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यात्रा करने और प्रकृति के साथ होने में वो मजा नहीं जो यात्रा करते वक्त प्रकृति के साथ होने में है। यानि जब आप चलें तो आपके साथ पेड़-पौधे, पहाड़, हवा, बादल सब चलें। ‘यही है यात्रा करने का असली आनंद’ यह कहना है चंदन लाहिड़ी का जो मोटर-बाइक पर अपना सफर तय करते हैं।
चंदन लाहिड़ी के नाम पर दो विश्व रिकार्ड भी दर्ज है। चंदन ने 2 सितंबर 2003 को अकेले 14 घंटे 44 मिनट में दुनिया के तीन सबसे ऊंचे दर्रो को पार किया। अगले ही साल 2004 में की जुलाई में चंदन और उनके पांच साथियों की टीम ने इन दर्रो- मारस्मिक ला, खारदूंग-ला, तांगलांग-ला और चांग-ला की संख्या चार करके नया विश्व रिकार्ड बना दिया। इस टीम ने 23 घंटे 25 मिनट में बर्फीले रास्तों पर 638 किलोमीटर का सफर तय किया। इसमें सबसे जोरदार बात तो यह थी कि यह कीर्तिमान पारंपरिक डेढ़ सौ सीसी की बाइकों पर बनाया गया, किसी ज्यादा ताकतवर बाइक पर नहीं। अब चंदन इस साल एक नए गिनीज रिकार्ड को कायम करने की राह पर हैं और वह है माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पर 23 हजार फुट की ऊंचाई तक मोटर वाहन (एटीवी-आल तराई व्हीकल) लेकर जाने का।
चंदन के अनुसार सफर का सबसे अच्छा साधन मोटर-बाइक है क्योंकि मोटर-बाइक आपके नियंत्रण में है तो आप प्रकृति को अपना साथी समझते हैं, और आप नए रास्तों की खोज भी कर सकते हैं। वैसे भी चंदन का सुझाव है कि भारत के लोगों को विश्व यात्रा से पहले भारत यात्रा करनी चाहिए। और भारत में बाइक से घूमने वालों के लिए बहुत कुछ है। चंदन ने बताया कि मोटर-बाइक पर यात्रा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे मोटर-बाइक पूरी तरह ठीक हो, टूल बॉक्स साथ रखें, पेट्रोल साथ रखें, इंजन सही रखें। सफर पर जाने से पहले अपनी बाइक को ढंग से चला कर देखें और सबसे जरूरी सफर में किसी के साथ प्रतिस्पर्धा ना करें।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग सफर के लिए मोटर-बाइक का हुलिया बदल देते हैं, पर इसकी कोई जरूरत नहीं है। ज्यादा से ज्यादा आप चेन स्प्रोकेट बदलवा लें, इंजन की ट्यूनिंग करवा लें, गेयर दुरुस्त रखें, फिल्टर, टायर आदि बदलें या ठीक करवाये। इसमें दो हजार से तीन हजार तक का खर्चा होगा। थोड़ा-बहुत सामान (जैसे कि पंक्चर वगैरह निकालने का, या स्पेयर प्लग, बल्ब आदि) साथ में रखना होगा। आप किसी भी मोटर-बाइक के साथ सफर कर सकते हैं। बस उसकी हालत ठीक हो। यदि अपनी मोटर-बाइक मॉडीफाइ करवाना ही चाहते हैं तो आप दिल्ली में ओखला फेज-2 में स्पोर्ट मोटो से, झंडेवालान से और करोलबाग से करवा सकते है। इसी तरह के मैकेनिक हर शहर में मिल जाएंगे। वैसे लोग 17 हजार फुट तक की चढ़ाई आम स्कूटर तक पर कर लेते हैं, बस हिम्मत होनी चाहिए।
चंदन ने बताया कि सफर का सबसे अच्छा रूट दिल्ली-लेह-दिल्ली है, जिसे आप 12 दिन में पूरा कर सकते हैं। इसमें आपका मात्र एक हजार से पंद्रह सौ रुपये का खर्च वाहन का होगा। कुछ और रूट हैं जहां लोग जा सकते हैं, जैसे गोवा से बैंगलूर, मुंबई से गोवा, दिल्ली से राजस्थान, दिल्ली से सिक्किम, कन्याकुमारी से भूटान और लेह से अरुणाचल प्रदेश। मोटर-बाइक पर सफर करने का सही मौसम जून से दिसंबर तक चलता है, तो इंतजार किस बात का, बाइक उठाइए और ये ना सोचें की कहां जाना है, बस ये सोचें कि सफर करना है।