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रोजमर्रा की जिंदगी से जब मन उचटने लगता है, तो किसी ऐसी जगह जाने की इच्छा होती है, जहां कुछ नया, कुछ अलग हो और कुछ दिन परिवार समेत आराम से मौजमस्ती की जा सके। ऐसे में कोई उस स्वप्नलोक का पता बता दे जहां खुली आंखों से ही जाना संभव हो, तो फिर क्या कहना। हैदराबाद के निकट रामोजी फिल्मसिटी एक ऐसा ही स्वप्नलोक है। कहने को तो यह फिल्मों की शूटिंग का एक केंद्र है, लेकिन यह एक ऐसी जगह भी है जो अपने अंदर पर्यटन के कई आयाम समेटे हुए है। यहां कुदरत के नजारे भी हैं और ऐतिहासिक स्थल भी। मेले जैसा कोलाहल है तो अद्भुत शांति भी। देशी-विदेशी जगहों पर घूमने के आनंद के साथ ही यहां रहस्य और रोमांच के अनुभव भी हैं। रोमांटिक हॉलीडे मनाने के लिए यह स्वर्ग जैसा है तो बच्चों के लिए किसी परिलोक से कम नहीं।
पूरी दुनिया एक जगह
देखा जाए तो रामोजी फिल्मसिटी में छुट्टी के दिन बिताने का अपना एक अलग मजा और निराला अंदाज है। क्योंकि यहां हर कदम पर कुछ न कुछ अनोखा है। कहीं सैलानी दार्जिलिंग के चाय बागान की सैर का मजा ले रहे होते हैं तो कुछ कदम आगे बढ़ते ही वे स्वयं को किसी महल के सामने खड़ा पाते हैं।
खजुराहो की तर्ज पर बनी नारी सौंदर्य की तमाम अनुकृतियों को निहार कर जरा आगे बढ़ते हैं। जापान के किसी उद्यान की खूबसूरती देखकर उसके सम्मोहन से बाहर भी न निकले हों कि स्वयं को लंदन की किसी मॉडर्न स्ट्रीट में खड़ा पाते हैं। पर्यटन के इतने सारे आयामों का आनंद लेने के लिए न तो किसी हवाई यात्रा की जरूरत होती है और न बार-बार होटल बदलने का झंझट। बस रामोजी फिल्मसिटी में पहुंचने की देर है। यहां पहुंचते ही दो हजार एकड़ में फैली सपनों की पूरी दुनिया सामने होती है। चाहें तो विंटेज लुक वाली बस में बैठ कुछ घंटों में इस दुनिया को आप देख भर सकते हैं। नहीं तो, यहां बने आरामदायक होटलों में ठहरकर कुछ दिन इस स्वप्नलोक की सैर का भरपूर आनंद ले सकते हैं।
रामोजी फिल्मसिटी का सतरंगी संसार हनीमूनर्स के लिए तो स्वर्ग ही है। क्यों न हो? आखिर उन्हें लुभाने के लिए यहां दो-चार नहीं, बल्कि पचास से अधिक छोटे बड़े मनमोहक उद्यान हैं। इनमें हर रंग के फूलों की अभूतपूर्व छटा बिखरी हुई है। ड्रीम वैली पार्क में फव्वारों के इर्द-गिर्द टहलते युगल कुछ ऐसा ही महसूस करते हैं जैसे सपनों की घाटी में आ पहुंचे हो। अम्ब्रेला गार्डन में तो फूलों से बनी छतरियों की कतारें हैं। इन पर लाल और सफेद रंग के फूलों की घाटी सी फैली है। एनीमल गार्डन में बहुत से वन्य प्राणियों की हरी-भरी आकृतियां खड़ी हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी अभ्यारण्य में पहुंच गए हों।
एक जगह चाय बागान के दृश्य को साकार किया गया है, जहां दर्शकों को आसाम या दार्जिलिंग में होने का आभास होता है। जापानी गार्डन में पहुंचकर सैलानियों को ऐसा लगता है जैसे वे जापान ही पहुंच गए हो। इसी तरह डेजर्ट गार्डन और कोम्बो गार्डन की जीवंत दृश्यावली भी नवविवाहित युगलों का मन मोह लेती है।
