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स्वर्ण मंदिर की दिन भर की यात्रा प्रात: काल 4 बजे आसा-दी-वार (प्रात:कालीन सेवा) से प्रारम्भ होकर चौपाई साहिब (शाम की सेवा) पर समाप्त होती है एवं पालकी साहिब के दर्शन करने का अवसर भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त आप मीरी और पीरी (श्री अकाल तख्त एवं श्री हरिमंदिर साहिब) बाबा अटल एवं गुरू के महल देखकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकते। आप गुरवाणी एवं कीर्तन से अर्चना और सेवा (स्वेच्छा से सेवा)करके मन की शांति प्राप्त कर सकते है। प्रसिद्ध पारम्परिक लंगर (चौबीस घण्टे-सातों दिन मुफ्त सामुदायिक रसोई)में भाग लेकर आप सिख अजायबघर भी देख सकते है।
अमृतसर के इर्द-गिर्द के गुरूद्वार दर्शन हेतु एक दिन का अनुभव, गोईदवाल साहिब (जहां पर 84 जन्मों के चक्कर से मोक्ष प्राप्त होने की अवधारणा है और जहां लंगर की परम्परा प्रारम्भ हुई थी) से शुरू होकर खडूर साहिब (जहां गुरू अंगद देव जी ने प्राचीन सती परम्परा को बंद किया था), झूलना महल (हिलती दीवार) गुरुद्वारा तरनतारन साहिब (गुरू अर्जन देव जी द्वारा स्थापित ऐतिहासिक गुरुद्वारा), रबाबसर (जहां गुरू नानक साहिब के निर्देशों पर भाई मरदाना ने अपनी रबाब तैयार की), गुरुद्वारा बीड़बाबा बुड्डा साहिब जी (जहां गुरु अर्जन देव जी की धर्मपत्नी माता गंगा देवी को पुत्र रत्तन की प्राप्ति का वरदान मिला) के दर्शन करके आप अपनी यात्रा सफल करें।
मानवता दर्शन
स्वर्गीय भगतपूर्ण सिंह जी, जिन्होंने जरूरतमंदों, गरीबों एवं रोगियों की देख-भाल में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया, द्वारा स्थापित बेसहारा लोगों के लिए चैरीटेबल होम ”पिंगलवाड़ा” व प्रमुख धार्मिक संस्था चीफ खालसा दीवान की ओर से चलाया जा रहा सैंट्रल खालसा यतीमखाने में जाकर अनाथ बच्चों एवं नेत्रहीन विद्यालय का दौरा करें। दिन का अंत हरिमंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में करें और गुरवाणी श्रवण करते हुए वाहेगुरू के संदेश पर चलने का प्रण करें।
पक्षियों की चहचहाट
बर्ड सैंचुरी, हरीके पत्तन देखने के लिए आधा दिन लग जाता है। मंजूरशूदा रामसर साईट में 350 से अधिक प्रजातियों के पक्षी आते हैं। जलगाहों मे मोटरबोट का आनंद लें। पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां देखते हुए प्रकृति की अनुभूति प्राप्त करें।
गुरू की मसीत
अमृतसर से कुछ ही घण्टों में हरगोबिंदपुर पहुंचा जा सकता है, जहां गुरू की मसीत स्थित है। सिखों के छठे गुरू, श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने यहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। 1947 में बंटवारे के पश्चात्त यहां निहंगों ने मस्जिद की देख रेख अपने ऊपर लेते हुए यहां गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया। धर्म-निरपेक्षता की प्रतीक इस मस्जिद में आज भी गुरू-ग्रंथ साहिब सुशोभित है एवं हर रोज पाठ किया जाता है।
राधा स्वामी दर्शन
राधा स्वामी डेरा बाबा जैमल सिंह, ब्यास राधा स्वामियों का मुख्यालय है। अमृतसर से लगभग आधे घण्टे की दूरी पर स्थित डेरे में हर रोज दुनिया भर से श्रद्धालु गुरू का सत्संग सुनने आते हैं। सुसगठित डेरा अपने अत्याधुनिक अस्पताल के लिए भी प्रसिद्ध है।
अमृतसर के आस-पास के गुरद्वारे
अमृतसर के आस-पास के गुरद्वारों (बाबा बकाला, खडूर साहिब, गोईदवाल साहिब, तरनतारन, झूलना महल, बाबा बुड्ढा साहिब, गुरू की वडाली, सन्न साहिब एवं छेहर्टा साहिब) के दर्शनों का कार्यक्रम भी अवश्य बनाएं। ग्रामीण पंजाब का दौरा करके गुरु-घरों की शांति एवं सदभावना से अभिभूत होइए।