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रोमांचक यात्राओं का शौक सभी युवाओं को होता है। इन दिनों बढ़ती सुविधाओं ने इस ओर लोगों का ध्यान भी खूब खींचा है। ऐसे तो रोमांचक यात्राओं के कई रूप हैं, लेकिन भारत में इनमें सर्वाधिक लोकप्रिय हो रहा है ट्रेकिंग। बहुत अधिक ऊंचाई वाले स्थानों की ट्रेकिंग अगर करनी हो तो इसके लिए कुछ खास तैयारियां पहले से कर लेनी जरूरी हैं।
ट्रेकिंग की तैयारी
अच्छे ट्रेकर और दिल्ली के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सुभाष शल्य के अनुसार ट्रेकिंग पर जाने से पहले आपको यह तय कर लेना चाहिए कि आपके जूते, दस्ताने, बेल्ट, कपड़े, स्टिक आदि अच्छे होने चाहिए। इनकी फिटिंग अच्छी होनी चाहिए। जूते की सोल फिसलने वाली नहीं होनी चाहिए। यह यदि ‘एंटी स्किड’ हो तो बेहतर है। स्टिक का कोना नुकीला होना चाहिए ताकि जमीन में अच्छी तरह धंसे। ट्रेकिंग के वक्त कमर व उसके ऊपर के भाग को अधिक नहीं झुकाना चाहिए। कमर के नीचे खासकर घुटनों को सावधानी से मोड़ना चाहिए। कमर के नीचे ज्यादा जोर लगाएं, ऊपर कम। कमर पर अधिक जोर देने से स्लिप डिस्क हो सकती है। इसके साथ ही घुटनों पर अचानक न घूमें। पूरे शरीर को आराम से मोड़ें। घुटनों पर जोर पड़ने पर उनके अंदर स्थित लिग्मेंट रप्चर कर सकता है। बेहतर होगा कि ट्रेकिंग पर जाने से पहले एक्सरसाइज करें। पिंडलियों, पंजों आदि को खूब घुमाएं। हिमस्टिंग स्ट्रेसिंग अच्छी तरह से करें। कमर व पेट के एक्सरसाइज खूब करें। ट्रेकिंग पर जाते समय ज्यादा सामान लेकर न जाएं। साथ ही दर्द निवारक दवाएं जैसे-ब्रूफेन तथा पैरासिटामोल आदि साथ रखें। कुछ अच्छे मलहम भी रख लें तो ठीक रहेगा।
देश-विदेश में कई जगह ट्रेकिंग कर चुके आयुर्वेदाचार्य डॉ. विनोद वर्मा के अनुसार ट्रेकिंग के लिए जाते समय कैसी सावधानी रखनी चाहिए, यह इस पर निर्भर है कि आप किस ऊंचाई पर जा रहे हैं। यदि आप चार हजार फुट या उससे अधिक की ऊंचाई पर ट्रेकिंग के लिए जा रहे हों, तो एक बार में ही पूरी ऊंचाई पर जाने की बजाय धीरे-धीरे ऊपर जाएं। पहले दो हजार फुट की ऊंचाई पर जाएं, वहां रुकें। फिर तीन हजार फुट ऊंचाई पर जाएं और वहां भी रुकें। फिर चार हजार फुट की ऊंचाई पर जाएं। साथ ही पानी की बोतल और ग्लूकोज अवश्य ले जाएं। बेहतर होगा कि पानी साफ करने के लिए क्लोरीन की गोली भी साथ ले जाएं। ब्लड प्रेशर के रोगी ऊंचाई पर न जाएं। खाने के सामान में प्रोटीनयुक्त चीजें- भुने हुए काले चने, गुड़, बादाम, मिश्री आदि साथ रखें।
बारिश के कपड़े साथ में जरूर रखें। इसके अलावा छाता ले जाना भी जरूरी है। जूते अच्छे होने चाहिए, जो ट्रेकिंग के दौरान टूटें नहीं। इसके साथ ही बदलने के लिए भी जूते अवश्य होने चाहिए। कपड़े लेयर्स वाले होने चाहिए। क्योंकि कपड़ों के गीले होने पर समस्या हो जाती है। कई कपड़े साथ लेकर जाएं। क्योंकि वहां दिन गर्म व रातें ठंडी होती हैं। कई लेयर वाले कपड़े लाभ देते हैं। ताजा नींबू व नींबू का मीठा अचार साथ रखें। सांस चढ़ने पर इसके एक टुकड़े को मुंह में रखें। सर्दियों में ट्रेकिंग के लिए जा रहे हों तो सोंठ व पिप्पली का मिश्रण बना लें और साथ ले जाएं। जरूरत पड़ने पर शहद व गुड़ के साथ इसका सेवन करें।
तीन बातों का रखें ख्याल- डर, चोट और एंग्जायटी
वरिष्ठ होम्योपैथ डॉ. एस. सचदेव के अनुसार ट्रेकिंग पर जाते समय तीन बातों का खास ख्याल रखें। ये हैं डर, चोट और एंग्जायटी। इसमें से चिंता से बचने के लिए एकोनाइट-30, अर्जेटम नाइट्रिकम-30 आदि साथ में रखें। इसी तरह डर, खासकर ऊंचाई से देखने पर होने वाले डर से बचने के लिए काली फॉस-6 एक्स साथ रखें। चोट आदि लगने पर खून निकलने की स्थिति में आर्निका-30, कैलेंडुला मदर टिंक्चर आदि साथ रखें। कैलेंडुला एक उम्दा एंटिसेप्टिक है। गिरने से लगने वाली (रगड़ वाली) चोट के लिए हाइपौरिकम-30 अधिक लाभदायक रहेगा।