जब चाहें तनहाई
मधुपर्व के लिए सैलानियों को जब बेपनाह तनहाई की तलाश होती है तो वे इनमें से किसी उद्यान में घास पर आ बैठते हैं। असंख्य फूलों से सजा वहां का रूमानी माहौल जैसे उनकी ही प्रतीक्षा में होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां आए युवा जोड़े सुरक्षित वातावरण में स्वयं को निश्चिंत महसूस करते हैं। पार्को के आसपास ऊंची-नीची सुंदर सड़कों पर हाथों में हाथ थामे ऐसे घूमते हैं, जैसे किसी पर्वतीय स्थल का मॉल रोड हो। इन्हीं सड़कों के बीच स्थित एंजेल्स फाउन्टेन भी बेहद आकर्षक है। रोमन कला के इस सुंदर नमूने को देख प्रेमी युगलों के हृदय में एक अनोखा स्पंदन होता है। इसका कारण है इस पर बनी, प्रणय निवेदन करते युगलों की मूर्तियां। वहीं पास ही पांच भव्य प्रतिमाओं के रूप में पश्चिमी नारी के सौंदर्य की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। एक ही वस्त्र से अपने कोमल तन को ढांपने का असफल प्रयास करती नारी पांच अलग-अलग मुद्राओं में उपस्थित है। इस अर्धनग्न सौंदर्य से हालांकि अश्लीलता का भाव तो नहीं झलकता लेकिन इनकी जीवंतता युवा दिलों को कुछ पल के लिए बांध जरूर लेती है। ऐसी ही जीवंतता उन विशाल मूर्तियों में भी झलकती है जिन्हें खजुराहो के प्रस्तर प्रतिमा संसार की चुनिंदा मूर्तियों के अनुरूप ढाला गया है।
पन्ने इतिहास के
रामोजी सिटी में घूमते हुए यदि किसी ऐतिहासिक स्थल की सैर करने का मन हो तो हवा महल पहुंच जाएं। इसका वास्तुशिल्प किसी भव्य महल जैसा है। सुंदर बारादरी के साथ-साथ नक्काशीदार छतरियां भी बनी हैं। सामने ढलान पर सुंदर झरना है। इसके आसपास घास पर बैठकर पर्यटक तस्वीरें खिंचवाना पसंद करते हैं। ऐसा ही एक अन्य स्थान है यहां का मुगल गार्डन। यहां पहुंचकर सैलानियों को जयपुर के सिसोदिया रानी महल जैसा मंजर नजर आता है। सामने उद्यान में सुंदर फव्वारे हैं। रात में तो इसका रूप ही बदल जाता है। ये फव्वारे और पूरा उद्यान रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगा उठते हैं। फव्वारों की रंगीन जलधाराएं देख पर्यटकों को मैसूर के वृंदावन गार्डन में होने का भ्रम होता है।
यादों के शहर में
इतिहास में कुछ पीछे जाने की चाह हो तो पर्यटक यूरेका में प्रवेश कर सकते हैं। वैसे भी यूरेका नामक स्थान रामोजी फिल्मसिटी की कई गतिविधियों का केंद्र है। वहां पहंुचकर आभास होता है मानो मौर्यकाल में पहुंच गए हों। यूरेका का विशाल और भव्य द्वार किसी मौर्य सम्राट के किले के द्वार जैसा लगता है। इसके साथ बनी मजबूत दीवार भी किसी प्राचीन किले की दीवार जैसी ही लगती है। इसके अंदर चौक के आसपास बने भवनों की शैली भी लगभग वैसी ही है जैसे कोई प्राचीन वैभवशाली नगर फिर नए सिरे से बस गया हो। चौक के पास बने दो मार्ग किसी अलग संस्कृति का हिस्सा लगते हैं। एक मार्ग बढ़ने पर किसी अरब देश की संस्कृति झलकती है। दूसरे मार्ग पर अमेरिका के प्राचीन काउ ब्वाय विलेज का सा नजारा है। वहां लकड़ी के घर के आसपास रखा साजो सामान देखकर तो यही लगता है कि बस अभी चमड़े की कैप और जैकेट पहने काउ ब्वायज की टोली घोड़ों पर दौड़ती चली आएगी।
