डेक्कन ओडीसी: ऐशो-आराम की सैर

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भारत में ट्रेनें आवागमन के सबसे महत्वपूर्ण साधन के अलावा पर्यटन का भी जरिया हैं। लेकिन न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में ऐसी कई ट्रेनें हैं जो खुद अपने आप में पर्यटन स्थल का दरजा हासिल कर चुकी हैं। ऐशो-आराम की जो कल्पना किसी पांच सितारा होटल को लेकर की जाती है, वह दौड़ती रेलगाड़ी में मिलना विलासिता का चरम कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन रेलगाडि़यों ने सफर को उसी अंदाज में फिर जिंदा किया है जिस अंदाज में कभी राजा-महाराजा किया करते थे। जाहिर है, इस सुविधा की अपनी खासी कीमत है। दक्षिण अफ्रीका की ब्लू ट्रेन, यूरोप की ओरिएंटल एक्सप्रेस और दक्षिण पूर्व एशिया की ईस्टर्न व ओरिएंटल सरीखी कई ट्रेनें दुनियाभर में चलती हैं। लेकिन हमारे अपने देश में भी ऐसी एक-दो नहीं बल्कि कई ट्रेनें चलती हैं जो यात्रियों को राजसी सुख उपलब्ध कराती हैं। अगर आप खिड़की से बाहर न झांकें तो आपको कतई अहसास ही नहीं होगा कि आप एक चलती ट्रेन में हैं।

ठाट-बाट का राजसी अहसास

इन्हीं में से एक है डेक्कन ओडीसी। महाराष्ट्र पर्यटन की ओर से चलाई जाने वाली यह पूरी तरह वातानुकूलित रेलगाड़ी पूरे शाही अंदाज में पर्यटकों को महाराष्ट्र की सैर कराती है। इस ठाट-बाट का अहसास आपको उसी पल से हो जाएगा जब ट्रेन में बैठने के लिए पहुंचने पर आपका स्वागत माला पहनाकर और तिलक लगाकर किया जाएगा। इतना ही नहीं, सफर पूरा होने पर यादगार के तौर पर आपको आपका एक फोटो भी दिया जाता है। सीजन के महीनों में हर बुधवार की शाम को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन से रवाना होने वाली डेक्कन ओडीसी महाराष्ट्र के जिन इलाकों की सैर कराती है वे हैं-मुंबई, गणपतिपुले, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, तरकारली, सावंतवाड़ी, गोवा, पुणे, औरंगाबाद, अजंता-एलोरा व नासिक। ट्रेन के डिब्बों के नाम महाराष्ट्र के प्रमुख स्थलों और किलों के नाम पर रखे गए हैं। इस तरह यह ट्रेन न केवल एक शाही यात्रा का लुत्फ देती है बल्कि किलों से लेकर समुद्र तटों और प्राचीन गुफाओं तक की सैर कराती है। यह सैर भी उतनी ही शान से होती है जितनी कि आपकी ट्रेन की सवारी।

लक्जरी से भरपूर

डेक्कन ओडीसी में 11 डिब्बों में कुल 44 स्यूट हैं। इनके अलावा दो डिब्बों में चार प्रेसिडेंशियल स्यूट भी हैं। खाना खाने के लिए दो डिब्बो में रेस्तरां हैं। यहां आपको इंडियन, कांटीनेंटल, मराठी, चाइनीज व गोवा रेंज का भोजन मिलेगा। वैसे मौसम के हिसाब से मीनू भी बदलता रहता है। एक डिब्बा पूरी तरह बार में तब्दील कर दिया गया है जहां हर किस्म की हार्ड व सॉफ्ट ड्रिंक का आनंद लिया जा सकता है। इसके अलावा एक डिब्बा कांफ्रेंसिंग के लिए है जिसमें बिजनेस सेंटर भी है। यहां एसटीडी, आईएसडी, इंटरनेट व फैक्स सुविधा उपलब्ध है। यानी चलती ट्रेन में भी आप पूरी दुनिया के संपर्क में रह सकते हैं। जरूरत पड़ने पर आप चाहें तो मोबाइल फोन भी आपको उपलब्ध कराया जा सकता है। इतना ही नहीं, रोजाना आपको अपने केबिन में अखबार व मैग्जीन भी मिलते रहेंगे। एलसीडी टीवी, प्लाज्मा टीवी और डिस्क प्लेयर भी ट्रेन में लगे हैं। स्पा के प्रति दुनियाभर में बढ़ते रुझान के चलते एक डिब्बा पूरी तरह इसके लिए तैयार किया गया है, जहां जाकर यात्री अपनी थकान मिटा सकते हैं। यहां स्टीम, ब्यूटी पार्लर, जिम व आयुर्वेदिक स्पा उपलब्ध हैं। वैसे तबियत नासाज हो जाए तो अगले ही स्टेशन पर डाक्टर भी आपकी सेहत की फिक्र करता नजर आएगा। गाड़ी में इसके अलावा एक डिब्बा स्टाफ के लिए और दो बिजली जेनरेटरों के लिए भी हैं। ट्रेन चूंकि पूरी जुड़ी होती है इसलिए जाहिर है, आप जब चाहे, जिस चीज का आनंद उठा सकते हैं। चौबीस घंटे की रूम सर्विस तो उपलब्ध है ही।

