका महाद्वीप में भारतीय मूल की अनुमानित आबादी लगभग 17 लाख आंकी गई है। भारतीय मूल के ये लोग 18वीं शताब्दी के तीसरे-चौथे दशक में वहां बसने शुरू हो गए थे और यह सिलसिला 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों तक जारी रहा। बहुत छिट-पुट रूप से यह प्रक्रिया आज भी जारी है। अब यह सामान्य अंतरराष्ट्रीय आवाजाही अथवा वैश्वीकरण का भाग माना जा सकता है। भारतीयों के आगमन का सबसे बड़ा कारण, विश्व भर में गन्ने की खेती के लिए 19वीं शताब्दी में आए गिरमिटिया मजदूरों का है। खास तौर से हिंदी भाषी प्रवासी इसी वर्ग के हैं। मॉरीशस में भारतीयों की संख्या लगभग 8 लाख के करीब है। जबकि दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों का प्रतिशत भी इसी के समान है। केन्या, तन्जानिया और मौजाम्बिक में लगभग डेढ़ लाख भारतीय प्रवासी निवास करते हैं।

मॉरीशस हिंद महासागर में मेडागास्कर से लगभग 500 मील पूर्व में स्थित है। इस धरती पर सर्वप्रथम अरब 10वीं शताब्दी में आए। 1400 ई. में मलय और 1500 ई. में यहां पुर्तगालियों का आगमन हुआ। सन् 1598 में यहां डच लोगों ने शासन किया। सन् 1721 में यहां फ्रांसीसियों का आधिपत्य कायम हुआ फलस्वरूप यहां अफ्रीकी गुलामों का आयात शुरू हुआ। सन् 1810 में मॉरीशस पर ब्रिटेन का कब्जा हो गया तथा यहां ब्रिटिश हुकूमत 1968 तक कायम रही। 12 मार्च 1968 को मॉरीशस स्वतंत्र हुआ, यह कॉमनवेल्थ नेशन का सदस्य है। प्रारंभ में यह ब्रिटेन की राजसत्ता से जुड़ा रहा तथा सन् 1992 में गणतंत्र के रूप में स्थापित हुआ। यहां प्रजातांत्रिक गणराज्य है। यहां के संविधान के मुताबिक यहां का मुखिया राष्ट्रपति होता है, जो 5 साल के लिए नियुक्त होता है। बहुमत वाले दल के नेता को ही प्रधानमंत्री बनाया जाता है। यह सभा 62 प्रतिनिधियों का चयन करती है तथा सुप्रीम कोर्ट 4 प्रतिनिधि नियुक्त करती है। इन सभी सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए होता है। इन सदस्यों की तुलना हम भारत के संसद सदस्यों से कर सकते हैं।

मॉरीशस की राजधानी पोर्टलुईस है। 2040 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले मॉरीशस की आबादी 12.51 लाख है। यहां अंग्रे़जी, फ्रेंच और हिंदुस्तानी भाषाओं का चलन है। 83 प्रतिशत साक्षरता वाले इस देश में हिंदू, ईसाई और इस्लाम धर्म के अनुयायी निवास करते हैं। यहां की मुद्रा रुपया है और प्रतिव्यक्ति आय 9,860 डॉलर है। मॉरीशस द्वीप की उत्पत्ति ज्वालामुखीय है। इसके पूर्व में सपाट भाग व मध्य को पठारों ने घेर रखा है। दक्षिण में मुख्यत: पहाड़ है। यहां का सामान्यत: तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहता है। मॉरीशस में यदा-कदा तू़फान आते रहते हैं, जबकि यहां की मिट्टी अत्यंत उपजाऊ है। इस द्वीप की अर्थव्यवस्था एकमात्र गन्ने की फसल पर निर्भर है। शीरे, चाय और तंबाकू का निर्यात किया जाता है। जबकि पर्यटन मॉरीशस का ते़जी से बढ़ता हुआ उद्योग है।

