सफर में रखिए सेहत का खयाल

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घूमने का शौक तो सबको होता है, लेकिन इसके सही तौर-तरीके हर व्यक्ति नहीं जानता है। इसकी वजह कुछ और नहीं, बल्कि अलग-अलग जगहों की जलवायु और वहां उपलब्ध सुविधाओं व संसाधनों की ठीक-ठीक जानकारी न होना है। अगर घूमने के लिए निकलते समय पहले से आप उस जगह के बारे में जरूरी जानकारियां हासिल कर लें तो मजा दोगुना हो जाता है। इसके विपरीत जानकारी के अभाव में अगर असंतुलित आहार-विहार से सेहत बिगड़ जाए तो मजा किरकिरा हो जाता है।

मार्च-अप्रैल में दक्षिण व उत्तर के मौसम में बहुत अंतर

मार्च-अप्रैल के महीने में अगर आप दक्षिण या उत्तर भारत की सैर पर निकलने का मन बना रहे हैं, तो स्वास्थ्य ठीक बनाए रखने के लिए आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। नोएडा स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ होम्योपैथ डॉ. सुरेश सचदेव के अनुसार इस मौसम में आप जहां भी जा रहे हों, आपको बहुत अधिक तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि मौसम खुशगवार होता है। वह कहते हैं कि शिमला, जम्मू जैसे स्थानों पर इस मौसम में रातें कुछ ठंडी हो सकती हैं, पर इससे कोई बड़ी परेशानी नहीं आती। डॉ. सचदेव के अनुसार इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा कम से कम तेल-घी व मसाले वाला साफ-सुथरा खाना खाना चाहिए। ताजे फल खाने चाहिए।    हालांकि दिल्ली के आयुर्वेदाचार्य डॉ. विनोद वर्मा कहते हैं कि इस मौसम में दक्षिण व उत्तर के मौसम में बहुत अंतर होता है। दक्षिण में जहां गर्मी पड़ती  है, वहीं उत्तर में ठंडी हवाएं चलती हैं।

अत: मैदानी भागों से वहां जाने वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। जबकि शिमला, मसूरी आदि ठंडे इलाकों में जाने वाले लोगों को गर्म चीजें खानी चाहिए तथा भोजन में लहसुन का उपयोग जरूर करना चाहिए। ठंडे क्षेत्रों में जाएं तो चावल, दही आदि ठंडी चीजें खाने से बचना चाहिए। चूंकि वहां ठंडी हवा चलती है, अत: सिर ढककर रखना चाहिए। सांस की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तेज हवा में बाहर निकलने से बचना चाहिए। जबकि दक्षिण में मौसम अपेक्षाकृत गर्म होता है। अत: वहां पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए। तरल भोज्य पदार्थो का सेवन करें। ठंडी चीजें जैसे- चावल, दही आदि जमकर खाएं। चावल से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ती है। इसका लाभ आपको वहां मिलता है।

नारियल पानी से बुझाएं प्यास

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ होलिस्टिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. आर. के. तुली दक्षिण भारत में भोजन के संबंध में डा. वर्मा से सहमति जताते हुए कहते हैं कि वहां नारियल लगभग हर जगह मिलता है। इसका पानी प्यास बुझाने के लिए सर्वोत्तम है। दक्षिण जाने वाले लोग त्वचा को सनबर्न से बचाने के लिए छाता अवश्य रखें। यदि संभव हो तो पूरी बाजू की शर्ट पहनें। आंखों पर धूप चश्मे लगाएं। खुले स्थानों पर रखे कटे फल का इस्तेमाल न करें। खुले में रखे जूस आदि न पीएं। उत्तर की ओर जाने वाले लोगों को ठंडी चीजों जैसे- चावल, दही आदि खाने से बचना चाहिए। साथ में ऊनी कपड़े लेकर जरूर चलें। बच्चों का खास ध्यान रखना चाहिए। उन्हें ठंड से बचाना चाहिए। इस इलाके में ठंड ज्यादा होने से त्वचा फटती है, अत: पैर व हाथों की उंगलियों पर तैलीय चीजें जैसे- वैसलीन या कोई अन्य कोल्ड क्रीम लगाकर बाहर निकलें। बाहर से आने के बाद हाथ व पैरों की उंगलियों की गर्म पानी में सिंकाई करें। कई बार ऐसा होता है कि ठंड से उंगलियां सुन्न हो जाती हैं। इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि जूते आदि ठीक से पहनें। हृदय व सांस से संबंधित बीमारी से ग्रस्त लोगों को इस मौसम में ठंडे इलाकों में जाने से बचना चाहिए। यदि वह इन इलाकों में जाएं और इसके बाद वहां के तापमान में ज्यादा गिरावट आ जाए तो होटल में ही रहें, क्योंकि बाहर निकलने से बीमार पड़ सकते हैं।

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