डेक्कन ओडीसी बुधवार की शाम को मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से चलती है। बृहस्पतिवार की सवेरे यह भोके रेलवे स्टेशन पहुंचती है। यहां से यात्रियों को बैकवाटर्स का मजा दिलाने के लिए एसी बस से राय भटगांव जेटी ले जाया जाता है। बैकवाटर्स में जयगढ़ पहुंचा जाता है और फिर बस में ही कोंकण तट के सर्वश्रेष्ठ बीच में से एक पर ले जाया जाता है। गणपतिपुले बीच रिसोर्ट पर सुकून से दोपहर का भोजन होता है। दोपहर बाद बस से रत्नागिरी शहर ले जाया जाता है जहां रत्नादुर्ग किला देखने के अलावा आप खरीदारी भी कर सकते हैं। जो ट्रेन सवेरे आपने भोके स्टेशन पर छोड़ी थी, वह अब रत्नागिरी से आपको मिल जाती। कुछ-कुछ इसी तरह आपको इस सफर में रोजाना एक नई जगह देखने को मिल जाती है।

तीसरे दिन सिंधुदुर्ग, तरकारली (यहां फिर से बैकवाटर्स का मजा) और सावंतवाड़ी, चौथे दिन गोवा (ओल्ड गोवा की चर्च, फोर्ट अगोडा बीच रिसोर्ट में लंच और पणजी में दोना-पोला की सैर), पांचवे दिन पुणे, छठे दिन औरंगाबाद, सातवें दिन अजंता की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं व नासिक घूमते हुए आठवें दिन (यानी अगले बुधवार) की सुबह फिर से सीएसटी मुंबई पहुंच जाते हैं। इसी दिन शाम को ट्रेन फिर से यात्रियों की नई खेप लेकर इसी सफर पर निकल जाती है। इस सफर में दोपहर का भोजन आपका हमेशा उस जगह पर होता है जहां आप घूमने जाते हैं और रात्रि का खाना हमेशा ट्रेन पर होता है। यानी दोनों मजे भरपूर।    राजसी सुविधाएं मिलेंगी तो जाहिर है उनकी कीमत भी होगी।

कब कराएं बुकिंग

डेक्कन ओडीसी हर सीजन में सितंबर से अगले साल अप्रैल तक कुल आठ महीने चलती है। यानी मई, जून, जुलाई व अगस्त के महीनों में यह रख-रखाव के लिहाज से बंद रहती है। यानी इसका लुत्फ आप गरमियों की छुट्टियों में नहीं उठा सकते। लेकिन इस सीजन में आपके पास दो महीने उपलब्ध हैं। मजेदार बात यह है कि सीजन के पहले व आखिरी महीने यानी सितंबर व अप्रैल में यात्रा की दरें कम होती है और अक्टूबर से मार्च तक थोड़ी ज्यादा। वैसे तो कुल सफर सात दिन का होता है, लेकिन सीटों की उपलब्धता के हिसाब से इसे मुंबई से गोवा या गोवा से मुंबई के तीन दिनों के सफर के लिए भी बुक कराया जा सकता है।

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