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भारत के सबसे लोकप्रिय और सदाबहार पर्यटन स्थलों में शामिल है गोवा। यहां प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर समुद्रतट हैं तो इतिहास के झरोखे में झांकने के लिए कई किले भी हैं। साझी संस्कृति की झलक देते मंदिर और गिरजाघर हैं तो कलाप्रेमियों के लिए संग्रहालय और कला दीर्घाएं भी हैं। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यहां पूरी सुविधाएं हैं तो खाने-पीने के शौकीनों के लिए एक से बढ़कर एक समुद्री व्यंजन और खाद्य पदार्थ।
समुद्र किनारे रेत की चांदनी
गोवा में यादवों का साम्राज्य 14वीं शताब्दी तक रहा। इसके बाद पुर्तगालियों ने इस पर कब्जा जमाया और करीब 300 साल तक यहां रहे। 19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त होकर भारत का अंग बना। पहले इसे दमन व दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया, पर 30 मई 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
खूबसूरत बीच
गोवा का सबसे बड़ा आकर्षण इसके खूबसूरत बीच हैं। इनके किनारों पर सफेद रेत की रुपहली चादर बिछी है तो साथ में है पारदर्शी पानी का सागर। 125 किमी की लंबाई वाले इन तटों के किनारों पर स्थित पहाडि़यों से टकराता समुद्री सैलाब अलग ही ध्वनि तरंग उत्पन्न करता है। गोवा के मशहूर समुद्रतटों में अंजुना पणजी से 18 किमी दूर है। पणजी से 18 किमी की दूरी पर उत्तरी गोवा में एक और बीच बागा है, जो सात किमी लंबा है। पणजी से 50 किमी दूर आरामबोल बीच की खूबी यहां चट्टानों पर की गई कलाकारी है। दक्षिण गोवा में मडगांव से 22 किमी दूर बेतुल बीच दोनों ओर फैले पाम के पेड़ों के लिए जाना जाता है। इससे पहले मडगांव से 4 किमी दूर बेनौलिम बीच है। कोल्बा बीच पर सन, सैंड और सी (सूर्य, बालू और समुद्र) का मिलन होता है। तीनों मिलकर मनोरम दृश्य बनाते हैं। पणजी से 3 किमी दूर स्थित मीरामार बीच को गोल्डन बीच के नाम से भी जाना जाता है। वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनों के लिए डोना पाउला और बोगमालो बीच पर अच्छी सुविधाएं हैं।
पानी की अठखेलियां
तटों से जी भर जाए तो अरवालेम जलप्रपात जा सकते हैं। 24 मीटर ऊंचे इस जलप्रपात की छटा मानसून के बाद देखने लायक होती है। आसपास की गुफाएं इसके सौंदर्य को और बढ़ाती हैं। यहां एक आकर्षक जलप्रपात दूधसागर भी है, जहां सैकड़ों फुट की ऊंचाई से गिरता पानी बेहद सुंदर दृश्य उत्पन्न करता है। यहां ट्रेकिंग के लिए काफी सुविधाएं हैं। पणजी से 35 किमी दूर मयेम झील में बोटिंग की भी बेहतर सुविधाएं हैं।
डॉल्फिन का साथ
यूं तो गोवा में बड़े वन्यजीवों की अधिकता नहीं है, पर इनमें रुचि रखने वालों के लिए यहां के पक्षी विहार व अभ्यारण्य काफी आकर्षक हैं। यहां 48 दुर्लभ स्तनधारी, 276 पक्षी और 48 सरीसृप देखे जा सकते हैं। आप यहां डॉल्फिन जैसी दुर्लभ मछली के साथ समय बिता सकते हैं। गोवा के अभ्यारण्यों में भगवान महावीर वन्य जीव अभ्यारण्य, बोंदला फॉरेस्ट, कोटीगांव वन्य जीव अभ्यारण्य एवं सलीम अली पक्षी विहार प्रमुख हैं।
किले व संग्रहालय
गोवा में संग्रहालयों और कला गैलरियों की भरमार है। गोवा के इतिहास व सांस्कृतिक विरासत की झलक पाने के लिए द आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम एंड पोर्ट्रेट गैलरी, द आर्काइव्ज म्यूजियम ऑफ गोवा देखने जा सकते हैं। पूरी तरह ईसाई कला को समर्पित द म्यूजियम ऑफ क्रिश्चियन आर्ट एवं नौसेना को समर्पित एविएशन म्यूजियम का अपना अलग महत्व है।
समुद्री तटों के बाद गोवा में लोगों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं किले। यों तो देश के दूसरे हिस्सों के किलों की तुलना में ये छोटे हैं, पर सांस्कृतिक विरासत व वास्तुकला इन्हें अलग पहचान देती है।
पणजी से 18 किमी दूर अगुआदा फोर्ट गोवा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। पुर्तगालियों ने इसे मंडोवी नदी से गोवा आने वाले जहाजों पर निगरानी रखने के लिए बनवाया था। अब इसका उपयोग सेंट्रल जेल के रूप में किया जाता है। 1540 में निर्मित कैबो राजनिवास अगुआदा फोर्ट के सामने है। यहां वास्तुकला के बेहतरीन नमूने देखे जा सकते हैं। गोवा में कई ऐसे किले हैं जिन्हें बाद के शासक संजो कर नहीं रख सके। इन्हीं में से एक है कैबो ऑफ रामा फोर्ट। यह किला अब लगभग वीरान रहता है। यहां पुर्तगालियों के किलों से अलग पुरातन भारतीय स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। इनके अलावा चपोरा फोर्ट, मर्मोगांव फोर्ट, टेराकोल फोर्ट, गेट ऑफ द पैलेस ऑफ आदिल शाह, वायसराय आर्च प्रमुख हैं।
