पर्यटन स्थल के अनुरूप चुनें पहनावे

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पर्यटन के प्रति बढ़ते शौक ने आज सैलानियों को इस बात के प्रति भी सजग कर दिया है कि सैर-सपाटे के दौरान उनके आउटफिट कैसे हों। यह एक ट्रेंड सा बन गया है कि पर्यटन के आयामों के अनुरूप ही पर्यटक अपने पहनावे का चयन करें। आज ऐसा नहीं है कि वार्डरोब से कपड़े निकाले, सूटकेस या बैग में भरे और निकल पड़े। अब लोग पर्यटन स्थल के अनुसार पहले जरूरी चीजों की शॉपिंग करते हैं। खास तौर से स्त्रियों को तो इस विषय में अधिक ही सतर्क रहना पड़ता है। क्योंकि उन्हें आउटफिट के साथ एक्सेसरीज यानी पर्स, ज्वैलरी, सैंडिल आदि भी खरीदने पड़ सकते हैं।

आउटफिट के प्रति जरूरी सतर्कता

आउटफिट के प्रति सतर्कता का ट्रेंड किसी भी पर्यटन स्थल की जरूरत व मौसम के आधार पर बना है। पर्यटन पर निकलने से पहले यह जानना जरूरी समझा जाने लगा है कि जहां आप जा रहे हैं वहां पहनावों का क्या चलन है। पहनावे का चयन करते हुए जगह और मौसम के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि वह वर्तमान फैशन से मेल खाता हो। वैसे साड़ी, सलवार-कमीज और जींस-टीशर्ट जैसे परिधान किसी भी जगह के लिए सदाबहार माने जाते हैं, पर कुछ जगहों पर इनसे हटकर कपड़े पहनना सफर की मस्ती को बढ़ा सकता है। जैसे सी बीच पर घूमते हुए टीशर्ट एवं शॉ‌र्ट्स पहने हों तो लहरों का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है। इसलिए किसी सागरतट की यात्रा पर निकले पर्यटक टी शर्ट के साथ बरमूडा या शॉ‌र्ट्स ही पहनना पसंद करते हैं। स्त्रियों के पास कैपरी व स्कर्ट के साथ टॉप पहनने का विकल्प भी है। हनीमून पर निकले जोड़े भी ऐसे ही आउटफिट चुनते हैं। सुनहरी रेत पर कैजुअल वेयर्स में बैठना कोई शगल नहीं, बल्कि सुविधा के लिए जरूरी है। ऐसी जगह जाने वाली स्त्रियों के आउटफिट आमतौर पर रंग-बिरंगे या भड़कीले रंगों के होते हैं, जबकि पुरुष समर कलर आउटफिट पसंद करते हैं।

क्षितिज तक फैले नीले जल पर पड़ती सूर्य किरणों की झिलमिलाहट का मजा लेने के लिए स्पोर्टी सनग्लास एक्सेसरीज में शामिल होते हैं। सिर पर कैप या हैट का लगाया जा सकता है। ऐसे स्थान पर साड़ी, सूट या जींस का चलन बस होटल तक सीमित रह सकता है।

जब अठखेलियां करती लहरें भिगो जाती हैं और ऐसे वस्त्र शरीर से चिपक से जाते हैं तब खारे पानी का एहसास बेचैनी सी पैदा करता है।    पर्वतीय स्थल की सैर पर तो पहनावे का खास ध्यान रखना होता है।वहां जाते हुए शॉ‌र्ट्स और टीशर्ट को गुडबाय कहना होगा। क्योंकि अधिकतर सैलानी वहां सुहानी जलवायु का आनंद लेने जाते हैं। इसलिए हिल स्टेशन पर ठंडे प्रदेशों के अनुकूल आउटफिट का ट्रेंड स्वाभाविक है। आम तौर पर लोग जींस या पैंट के साथ शर्ट पहनना पसंद करते हैं। जिसके साथ फर या चमड़े की जैकेट अलग लुक देती है। जैकेट के अलावा पुलोवर भी पहने जाते हैं, लेकिन जैकेट का एक लाभ यह है कि ठंड कम हो तो उसे फ्रंट ओपन रख सकते हैं। पहाड़ों की सैर पर निकली युवतियों में तो साड़ी का चलन न के बराबर है। क्योंकि उसके साथ शॉल लेने पर बार-बार लपेटने के चक्कर में प्रकृति की खूबसूरती को निहारना कठिन हो जाता है, जबकि सलवार-कमीज जैसे एथनिक कपड़े पूरी तरह चलन में हैं। इसके साथ कार्डिगन, पुलोवर या जैकेट भी पहना जा सकता है। पहाड़ी स्थल पर लो वेस्ट जींस कम ही पहनी जा सकती है। हां, एंकल लेंग्थ स्कर्ट के साथ हाईनेक स्वेटर युवतियों पर बहुत फबता है। ठंडी हवाओं से बचने के लिए पुरुष भी हाईनेक स्वेटर पहनते हैं। एक्सेसरीज में ग्लव्स, कैप, मफलर और कूल ब्लू सनग्लास जरूर रखने चाहिए।

