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मुख पृष्ठ » पश्चिम भारत » गोवा »
आई जस्ट लव द गोवा। गोवा जाना मेरे लिए सपनों की दुनिया में खोने जैसा है। मैं जब पहली बार गोवा गई थी, मेरे माता-पिता, दोनों भाई और दादी भी मेरे साथ थीं। मेरी उम्र उस वक्त छह-सात वर्ष रही होगी, पर तब गोवा का जो रूप मेरे दिलो-दिमाग में रच-बस गया, वही आज भी है। मैं फक्र से कहती हूं कि आज जब हर हिल स्टेशन, हर पर्यटन स्थल अपने मूल रूप से बिखर रहा है, अपनी वास्तविकता खो रहा है ऐसी स्थिति में भी गोवा ने अपना वजूद बनाए रखा है। गोवा बीस साल पहले जैसा था, आज भी बिलकुल वैसा ही है। पर्यावरण असंतुलन के कारण कई हिल स्टेशन अब अपना रंग-रूप, सुंदरता खो चुके हैं। गोवा इसका अपवाद है।
गोवा के चर्च, बीच, मंदिर, पहाड़ी, दोना-पावला एक-एक चीज बड़ी सुंदर है, जो आत्मा को प्रसन्न कर देती है। मैं पारसी हूं, पर चर्च के साथ मुझे यहां के शांत दुर्गा, मंगेशी और कामाक्षी के मंदिरों ने झकझोर कर रख दिया। बड़ी शांति है इन मंदिरों में। ये देवालय शहरों के बीच में हैं, फिर भी हमें पुरानी जगहों का एहसास दिलाते हैं। यहां के सेंट जॉन पॉल चर्च और दूसरे हमारी संस्कृति और सर्वधर्म समभाव की ज्योति को लगातार जलाए रखते हैं। मैं साल में एक बार गोवा जरूर जाती हूं, पर मजे की बात यह है कि हर दफा उन तमाम जगहों पर जाती हूं जहां पहले भी जा चुकी हूं।
खाने का शौक
हमारा जोराबियन परिवार खाने का बड़ा शौक है। नॉन वेजिटेरियन डिशेज खानी हों तो गोवा में ही उसका लुत्फ लें। मैं मछली की दीवानी हूं, जिसकी यहां कई किस्में हैं। गोवा के मूल निवासी भी मुझे बड़े सीधे-सादे और जमीन से जुड़े हुए लगते हैं। उनमें अभी शहरी लोगों की व्यावसायिकता भी नहीं आई है। यहां की संस्कृति और जीवनशैली भी जीवंत है। गोवा का कर्निवाल तो मानो गोवा की शान है। आप गोवा घूमने गए और वहां की काजू फेनी, कोकोनट वाटर, केले की सब्जी, फिश करी, काजू न खाएं तो आपका गोवा जाना अधूरा ही कहा जाएगा। गोवा के शांत नीले पानी में तैरना एक यादगार अनुभव है। यहां का पानी साफ है। लगता है। गोवा अभी भी सौ साल पुराने दौर में जी रहा है। ईश्वर ने इसे हमेशा सुंदर बनाए रखने का बीड़ा उठाया है, फिर किसी की क्या बिसात है, जो इसे खराब कर दे।