मंदिर और गिरजाघर
गोवा में गिरजाघरों की बहुतायत के कारण इसे पूरब का रोम भी कहा जाता है। जो चर्च यहां काफी प्रसिद्ध हैं उनमें बासिलिका द बॉम जीसस का नाम भी शामिल है। बेमिसाल वास्तुकला के नाते यह चर्च विश्व की धरोहरों में गिना जाता है। इसके साथ ही चर्च ऑफ एंड्रयू, चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोझेरी, चैपल ऑफ संत कैथरीन भी देखने लायक हैं।
गोवा के मंदिर भी वास्तुकला की दृष्टि से आम मंदिरों से अलग हैं। यहां के पुराने मंदिर गोवा में पुर्तगालियों से पहले हिंदुओं की समृद्ध संस्कृति और उनकी कला का वर्णन करते हैं। इन मंदिरों में श्री अनंत देवस्थान अपने आप में अलग महत्व का है। यहां शयन मुद्रा में भगवान विष्णु की काले पत्थरों से निर्मित मूर्ति देश में अपनी तरह की गिनी-चुनी मूर्तियों में से एक है। इसके अलावा इस मंदिर के प्रांगण में दूसरे अन्य देवी-देवताआंे की मूर्तियां भी हैं। गोवा में श्री ब्रह्मा मंदिर उन गिने-चुने मंदिरों में से है जहां भगवान ब्रह्मा की मूर्ति रखी गई है। यहां श्री भगवती मंदिर, श्री बागेश्वर मंदिर, श्री चंद्रनाथ मंदिर, श्री दामोदर मंदिर, श्री गणपति मंदिर, श्री गोमंतेश्वर देवस्थान, श्री महादेव मंदिर, श्री महालक्ष्मी मंदिर भी दर्शनीय हैं। यदि आप योग-ध्यान में रुचि रखते हों तो श्री देव बोडगेश्वर संस्थान जाना न भूलें। इस संस्थान में एक साथ एक हजार से भी ज्यादा लोग योगाभ्यास कर सकते हैं।
गोवा के मूल निवासी भी मुझे बड़े सीधे-सादे और जमीन से जुड़े हुए लगते हैं। उनमें अभी शहरी लोगों की व्यावसायिकता भी नहीं आई है। यहां की संस्कृति और जीवनशैली भी जीवंत है। गोवा का कार्निवाल तो मानो गोवा की शान है। आप गोवा घूमने गए और वहां की काजू फेनी, कोकोनट वॉटर, केले की सब्जी, फिश करी, काजू न खाएं तो आपका गोवा जाना अधूरा ही कहा जाएगा। गोवा के शांत नीले पानी में तैरना एक यादगार अनुभव है। यहां का पानी साफ है। लगता है गोवा अभी भी सौ साल पुराने दौर में जी रहा है। ईश्वर ने इसे हमेशा सुंदर बनाए रखने का बीड़ा उठाया है, फिर किसी की क्या बिसात है, जो इसे खराब कर दे।
राजधानी
पणजी
आबादी
लगभग 16 लाख
क्षेत्रफल
3702 वर्ग किलोमीटर
स्थानीय भाषा
कोंकणी (हिन्दी, मराठी और अंग्रेजी पूरी तरह समझी व बोली जाती है।)
मौसम
गोवा सदाबहार पर्यटन स्थल है, जहां पूरे साल जाया जा सकता है। यहां आमतौर पर न तो तेज गर्मी पड़ती है, न ही तेज सर्दी। जून और जुलाई में बरसात का मौसम होता है। इसका एक अलग ही आनंद है। दिसंबर व जनवरी में गोवा जाने वाले पर्यटकों को हल्के ऊनी कपड़ों की जरूरत होती है।
कैसे पहुंचें
गोवा पूरे देश से वायु मार्ग से जुड़ा है। यहां पुणे और मुंबई से बसों से भी पहुंचा जा सकता है। कोंकण रेलवे के मार्फत ट्रेन से गोवा जाने का अपना एक अलग ही आनंद है।
ठहरने के स्थान
गोवा में ठहरने के लिए हर तरह के होटल, गेस्ट हाउस और पेइंग गेस्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां फाइव स्टार से लेकर लॉज तक के स्तर के ठहरने के स्थान हैं।
गोवा का देसी पेय फेनी
गोवा में खजूर और ताड़ के पेड़ों से निकले तरल पेय से फेनी नामक पेय तैयार किया जाता है। इसका कुछ अलग ही स्वाद होता है।
गोवा की परोक्ष देन
बहुत कम लोग मानेंगे कि भारत में मिर्च, तंबाकू, पपीता, अनन्नास, मक्का और मूंगफली परोक्ष रूप से गोवा की ही देन है। दरअसल इन सबको पुर्तगाली लोग दूसरे देशों से गोवा लेकर आए थे और वहीं से इनकी खेती देश के दूसरे हिस्सों में फैली।
कुछ उपयोगी बातें
गोवा में पर्यटन के दौरान आपको कई स्थानों की सैर करने के लिए अच्छी खासी दूरी तय करनी पड़ेगी। ऐसे में आपके पास घूमने के लिए कई विकल्प हैं। इनमें सबसे आसान विकल्प टैक्सी का है। आप गोवा में भाड़े पर टैक्सी ले सकते हैं। अगर आप स्वयं मोटरसाइकिल चलाना जानते हैं तो आपको किराये पर मोटरसाइकिल मिल जाएगी। इसके अलावा आप बसों से भी सफर कर सकते हैं। यहां की बसें रंग-बिरंगी होती हैं, यहां कंडक्टर का पहनावा भी अलग होता है। कोई भी सवारी लेने से पहले किराया अवश्य तय कर लें।