जंगल में मंगल मनाना हो तो आएं

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बांदीपुर नेशनल पार्क

अगर सैर-सपाटे पर जाना हो और मौज-मस्ती के साथ प्रकृति और विभिन्न जीव-जंतुओं के बार में सही जानकारी भी जुटानी हो, या कहें जंगल में मंगल मनाने का मन हो तो दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित बांदीपुर नेशनल पार्क आपके लिए एक अच्छी जगह हो सकती है। दक्षिण कर्नाटक में स्थित इस पार्क में खूबसूरत नजारों की भरमार तो है ही, स्वच्छंद रूप से विचरते पशु-पक्षियों को देखकर मन विह्वल हो उठता है। कई तरह के पक्षियों की चहचहाहट के साथ हाथियों की चिग्घाड़ और बाघ की दहाड़, यह सब यहां आप सहज प्राकृतिक रूप में सुन और देख सकते हैं। यह पार्क समुद्र तल से 780-1455 मीटर की ऊंचाई पर है।

बांदीपुर नेशनल पार्क एशियाई हाथियों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां बोटिंग और फिशिंग के लिए भी खास व्यवस्था है, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पहले यह मैसूर के राजाओं की शिकारगाह हुआ करता था। बाद में सन 1930 में ब्रिटिश सरकार ने यहां इसे  संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। बाद में यानी कि 1941 में नागरहोल नेशनल पार्क, व्यानंद और मधुमलाई सैंक्चुरी से भी सीमाएं जुड़ होने के कारण इसका और विस्तार हो गया। बांदीपुर नेशनल पार्क 865 वर्ग किमी में फैला हुआ है। 1974 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया।

शामिल है प्रोजेक्ट टाइगर में

वातावरण और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप होने के चलते नेशनल पार्क यहां पर रहने वाले जानवरों के लिए सबसे बेहतर है। इस पार्क में हाथियों की कुल संख्या 1900 के आसपास है और बाघों की संख्या 66 के करीब। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत देश भर के 15 पार्को में इसे भी शामिल किया गया है। साथ ही यहां नीलगिरि लंगूर भी बहुत भारी संख्या में पाए जाते हैं। इनके अलावा चित्तीदार हिरन, सांभर, गौर, फ्लाइंग स्कि्वरेल नाम की एक खास तरह की गिलहरी और चौसिंघे हिरन भी यहां खूब देखे जा सकते हैं।

हिरनों की यहां कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें चीतल बेहद सुंदर होता है। इनके अलावा सेही, जंगली सुअर, जंगली कुत्ते और मगरमच्छ जैसे जानवरों को भी यहां आप आसानी से देख सकते हैं।    पक्षियों की कई प्रजातियां    पशु ही नहीं, यहां आप कई तरह के खूबसूरत पक्षियों को भी उनके प्राकृतिक परिवेश में देखने का सुखद अहसास सहज रूप से हासिल कर सकते हैं। इस नेशनल पार्क में पक्षियों की 230 प्रजातियां पाई जाती हैं। खासतौर से पक्षियों में विशेष रुचि लेने वालों के लिए बांदीपुर नेशनल पार्क एक महत्वपूर्ण जगह हो सकती है। यहां सरपेंट ईगल को देखना रोचक अनुभव होता है, यह यहां पाई जाने वाली खास प्रजातियों में से एक है। शाहीन फॉलकांस, हॉक ईगल, ऑस्पे्र, ग्रे हेडेड फर्थिग यहां पाए जाने वाले खास पक्षियों में से शामिल हैं।

कब जाएं

तापमान यहां पूरे साल 10 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है। वर्षा औसतन 1200 मिमी होती है और मुख्य रूप से जून से अगस्त के महीने में यहां खूब नमी रहती है। यहां आने के लिए अप्रैल से अक्टूबर के बीच का समय सबसे बेहतर रहता है। इस बीच यहां का मौसम काफी खुशगवार होता है।

कैसे पहुंचें

बांदीपुर नेशनल पार्क से मैसूर और राज्य की राजधानी बंगलूर की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है। इसीलिए स्थानीय लोग यहां वीकेंड मनाने के लिए आते रहते हैं। यहां तक कि आसपास के छोटे और बड़े शहरों के लोग छुट्टियों का लुत्फ उठाने के लिए बांदीपुर नेशनल पार्क का चयन ही करते हैं। यहां आने वालों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि ठहरने के लिए होटलों में कमरों की बुकिंग लोगों को एडवांस में करवानी पड़ती है। सैलानियों को पहुंचने के लिए किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बांदीपुर नेशनल पार्क मैसूर-ऊटी से जुड़ा हुआ है। मैसूर से इस पार्क की दूरी 80 किमी है और सड़क मार्ग से यहां पहुंचने में ढाई घंटे का समय लगता है। ठीक यही स्थिति ऊटी से भी है। मैसूर से सड़क मार्ग से यहां पहुंचने के लिए सुविधाओं की भरमार है। बांदीपुर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन नंजनगुड है। यहां से पार्क की दूरी 55 किमी है और मैसूर से नंजनगुड  के लिए कई ट्रेनें हैं। वायुमार्ग से आप सीधे मैसूर या बंगलौर पहुंच सकते हैं, वहां से सड़क मार्ग से बांदीपुर जा सकते हैं।

प्रवेश की प्रक्रिया

पार्क में प्रवेश के लिए सभी सैलानियों को परमिट लेनी पड़ती है। इसका शुल्क 150 रुपये प्रति व्यक्ति है। कैमरा ले जाने पर आपको उसका शुल्क अलग से देना होगा।

सफारी

पार्क के अंदर घूमने के  लिए तीन तरह के साधन मिल सकते हैं। एक तो खुला वैन है, जो पार्क की ओर से चलाया जाता है। जीप सफारी का आनंद भी आप ले सकते हैं। वैसे पार्क में घूमने का सबसे बढि़या साधन एलीफैंट सफारी समझा जाता है। हाथी की पीठ पर बैठकर आपको एक अलग तरह का एहसास भी मिलेगा।

ठहरने की सुविधा

हालांकि ठहरने के लिए यहां जगहें कई  हैं, लेकिन सैलानियों की भीड़ के चलते ठहरने में थोड़ी समस्या आ सकती है। बेहतर होगा कि बुकिंग पहले से करवा लें। यहां फॉरेस्ट रेस्ट हाउस, कॉटेज और लॉज की अच्छी सुविधा है। रेस्ट हाउस में एक व्यक्ति के ठहरने का खर्च 300 से 400 के बीच आता है। जबकि लग्जरी होटलों में डबल बेड रूम का किराया दो से तीन हजार रुपये तक पड़ सकता है।

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