अलग है बर्फ पर फिसलने का रोमांच

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आ गया मौसम शीतकालीन खेलों का, जिसके लिए सैलानियों को हिमपात की प्रतीक्षा होती है। बर्फबारी शुरू होते ही इन खेलों के दीवाने बर्फीले ठिकानों की ओर निकल पड़ते हैं। ऐसा ही एक रोमांचक खेल है स्कीइंग। बर्फ से ढके पहाड़ी ढलानों पर दूर तक फिसलते जाने के इस खेल के लिए जरूरत है साहस की। इसके लिए खास तौर पर बनाए गए जूते में नीचे स्की ब्लेड यानी लकड़ी या धातु का लंबा सा फट्टा जुड़ा होता है। उसे पैरों में पहन सैलानी दोनों हाथों में पकड़ी छड़ी के सहारे बर्फीले रास्तों पर फिसलते हैं।  जम्मू-कश्मीर, हिमाचल तथा उत्तरांचल में ऐसे कई स्थान हैं, जहां इसका आनंद लिया जा सकता है। दिसंबर के अंत से मार्च तक इन हिम सैरगाहों पर उमड़ने वाले देशी-विदेशी सैलानियों की भीड़ देख स्कीइंग की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग व पहलगाम में स्कीइंग की बेहतरीन ढलानें हैं। गुलमर्ग में लगभग 200 मीटर तक की ऐसी सामान्य ढलानों पर स्कीइंग की शुरुआत की जा सकती है। स्कीरन यानी स्कीइंग के मार्ग के ऊपरी छोर तक जाने के लिए यहां स्की एवं चेयर लिफ्ट की सुविधा भी है। यहां का सबसे लंबा स्कीरन 2213 मीटर लंबा है, जो गंडोला केबल कार से जुड़ा है। पहलगाम की घाटियों में कई स्की स्लोप हैं। जम्मू के पास पटनीटॉप में देर से बर्फ गिरती है, पर स्कीप्रेमी तुरंत पहुंच जाते हैं। यहां बर्फ की परत अधिक मोटी नहीं होती।

हिमाचल प्रदेश में बर्फ पड़ते ही पहाड़ ऐसे चमकने लगते हैं मानो स्कीप्रेमियों को निमंत्रण दे रहे हों। राजधानी शिमला के निकट स्थित कुफरी में सबसे पहले बर्फ गिरती है। बर्फबारी होते ही यहां साहसी सैलानियों का जमघट लगने लगता है। इसके पास ही महासु रिज के ढलान भी स्कीइंग के योग्य हैं। शिमला से 64 किमी दूर नारकंडा भी हिमपात होते ही सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार हो जाता है। इन दिनों में यहां केवल हिमक्रीड़ा के दीवाने ही पहुंचते हैं। नारकंडा में पर्यटकों के लिए हर स्तर के ढलान हैं तथा स्कीइंग की पूरी सुविधा है। मनाली के निकट स्थित सोलांग घाटी भी स्कीप्रेमियों का प्रिय स्थल है।

उत्तरांचल के गढ़वाल व कुंमाऊ क्षेत्रों में स्कीइंग के कई आदर्श स्थल हैं। इन स्थानों पर लंबी दूरी के ढलानों की कमी नहीं है। जो कि स्कीप्रेमियों की पहली पसंद होते हैं। उत्तरांचल का सबसे प्रसिद्ध स्की रेसार्ट औली है। चमोली जिले में जोशीमठ से 16 किमी दूर स्थित औली दुनिया भर में प्रसिद्ध है।  इसकी गिनती विश्व के सर्वोत्तम स्कीइंग केंद्रों में होती है। यहां स्थितियां भी हिमक्रीड़ा के अनुकूल हैं। एक ओर से ऊंचे चीड़ वृक्षों की कतार के साये में विस्तृत पहाड़ी ढलानों पर शीतलहर से भी सुरक्षा होती है। जोशीमठ से 3.4 किमी लंबी रोपवे ट्रॉली की यात्रा कर सैलानी 1906 मीटर की ऊंचाई से सीधे 3016 मीटर की ऊंचाई पर गौरसों पहुंचते हैं। जहां हर दिशा में बर्फ का कालीन बिछा होता है। यहां से स्कीलवर्स बर्फ पर फिसलने का मजा उठाना शुरू करते हैं। औली में लगी 500 मीटर लंबी स्कीलिफ्ट व 800 मीटर लंबी चेयर लिफ्ट स्कीइंग कर पहुंचे सैलानियों को पुन: शिखर पर ले जाती है, ताकि वह जब तक चाहें इसका आनंद ले सकें।

उत्तरांचल में उत्तरकाशी से 28 किमी दूर दयारा बुग्याल भी जाड़ों में स्कीइंग रेसार्ट बन जाता है। 3050 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद यहां के बर्फीले ढलान विदेशी सैलानियों को भी बेहद पसंद आते हैं। उत्तरांचल में स्कीइंग के अन्य ठिकाने हैं-पिथौरागढ़ में मुनस्यारी, उत्तरकाशी जिले में ही कुश कल्यान, टिहरी जिले में पवाली तथा चमोली जिले में बेदनी बुग्याल।

ठहरने की सुविधा

सभी स्थानों पर ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। जम्मू-कश्मीर में गुलमर्ग, पहलगाम आदि में हर बजट के होटल हैं। इनके अलावा पर्यटन विभाग की टूरिस्ट हट भी है। सोलांग घाटी हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मनाली से 16 किमी दूर है। वहां ठहरने के लिए कुछ होटल एवं रेसार्ट हैं। औली आने वाले पर्यटक  चाहें तो जोशीमठ में ठहर सकते हैं। वैसे औली में गढ़वाल मंडल विकास निगम का टूरिस्ट रेस्ट हाउस भी है। यह ऋषिकेश से 253 किमी दूर है।

प्रशिक्षण

यदि आपको स्कीइंग नहीं आती तो भी निराश होने की कोई बात नहीं है। साहस भरा यह खेल आसानी से सीखा जा सकता है। हर जगह इसके कोर्स तथा योग्य प्रशिक्षक भी हैं। औली  और सोलांग में स्कीइंग कोर्स कराए जाते हैं। जिनका शुल्क चार से आठ हजार रुपये तक है। औली में स्कीइंग महोत्सव और नेशनल चैंपियनशिप भी होता है। गुलमर्ग में उच्च स्तर की स्कीइंग के लिए एडवांस कोर्स किए जा सकते हैं। हर जगह स्नोबूट, शीत हवाओं से बचाने वाली जैकेट, मफलर, टोपी, दस्ताने तथा स्न-ग्लास और अन्य उपकरण भी सरलता से किराए पर मिल जाते हैं।

सावधानी

इस खेल में शामिल होने के लिए पूरी सावधानी बरतनी होती है। नियमित व्यायाम व जॉगिंग कर शारीर को पहले से तैयार कर लेना चाहिए। स्कीइंग के दौरान प्रशिक्षक के निर्देशों का पूरा पालन करना चाहिए। पूर्व निर्धारित स्कीरन से हर किसी को नहीं फिसलना चाहिए। तैयारी के बाद ही स्कीइंग शुरू करनी चाहिए। बहुत ऊंचाई पर रहते हुए पर्याप्त मात्रा में पानी एवं जूस जरूर लेते रहें तथा भोजन के प्रति लापरवाह न हों। पूरी तरह सतर्क एवं सावधान रह कर ही स्कीइंग का वास्तविक आनंद उठाया जा सकता है।

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