परिवार सहित घूमने निकले सैलानियों को अगर लगता है कि यहां पहंुचकर बच्चे बोर होंगे और उन्हें तंग करेंगे तो उनका यह भ्रम तब एकदम दूर हो जाएगा, जब वे पाएंगे कि रामोजी में तो बच्चों के लिए एक अद्भुत और अजब-गजब संसार की रचना की गई है। एक ऐसा संसार है दादा जिन का फंडुस्तान। दुनिया भर के बच्चों के मित्र दादा जिन ने बचपन के रंगों से फंडुस्तान नामक एक नई दुनिया यहां सजायी है। दरअसल यह एक विशालतम फन पार्क है। जिसका हर फंडा बच्चों ही नहीं बड़ों को भी प्रभावित करता है। इसके अंदर जाने के लिए पहले दादा जिन के मुंह में प्रवेश करना पड़ता है। अंदर पहुंचकर सैलानियों को लगता है कि किसी आश्चर्यलोक में आ गए हों। यहां बने टिम्बर लैंड में बच्चे लकड़ी से बने भूलभुलैया में भटकने का मजा लेते हैं। थ्रिल विला में उनके लिए एक से एक रोमांचक खेल जुटाए गए हैं। प्रेस्टो में तो खिलौनों का जादुई संसार बाल मन में गुदगुदी सी पैदा करता है। वंडरविला में फल-सब्जियों की आकृतियां बच्चों को लुभाती हैं। साथ ही पेड़ पर बैठी जांयली बर्ड उन्हें आकर्षित करती है। क्योंकि बच्चों के पास आते ही यह जादुई पक्षी उन पर वाटर ऑफ जॉय की वर्षा करने लगती है। उसकी चोंच से गिरती फुहार बच्चों को रोमांचित कर देती है। यहीं निकट ही कोरोला नामक फूलों की घाटी भी है।
फंडुस्तान में एक बड़ा सा पानी का जहाज भी खड़ा है। जिसके डेक पर खड़े होकर पूरा फंडुस्तान दिखाई देता है। यहां बच्चे वीडियो गेम का मजा भी ले सकते हैं। डेली एक्सप्रेस एक मिनी ट्रेन रेस्टोरेंट है। इसमें बच्चों के टेस्ट की हर चीज मिलती है। यहां बोरासोरा नामक एक थ्रिलर पार्क भी है। इसमें रहस्य और रोमांच की एक हैरतअंगेज दुनिया है। यहां प्रवेश करते ही पर्यटकों के दिल की धड़कन बढ़ने लगती है। कहीं लगता है कि भीषण आग के बीच से निकल रहे हैं तो कहीं झरने का पानी अपनी ओर गिरता प्रतीत होता है। कभी सामने भयानक सुरंग नजर आती है तो कभी डरावने दृश्य दिखाई देते हैं। बोरा सोरा की दिल दहला देने वाली दुनिया से बाहर निकल कर सैलानी चैन की सांस लेते हैं। जादू और चमत्कारों से भरा फंडुस्तान एक ऐसा वैभवपूर्ण बाल जगत है जो पूरे परिवार के मनोरंजन का केंद्र बन जाता है।
स्वाद तरह-तरह के