परिधान चुनने में बरतें सावधानी

मरुस्थल में रेत के टीलों की सैर पर निकलते समय परिधान चुनने में थोड़ी सावधानी बरतनी होती है। रेगिस्तान में जलवायु प्राय: उष्ण होती है। पुरुष ऐसे स्थानों के लिए हलके या बैगी ट्राउजर्स चुनते हैं। स्ति्रयां सलवार-सूट, साड़ी या जिप्सी स्कर्ट व टॉप या कुर्ती पहने दिख सकती हैं। इसके साथ हैट व सनशेड ग्लास भी लगा सकते हैं। राजस्थान जाने वाले ज्यादातर पर्यटक वहां की पारंपरिक वेशभूषा पहनना पसंद करते हैं। खासकर स्त्रियां उसमें काफी ग्रेसफुल दिखती हैं।

अगर किसी बड़े शहर की यात्रा पर जा रहे हों तो ज्यादा झंझट झेलने की जरूरत नहीं है। वहां तो आप अपने शहर जैसे परिधान ही पहन सकते हैं। अगर कोई खास फैशन उस महानगर में प्रचलित हो तो वहां पहुंचकर आप शॉपिंग करें और वैसे ही आउटफिट्स खरीद लें। ऐसे पर्यटनस्थल पर तो वेस्टर्न आउटफिट भी आपके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकते हैं। लेकिन यदि आप किसी कॉरपोरेट ट्रिप पर आए हैं तो उसके अनुरूप ड्रेस का चयन जरूरी है। वैसे अब पश्चिमी परिधान भी इसका हिस्सा बन चुके हैं। इसी तरह अगर आप शैक्षणिक यात्रा पर हैं तो छात्र जीवन के समान आउटफिट पहनने की खुली आजादी है।

एडवेंचर टूर के लिए विकल्प कम

एडवेंचर टूर पर जाने वालों के लिए विकल्प कम ही हैं। ऐसे ट्रिप पर सैलानी प्राय: ट्रैक सूट या जींस-टीशर्ट पहने ही देखे जाते हैं। यह कोई ट्रेंड नहीं बल्कि जरूरत है। यदि किसी ग्रामीण स्थल या आदिवासी क्षेत्र में घूमने निकले हैं तो अतिरिक्त तड़क-भड़क वाले पहनावे से बचना चाहिए। भारत के ग्रामीण इलाकों के पर्यटन पर निकलने वाली महिलाओं को तो पश्चिमी परिधानों से भी बचना चाहिए। ऐसी जगह यदि आपकी वेशभूषा वहां के माहौल के अनुकूल है तो यकीनन आप वहां की संस्कृति को करीब से देख सकेंगे। ज्यादातर सैलानियों में ग्रामीण अंचल के स्थानीय पारंपरिक परिधान पहनने का क्रेज भी होता है, जो वहीं से खरीदे जा सकते हैं। वैसे अब नामी-गिरामी कंपनियों के बनाए इस तरह के ब्रांडेड पारंपरिक परिधान भी बाजार में मिलने लगे हैं। इसलिए भविष्य में आप जब कभी भी पर्यटन पर निकलें तो उस पर्यटन स्थल का ड्रेस कोड यानी आउटफिट्स के ट्रेंड को अवश्य जान लें।

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