मेलों व समारोहों का महीना

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मरु मेला, जैसलमेर, राजस्थान

रेगिस्तान को उसके पूरे वैभव के साथ देखने का अद्भुत मौका। मेले के तीन दिनों में यहां की सांस्कृतिक छटा अपने पूरे शबाब पर होती है। गैर व अग्नि नृत्य मुख्य आकर्षण होते हैं। पगड़ी बांधने और मि. डेजर्ट जैसी स्पधाएं भी होती हैं। मेले का समापन माघ पूर्णिमा के दिन होता है। धवल चांदनी में चमकते रेत के टीलों पर ऊंट की सवारी करने और लोकनृत्य देखने का आनंद ही कुछ और है।

सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला, सूरजकुंड, हरियाणा

उत्तर भारत के सबसे बहुप्रतीक्षित मेलों में से यह एक है। हर साल इसके आयोजन की तारीख तय होने से पहले से योजना बनाना थोड़ा आसान हो जाता है। हस्तशिल्प, लोकनृत्यों व लोककलाओं का अद्भुत संगम हरियाणा टूरिज्म के इस आयोजन में देखने को मिल जाता है। इस बार का थीम राज्य आंध्र प्रदेश है, यानि आंध्र प्रदेश के हस्तशिल्प और वहां की लोककलाओं को विशेष जगह।

खजुराहो नृत्य समारोह, खजुराहो, मध्य प्रदेश

सात दिन के इस समारोह में मानो यहां के पश्चिमी समूह के मंदिरों की दीवारें सजीव हो उठती हैं। मंदिरों का वैभव अपने चरम पर होता है। मंदिर परिसर में कत्थक, भरत नाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी, मणिपुरी व कत्थकली देखने का अनुभव ही कुछ अलग है। खजुराहो की अपनी प्रसिद्धि दुनियाभर में कम नहीं, फिर यह नृत्य समारोह देशी-विदेशी पर्यटकों को खींचने का अलग बहाना बन जाता है।

सिंगापुर रिवर हांगबाओ, सिंगापुर

चीन नव वर्ष को मनाने के लिए यहां के एस्प्लेनेड पार्क में होने वाला भव्य आयोजन। हर तरफ रोशनी, नृत्य व संगीत का समां। चीनी नववर्ष या चुन झी वास्तव में बसंत का त्योहार होता है। इन दिनों नयेपन का यह अहसास हर चीज में होता है। इसका उत्साह इसे सिंगापुर के सबसे आकर्षक आयोजनों में से एक बनाता है।

वेनिस कार्निवल, वेनिस, इटली

दुनिया के सबसे शानदार समारोहों में से एक। दो सप्ताह के इस कार्निवल के दौरान पूरे शहर का हुलिया ही मानो बदल जाता है। हर किसी को मानो हर छूट मिल जाती है। ग्रांड कैनाल पर गंडोला व बोट परेड होती है तो सेंट मा‌र्क्स स्क्वायर पर मास्क परेड। आखिरी दिन होती है जोरदार आतिशबाजी। कार्निवल के दौरान हर तरफ पार्टी का सा माहौल नजर आता है। एक तो वेनिस की खूबसूरती और ऊपर से कार्निवल के नजारे।

बर्लिन फिल्म फेस्टिवल, बर्लिन, जर्मनी

दुनियाभर के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में बर्लिन की अपनी अलग ही जगह है। कई फिल्मों को एक मंच पर पेश करना और फिल्मों को देखने का अलग नजरिया पेश करना इसकी खासियत है जो फिल्म को भी एक यादगार अनुभव बना देता है। इसके पुनरावलोकन खंड में तो कई ऐसी फिल्में पेश होती हैं जो लगभग सौ साल पुरानी होती हैं लेकिन उनमें आज भी दर्शकों को अचंभित कर देने की ताकत होती है।

बेणेश्वर मेला, डुंगरपुर, राजस्थान

डुंगरपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर बेणेश्वर में सोम, जाखम व माही नदियों के संगम पर हर साल माघ पूर्णिमा पर यह मेला लगता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात से बड़ी संख्या में भील व आदिवासी यहां संगम पर डुबकी लगाने आते हैं। आदिवासी संस्कृति और लोककलाओं को समझने का यह बेहद शानदार अवसर होता है।

ऐलीफेंटा फेस्टिवल, ऐलीफेंटा गुफाएं, महाराष्ट्र

विश्व विरासत का दरजा प्राप्त ऐलीफेंटा गुफाएं इस महोत्सव के दौरान फिर से सजीव हो उठती हैं। ऐलीफेंटा द्वीप मुंबई से मोटर लांच से डेढ़ घंटे की दूरी पर समुद्र में है। हर साल इस समारोह में विख्यात नर्तक और संगीतकार तारों से सजे खुले आकाश में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

ब्राजील कार्निवल, रियो डी जनेरियो व सैन डिएगो, ब्राजील

कार्निवल के जनक ब्राजील की तो बात ही निराली है। रियो डी जनेरियो, सैन डिएगो व अन्य शहरों में कार्निवल के मौके पर सांबा परेड आयोजित होती है। यहां भी ये परंपरा यूरोप से ही आई है लेकिन इसका आकर्षक रूप दुनियाभर में विलक्षण है जिसपर सभी की निगाहें होती हैं।

गोवा कार्निवल, गोवा

अपने गोवा में भी फरवरी महीना कार्निवल का होता है। मूल रूप से ईसाइयों के इस त्योहार को अब बाकी धर्मो के लोग भी उसी उत्साह से मनाते हैं। 18वीं सदी से मनाए जा रहे इस जलसे में परंपरा के अनुसार राजा मोमो सड़कों पर पूरे जश्न के साथ उतर आते हैं। तमाम कार्निवल की ही तरह यह भी नाचने, गाने, मस्ती करने का मौका होता है। भारत में कार्निवल मनाए जाने का यह अकेला ही उदाहरण है। इसकी जड़ें तो यूरोप में मिलती हैं लेकिन बाद में गोवा में स्पेन व पुर्तगाल की कॉलोनियों में यह कार्निवल होने लगा।

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