लावे से बना द्वीप

सैर-सपाटे के लिए पूरी दुनिया में ते़जी से अपना स्थान बनाता मॉरीशस डोडो नामक खूबसूरत पक्षी के कारण भी विख्यात है। डोडो सि़र्फ यहीं पाया जाता है जो अब विलुप्त हो चुका है। हिंद महासागर से घिरे इस द्वीप की उत्पत्ति ज्वालामुखी के लावे से हुई। इसके अतिरिक्त कोरल री़फ (प्रवाल भित्ति) से घिरे इस छोटे से देश में अनेक स्वच्छ लैगून हैं। इसके अलावा विशाल केंद्रीय पठार, उष्ण कटिबंधीय वन, नदियां और झरने इस स्थान की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। मॉरीशस में घूमने के लिए जुलाई से अगस्त तक का समय सर्वाधिक उपयुक्त है। मॉरीशस के खूबसूरत समुद्री किनारे देखने लायक हैं। यही वजह है कि भारत में बनने वाली अधिकांश फिल्मों तथा टीवी धारावाहिकों की शूटिंग अब मॉरीशस में हो रही है।

नीलम की तरह सौम्य नीलिमा लिए नीले समुद्र से घिरा मॉरीशस एक ऐसा द्वीप है, जहां के सुंदर रेतीले बीच पर्यटकों को सम्मोहित कर लेते हैं। यहां उपलब्ध मौज-मस्ती पर्यटकों को बार-बार यहां आने के लिए उत्प्रेरित करती है। मॉरीशस के उत्तरी प्रांत में पेरी-बेरी, ग्रांडबाई आदि खूबसूरत बीच हैं तो दक्षिण में ब्लू-बे बीच देखने लायक है। पश्चिम तट पर स्थित प्लिक इन लैक बीच पर्यटकों को आकर्षित करता है, जबकि पूर्वी तट पर स्थित इल ऑक्स स़फर्स के तो क्या कहने! नीचे समुद्र का जादू यहीं ़खत्म नहीं होता। सागर के अंदर छिपी दुनिया का लुत़्फ उठाने के लिए ब्लू स़फारी पनडुब्बी आपकी सेवा में हा़जिर है। समुद्र की अनजानी रहस्यमयी दुनिया को दिलचस्प ढंग से जानने के लिए पैरासेलिंग से बेहतर विकल्प नहीं है। पैरासेलिंग के तहत एक टैक्सी बेट आपको समुद्र के अंदर ले जाती है और वहां डेढ़ घंटे तक आप भरपूर मनोरंजन करते हैं। यहां विभिन्न होटलों और रेस्तरां द्वारा आपको उपकरणों से सुसज्जित एक नाव उपलब्ध कराई जाती है, जिसके द्वारा आप टूना, सेल़िफश, शॉर्क आदि मछलियां पकड़ सकते हैं। समुद्र का और अधिक आनंद उठाने के लिए क्रूज नावों का भी बंदोबस्त है। समुद्र की सैर के बाद यहां की सुंदरतम धरा भी आपको स्वागत के लिए तत्पर है। कसेला के पक्षी गार्डन में आकर आपको लगेगा कि आप प्रकृति की गोद में बैठे हैं। यहां का नेशनल पार्क भी घूमने लायक है। वहां की मखमली घास पर बैठकर दोपहर के भोजन करने का आनंद मैं आज तक नहीं भूल सका।

दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी

कसेला के पक्षी गार्डन में 140 प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण दुर्लभ मॉरेशियाई गुलाबी कबूतर है। लावेनिले मगरमच्छ, मेढक, बंदर और कछुआ अभ्यारण्य भी कम दिलचस्प नहीं है। यहां का कछुआ पार्क तथा वैनीला मगरमच्छ उद्यान भी देखने लायक है। डॉमेन डुचेयर नामक प्राणी उद्यान में हिरण और जंगली सुअर रखे गए हैं। यहां शिकार की अनुमति है। अगर आप जल की रानी मछली से मिलना चाहते हैं तो पोएनटि-ऑक्र-पिमेन्ट्स, ट्राऊ-ऑक्स-बिचेस मछली उद्यानों में जाया जा सकता है। जब प्राणी जगत से ऊब होने लगे तो आप जॉरडिन बोटेनिक डि पैंपमाउलेज और डोमेन लेस पेल्लेस आदि पार्को में जा सकते हैं। यहां विभिन्न किस्म के सुंदर फूल और पेड़-पौधे किसी भी पर्यटक का मन मोह लेने की क्षमता रखते हैं। टेमेरिन झरने को देखे बिना मॉरीशस से वापस आना अधूरा है। यहां आने वाले पर्यटक ट्राऊ-ओऊ-सर्फ नामक विलुप्त ज्वालामुखी जरूर देखते हैं। यहां की सर्वाधिक आकर्षक और अद्भुत जगह है चमेरिल के सतरंगी पहाड़। जो पर्यटक ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थानों को घूमने के शौकीन हैं, उनके लिए मार्टेलो, टावर, सोउसिल तथा राजधानी पोर्ट लुइस आदर्श स्थल हैं। जो व्यक्ति थ्रिल, रोमांच और मौज-मस्ती भरा पर्यटन चाहते हैं उनके लिए वॉटर पार्क सुंदर जगह है, जहां मनोरंजन के समस्त साधन उपलब्ध हैं, ब्लैक हॉल, जॉइंट स्लाइड्स, किड्स पूल जैसे असंख्य रोमांचक झूले यहां हैं। यही नहीं, रौड्रिक्स द्वीप पर हाइकिंग, ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, फिशिंग आदि का लुत़्फ भी उठाया जा सकता है। नौजवानों के लिए विशेष रूप से घुड़दौड़, गोल़्फ कार्टिग आदि का पर्याप्त प्रबंध किया गया है। यहां के कैसीनो, पब, डांस क्लब आदि भी आपके मनोरंजन के लिए मुस्तैद हैं। जो आधुनिक युवाओं की स्वप्नगाह है। जुगरूम, सरन लॉज आदि गेस्ट हाउसों के अलावा समुद्री किनारों पर स्थित विभिन्न होटल, अनेक बंगले, स्टूडियो और विलास ऐसे स्थान हैं, जहां पर्यटकों के रहने, खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था रहती है।

सामान्य जानकारियां

कैसे जाएं: मॉरीशस के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सप्ताह में दो दिन (गुरुवार और रविवार) को एयर मॉरीशस की फ्लाइट उपलब्ध हैं। मुंबई से मंगलवार को मॉरीशस के लिए फ्लाइट उपलब्ध हैं।

खर्च: एयर मॉरीशस का आने-जाने का हवाई किराया लगभग 30 ह़जार रुपया प्रति व्यक्ति है। ग्रुप में जाने पर इसमें रियायत भी मिल जाती हैं।

मुद्रा: मॉरीशस की मुद्रा रुपया है। जो भारतीय रुपये से अलग है। मॉरीशस में वहां के लगभग 24 रुपये के बदले आप एक डॉलर खरीद सकते हैं।

कब जाएं: मॉरीशस जाने के लिए यूं तो पूरे वर्ष मौसम ठीक रहता है। लेकिन जून से अगस्त तथा दिसंबर से फरवरी के महीने पर्यटकों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। मॉरीशस के बारे में एक बात समझ लेनी चाहिए कि वहां भारत की तरह न तो कड़ाके की ठंड पड़ती है और न ही चिलचिलाती गर्मी। औसतन वहां का तापमान 22 से 34 डिग्री सेल्सियस रहता है। यहां जून से सितंबर का महीना सुरमई सर्दियों वाला होता है। जिसमें हलके ऊनी कपड़ों की जरूरत पड़ती है। चूंकि साफ-सफाई और तौर-तरीकों के मामले में मॉरीशस एक अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाला राष्ट्र है। अत: सामान्य औपचारिकताओं और सावधानियों का ध्यान रखें। भारत का देशी स्टाइल वहां नहीं चलेगा।

कार रेंटल:  मॉरीशस में आप स्थानीय भ्रमण के लिए लोकल टैक्सियां किराये पर ले सकते हैं। आपको मॉरीशस जाने से पूर्व एक अस्थाई ड्राइविंग लाइसेंस बनवा कर अपने साथ ले जाना पड़ेगा। मॉरीशस में चूंकि भीड़भाड़ कम है और वहां आवासीय क्षेत्रफल भी बहुत कम हैं अत: जिन लोगों को लांग ड्राइव का मजा लेना है उनके लिए मॉरीशस एक उपयुक्त एवं आदर्श स्थल है।

कहां ठहरें: मॉरीशस में पर्यटकों के लिए रुकने के पर्याप्त इंतजाम है। लगभग सभी बड़े होटल समूहों द्वारा यहां उनके होटल उपलब्ध हैं। मॉरीशस में रुकने के लिए एक हजार रुपया प्रतिदिन से लेकर 15 हजार रुपया प्रतिदिन तक के रूम उपलब्ध हैं।

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