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हनीमून के लिए गोर्नेग्रात
स्विट्जरलैंड के उत्तरी हिस्से से दक्षिण जरमेट में वलायस क्षेत्र के बीच एक नई रेल सुरंग बन जाने से सैलानियों के समय में खासी बचत होगी। यूं तो स्विट्जरलैंड इतना खूबसूरत है कि वहां का लंबा सफर भी कम आनंददायक नहीं होता लेकिन नई सुरंग ग्लेशियर एक्सप्रेस और गोर्नेग्रात ट्रेनों का रास्ता कम कर देगी। स्विट्जरलैंड के लोकप्रिय रिसॉर्ट अब आसान पहुंच में हो जाएंगे। इंटरलाकेन से जरमेट व गोर्नेग्रात की सैर एक ही दिन में की जा सकेगी। यह सुरंग पूरी तरह चालू हो गई है। इंटरलाकेन से जरमेट का सफर ढाई घंटे में और जरमेट से गोर्नेग्रात का सफर महज आधे घंटे में किया जा सकेगा।
ग्लेशियर एक्सप्रेस आल्प्स की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच एक अद्भुत अनुभव है। पर्वतीय जंगलों, बुग्यालों, पहाड़ी धाराओं, झरनों, घाटियों व ग्लेशियर के बीच का यह सफर साढ़े सात घंटे का है। जरमेट व सेंट मोरित्ज को जोड़ने वाला यह रेल मार्ग 291 पुलों, 91 सुरंगों और समुद्र तल से दो हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित दर्रो से होकर गुजरता है। वहीं जरमेट से कोगव्हील ट्रेन से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित गोर्नेग्रात जाने का एक अलग रास्ता है, जहां कोच में बैठकर आप 28 बर्फीली चोटियों को निहार सकते हैं। गोर्नेग्रात के कुल्महोटल को नया रूप-रंग दिया गया है। बर्फीली चोटियों व ग्लेशियरों के बीच वहां एक रात बिताने का अनुभव बेहद खास है। हनीमून पर जाने वाले तो उस रात की बात को ताउम्र नहीं भूलेंगे।
बीजिंग में होगा भारतीय पर्यटन दफ्तर
चीन के ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए बीजिंग में भारत का पर्यटन कार्यालय खोला जाएगा। पिछले साल भारत की यात्रा करने वाले 44.3 लाख यात्रियों में से चीनियों की संख्या सिर्फ पचास हजार थी। दफ्तर खोलने का फैसला दरअसल पर्यटन के जरिए भारत चीन मित्रता वर्ष के रूप में साल 2007 में आयोजित किए गए कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा है। नई दिल्ली में पहले ही चीन पर्यटन कार्यालय खोला जा चुका है। एक तो चीन वैसे ही हमेशा से काफी बंद-बंद सा देश रहा है, बावजूद इसके कि उसके पास चीन की महान दीवार जैसा अजूबा है। कुछ प्रमुख शहरों और तिब्बत को छोड़ दें तो वहां के पर्यटन स्थलों के बारे में ज्यादा कुछ देखने-सुनने को नहीं मिलता। अब एक तरफ तो चीन दुनिया के सामने अपनी इस छवि को बदलने की कोशिश में है तो दूसरी तरफ भारत से उसके रिश्तों में भी तल्खी थोड़ी कम हुई है। कड़वाहट कम होने से अब दोनों देशों ने बाकी क्षेत्रों पर ध्यान देना शुरू किया है। पर्यटन उन्हीं में से एक है। इसलिए बहुत मुमकिन है कि आने वाले समय में यह आवाजाही बढ़े और हमें चीन के बारे में ज्यादा जानने-सुनने का मौका मिले।