सुकून पाना हो तो आइए कॉर्बेट पार्क

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रोजमर्रा की भागती जिन्दगी, महानगरीय शोर- शराबे से दूर सुकून के दो पल बिताने की लालसा रखने वाले पर्यटकों के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति  पर्यावरण एवम् जैव विविधता की जानकारी प्राप्त करने के जिज्ञासुओं के लिए विश्व प्रसिद्घ जिम कार्बेट नेशनल पार्क से उत्तम स्थल शायद ही इस क्षेत्र में देखने को मिले।

अंग्रेज जिम कार्वेट के नाम पर स्थापित

प्रसिद्घ शिकारी जिम कार्वेट के नाम से वर्ष 1936 में स्थापित 1288 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में बियावान घने जंगलों के बीच प्रकृति के शान्त वातावरण को भेदती शेरों की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ पर्यटकों के बीच जहां एक रोमांच पैदा करती है वहीं कुलाचे मारते हिरनो के झुण्ड, पंख फैलाकर नाचते मयूर एवम् रामगंगा नदी की गहराई में अपने शिकार की तलाश में घात लगाये घडि़याल एवम् मगरमच्छ के नयनाभिराम दृश्य वन्य प्राणियों के प्रति अगाह  प्रेम रखने वले पर्यटकों के जीवन में नीचे फैली अकूल वन सम्पदा पर लगभग पाँच सौ से भी ज्यादा देशी विदेशी पक्षियों का कोलाहल, उछल कूद करते लंगूर एवम् बन्दरों का चीत्कार वास्तव में इस राष्ट्रीय वन अभ्यारण्य की सुन्दरता में चार चाँद लगाने में कोई असर नहीं छोड़ता। यही वजह है कि प्रकृति की गोद में, अठखेलियां कर बहती रामगंगा नदी के तट पर बसे इस पार्क के नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए पर्यटकों की यहां भरमार रहती है। कई बार पार्क में बने विश्राम गृहों में स्थान न मिल पाने से पर्यटकों को निराश होकर लौटना पड़ता है। यदि सैर सपाटा मौजमस्ती करनी है तो नैनीताल, रानीखेत, कौसानी, अल्मोड़ा, मसूरी जैसे स्थलों की इस राज्य में कमी नहीं है। मगर यदि एकान्त में संकुल ने कुछ पल बिताने है, खुले आसमान के नीचे विचरण करने वाले खूंखार वन्य प्राणियों के दर्शन करने है या फिर नेशनल पार्क से बेहतरीन जगह कोई नहीं हो सकती।

जैव विविधता से भरपूर

कार्बेट पार्क में पर्यटकों के लिए हिकाला, गैरल, सुल्तान सर्पदुली, विजराती, खिनानौली, कान्डा सुल्तान, मलानी, लोहाचौड़, मोर हाडरी सिन्धी खाल, मुडियापानी, रघुवर ढाव, पाखरो, ढेला, झिरना आदि स्थानों पर वन विश्राम गृहों की स्थापना की गयी है। कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान के कर्मचारी एवं प्रकृति पर्यटकों के स्वागत को सदैव तत्पर रहते हैं।

कार्बेट पार्क में 2003 की गणना के आधार पर  कुल 123 शेर हैं जिनमें से 56 नर, 76 मादा, 11 बच्चे हैं। इसी तरह गुलदारों की संख्या 103 है जिनमें नर 47,मादा 54, बच्चा 1 है। हाथियों की आबादी 627 जिनमें 62 दुधमुंहे, 12 एक से पांच वर्ष तक के बच्चे, 50 अवयस्क नर, 99 अवयस्क मादा व 110 नर, 234 मादा हैं। इसी प्रकार 31304 चीतल, 4239 सांभर, 1557 काकड़, 75 भालू 6151 सुअर, 447 पांडा, 9817 बंदर, 377 घुरड़, 413 नील गाय, 142 सियार, 122 साही, 79 शशक भी हैं। इसके अलावा पार्क में घडि़याल, मगरमच्छ, अजगर, कोबरा, कछुवा, गोह, किंग कोबरा, महाशरी, गूंच टाकूर भी काफी संख्या में पाये जाते हैं। पार्क में निवास करने वाली तथा विदेशों से आने वाले पक्षियों की संख्या 580 के आस पास है।

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