जिन लोगों के लिए खाना-पीना पर्यटन की मौजमस्ती का खास हिस्सा है। उनके लिए भी रामोजी फिल्मसिटी में खासी विविधता है। यहां के सितारा होटलों के आलीशान रेस्तराओं में तो हर तरह का फूड उपलब्ध होता ही है। यूरेका में भी चार अलग-अलग तरह के रेस्तरां हैं। आलमपनाह रेस्तरां में मुगलई खाने से दस्तरखान सजता है। तो चाणक्य रेस्तरां में स्वादिष्ट व्यंजनों की शाकाहारी थाली लगाई जाती है। दक्षिण भारतीय भोजन का स्वाद गंगा-जमुना रेस्तरां में लिया जा सकता है तथा गनस्मोक रेस्तरां में फास्टफूड की धूम रहती है। खानपान की तरह शॉपिंग भी सैलानियों के लिए शगल है। खरीदारी करनी हो तो यहां मीना बाजार, मगध शॉप, फ्रंटियर लैंड और ब्लैक कैट वेयर हाउस जैसे केंद्र हैं। रामोजी सिटी की प्रॉप-शॉप में फिल्मी कलाकारों द्वारा प्रयोग की जाने वाली तथा फिल्म निर्माण में काम आने वाली हर तरह की वस्तु होती है। जिसे कोई भी खरीद सकता है।
बदलता रहता है सब कुछ
फिल्मसिटी में आने वाले पर्यटक फिल्मों के सेट देखने को भी बेहद उत्सुक होते हैं। फिल्मों में अकसर प्रयोग होने वाले बहुत से सेट तो यहां स्थायी तौर पर लगे हैं। उनके अतिरिक्त कुछ नई फिल्मों के सेट भी यहां कई दिन तक सुरक्षित रखे जाते हैं। पर्यटकों के कौतूहल को देखते हुए रामोजी फिल्मसिटी द्वारा संचालित टूर में उन्हें ऐसे कई सेट दिखाए जाते हैं। यही नहीं गाइड द्वारा यह भी बताया जाता है कि किस फिल्म की शूटिंग यहां हो चुकी है। एयरपोर्ट के सेट पर खड़े होकर लगता ही नहीं यह नकली एयरपोर्ट लाउंज है। विमान के सेट पर बैठकर भी यही लगता है कि मानो विमान के उड़ने की घोषणा होने ही वाली है। इस इमारत के दूसरी ओर पहंुच जाएं तो लगता है कि यह कोई बड़ा अस्पताल है। तीसरी ओर से यह किसी चर्च या कोर्ट के प्रवेशद्वार जैसा है तथा चौथी ओर से यह एक पुस्तकालय का रूप लिए हुए है। रामोजी फिल्मसिटी का रेलवे स्टेशन भी अपने आप में अनूठा है। क्योंकि जरूरत के अनुसार इसका नाम भी बदलता रहता है। वैसे यहां टिकटघर, समयसारिणी, प्रतीक्षालय और स्टेशन मास्टर के केबिन के अलावा रेल इंजन और बोगियां भी हैं। लेकिन प्लेटफॉर्म के नीचे ट्रेन के पहियों पर जब नजर जाती है तो पता चलता है यह सब बनावटी है। शूटिंग के दौरान ट्रेन के सरल मूवमेंट के लिए ट्रेन में लोहे के पहियों के स्थान पर टायर लगे होते हैं। लेकिन फिल्म के पर्दे पर इस बात का आभास भी नहीं होता। यहां का मंदिर भी कुछ ऐसा ही है। जहां अकसर भगवान बदलते रहते हैं। मंदिर का माहौल भी दोतरफा है। एक तरफ से यह शहर की भव्य सड़क पर स्थित नजर आता है तो दूसरी ओर किसी वीरान जगह का मंदिर लगता है। दृश्य की मांग के अनुसार इसकी दिशाओं का प्रयोग होता है।
पर्यटकों को उस समय सबसे ज्यादा ताज्जुब होता है जब वह स्वयं को लंदन की प्रिंसेस स्ट्रीट में खड़ा पाते हैं। खूबसूरत आधुनिक विला और बंगलों के बीच पहुंचकर किसी पश्चिमी देश के नगर में खड़े होने का भ्रम होता है। यहां बने ग्रामीण परिवेश, व्यस्त बाजार, हाइवे के ढाबे, सेंट्रल जेल आदि के सेट भी अत्यंत स्वाभाविक से दिखते हैं। सब कुछ बनावटी होते हुए भी यह सब पर्यटकों को इतना भाता है कि वे प्राय: हर सेट के सामने खड़े होकर फोटो अवश्य खिंचवाते हैं।
खतरों के खेल का सच
