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मुख पृष्ठ » पश्चिम भारत » गोवा »
गोवा की पहचान हमेशा से अपने मौज-मस्ती भरे माहौल के लिए रही है। इसीलिए विदेशी पर्यटक भी यहां ज्यादा सुकून महसूस करते हैं। जब ब्राजील और दुनिया के कई देशों में कार्निवल लोकप्रिय होने लगे तो भारत में वैसे ही कार्निवल के लिए कोई जगह सबसे माफिक लोगों को लगी तो वो गोवा ही थी। गोवा में इसकी शुरुआत पुर्तगालियों ने ही की थी। गोवा की पुर्तगाली व स्पेनिश बस्तियों में 18वीं सदी में इसकी शुरुआत हुई और बाद में इसके रूप में विस्तार होता चला गया। अब हाल यह है कि हर साल फरवरी में होने वाले गोवा कार्निवल ने अच्छी लोकप्रियता हासिल करके भारत के पर्यटन नक्शे पर अपनी स्थायी जगह बना ली है। इस कार्निवल का आयोजन राज्य के प्रमुख शहरों में किया जाता है। पणजी, मड़गाव, वास्को और मापुसा में स्थानीय प्रशासन और राज्य का पर्यटन विभाग मिलकर इसका आयोजन करते हैं।
राजा मोमो की झांकी
राजा मोमो की झांकी परेड में सबसे आगे रहती है। पहले दिन राजा मोमो अपनी प्रजा को मौज-मस्ती करने, खाने-पीने, नाचने-गाने का आदेश देते हैं। परेड में कई झांकियां शामिल होती हैं। पूरी-पूरी रात सड़कों पर अलग-अलग बैंडों के गायक, नर्तक व संगीतकार प्रदर्शन करते रहते हैं। खाने-पीने की बहार छायी रहती है। कार्निवल का समापन पणजी में क्लब नेशनल में प्रसिद्ध रेड एंड ब्लैक डांस से होता है।
हालांकि जोर ज्यादा से ज्यादा स्थानीय भागीदारी पर ही रहता है। मजेदार बात यह है कि यह कार्निवल किसी खास समुदाय विशेष का न होकर समूची गोवा संस्कृति का हिस्सा हो गया है। पारंपरिक रूप से 40 दिन के उपवास की शुरुआत से पहले यह कार्निवल लोगों को अच्छे से खाने-पीने, मौज-मस्ती करने का मौका देने के लिए होता था। धीरे-धीरे इसका स्वरूप सांस्कृतिक आयोजन का हो गया और फिर यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया। इस तरह का कार्निवल भारत में कहीं और नहीं होता, हालांकि कोच्चि व चंडीगढ़ जैसे शहरों में स्थानीय स्तर पर झांकियां निकालने जैसे कुछ आयोजन शुरू किए है। समुद्र तटों के साथ-साथ गोवा की संस्कृति को जानने-समझने का बेहद बढि़या मौका यह कार्निवल देता है।