रामोजी फिल्मसिटी की सैर पर आए लोगों के मनोरंजन के लिए यहां कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यहां सुबह की शुरुआत ही एक रंगारंग कार्यक्रम से होती है। जब यूरेका के प्रांगण में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। इसी तरह शाम को समापन कार्यक्रम में भी एक सांस्कृतिक संध्या जैसा आयोजन होता है। यहां स्थित थिएटर में भी दिन में दो बार कोई न कोई कार्यक्रम देखने को मिल सकता है। दरअसल देश भर से आए करीब 750 कलाकार किसी न किसी रूप में सैलानियों का मनोरंजन करने को तैयार रहते हैं। यहां के कई कार्यक्रमों में से वाइल्ड वेस्ट स्टंट शो दर्शकों का सबसे पसंदीदा कार्यक्रम होता है। इसमें कई खतरनाक स्टंट दृश्यों को दर्शकों के सामने साकार किया जाता है। नकली फाइटिंग, नकली फायरिंग, दीवार का गिरना, छत से कूदना जैसे कई फिल्मी स्टंट यहां वास्तविक रूप में दिखा दिए जाते है। जिन्हें देख पर्यटक भौंचक्के रह जाते हैं।
है यहां सब कुछ
रामोजी फिल्मसिटी की शुरुआत 1991 में रामोजी राव द्वारा की गई थी। अमेरिका के यूनिवर्सल स्टूडियो से भी बडे़ इस स्टूडियो का प्रयोग तब केवल फिल्मों की शूटिंग के लिए ही किया जाता था। फिल्म छायांकन के कई भव्य आयाम यहां जुटाने के साथ ही उससे जुडे़ आधुनिक तकनीकी के साजो सामान भी यहां जुटाए गए थे। यहां उपलब्ध सुविधाओं के चलते ही रामोजी फिल्मसिटी ने बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड के कई निर्माताओं को भी प्रभावित किया। इसलिए सैकड़ों भारतीय फिल्मों के अतिरिक्त यहां बहुत सी विदेशी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। फिल्मों के रुपहले संसार के प्रति आम आदमी का आकर्षण देखते हुए जब इसे एक दर्शनीय पर्यटन स्थल के रूप में खोला गया तो यहां सैलानियों का तांता ही लग गया। रामोजी फिल्मसिटी की बढ़ती प्रसिद्धि के कारण ही बाद में इसे एक हॉलिडे डेस्टीनेशन का रूप दे दिया गया। फिल्म सिटी में सजे कल्पना के रंगों को यदि तसल्ली से देखना हो या यूं कहा जाए कि अपनी छुट्टियों में कल्पना की ऊंची उड़ान भरनी हो तो आराम से यहां तीन चार दिन बिताए जा सकते हैं। ठहरने के लिए फिल्मसिटी के दायरे से बाहर जाने की जरूरत भी नहीं।
बजट टूरिस्ट और लग्जरी टूरिस्ट दोनों के लिए यहां आलीशान होटल हैं। सैलानियों के रिक्रिएशन के लिए इन होटलों में एक क्लब हाउस भी है। जिसमें बास्केट बॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बिलियर्ड जैसे खेलों के अलावा अत्याधुनिक जिम और एक स्विमिंग पूल भी है। पर्यटन की इतनी सुविधाओं के कारण कॉरपोरेट सेक्टर की नजर में यह व्यावसायिक पर्यटन का भी एक अच्छा केंद्र है। आए दिन यहां विभिन्न क्षेत्रों के लिए कॉन्फ्रेंसका आयोजन किया जाता है। यह कहना गलत न होगा कि फिल्मी अंदाज में ब्लॉकबस्टर हॉलिडे मनाने के लिए रामोजी फिल्मसिटी सही मायनों में एक कम्पलीट डेस्टीनेशन है।