

- Round Trip
- One Way


![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
Select Your Theme
Number of Guest
Specify ages of children at time of travel:
मुख पृष्ठ » दक्षिण भारत » कर्नाटक »
नए दौर में आधुनिक तकनीकी शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में उभरता बंगलौर आजादी के बाद से ही शिक्षा का बड़ा केंद्र रहा है। मीडिया, प्रबंधन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी के बड़े संस्थानों के अलावा कला और संगीत के कई मशहूर संस्थान भी यहां हैं। नृत्यांगना प्रोतिमा बेदी ने भी अपने नृत्यग्राम के लिए बंगलौर को ही चुना था। यहां की स्वच्छ आबोहवा का ही प्रभाव है कि लंबे अरसे से रिटायर्ड जीवन व्यतीत करने वालों के लिए यह स्वर्ग माना जाता रहा है। वैसे आबादी के बढ़ने के कारण बंगलौर ने इधर अपना यह गौरव खो सा दिया है, पर यहां की अच्छी जलवायु ने पिछले कुछ वर्षो में दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इतना आकर्षित किया है कि सॉफ्टवेयर उद्योग के मामले में इसे आज भारत का कैलिफोर्निया माना जाने लगा है।
बंगलौर-बेंडा कालू का समानार्थी शब्द
बंगलौर वास्तव में बेंडा कालू का समानार्थी शब्द है, कन्नड़ में इसका अर्थ है-उबली बीन्स। हालांकि अब बंगलौर उबली बीन्स का शहर नहीं रह गया है। आज यहां हर तरफ पब्स, कॉफी हाउस व क्लब हैं। परंपरा व आधुनिकता का जो संगम बंगलौर में देखने को मिलता है, वह शायद ही किसी अन्य शहर में मिले। यहां की विधानसभा बनाया का स्थानीय भाषा में विधानसौधा कहते हैं। यह अपने आपमें वास्तुशिल्प का अनूठा नमूना है। इसके ग्रेनाइट के महराब व गुंबदों में, वास्तुकला के वे मौलिक तत्व छिपे हैं जिनके दर्शन बंगलौर की अन्य इमारतों में किए जा सकते हैं। विधानसौधा के ठीक सामने दो सुंदर इमारतें हैं, जो कभी राजसी ठाठ का हिस्सा थीं। आज वहां कोर्ट और जनरल पोस्ट ऑफिस हैं। बंगलौर के लोगों की सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने ऐसे हर कदम का विरोध किया है जो ऐतिहासिक इमारतों को बदलने या बिगाड़ने के लिए उठाए गए। यहां तक कि यहां के लोगों ने गगनचुंबी इमारतों के निर्माण के विरुद्ध भी आंदोलन चलाया। देश के अन्य हिस्सों में शायद ही ऐसे उदाहरण मिलें जब लोग अपनी विरासत को बचाने के लिए एकजुट होकर खड़े हुए हों।
शहर उद्यानों का
बंगलौर को उद्यानों का शहर कहा जाता है, पर संख्या की दृष्टि से यहां बहुत उद्यान नहीं है। हालांकि यहां जो भी उद्यान हैं वे बहुत ही खूबसूरत और दर्शनीय हैं। शहर का एक बड़ा उद्यान कब्बन पार्क असल में उद्यान कम बच्चों का मनोरंजन स्थल (एम्यूजमेंट पार्क) ज्यादा लगता है, पर यहां जितनी तरह के पौधे व फूल हैं वह इसको काफी रोचक बनाते हैं। बंगलौर के दक्षिणी हिस्से में स्थित लाल बाग वास्तव में पेड़-पौधों में रुचि रखने वालों के लिए स्वर्ग जैसा है। इसमें छोटे-बड़े कई तरह के हजारों पौधे है। इस लाल बाग को हैदर अली ने 1740 में बनवाया था। उसका द्वार बहुत बड़े ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। बंगलौर शहर के अधिकांश हिस्से का नजारा यहां देखा जा सकता है। यह बाग यहां के निवासियों के लिए लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। हजारों लोग प्रतिदिन यहां परिवार समेत पिकनिक मनाने आते हैं। आज बंगलौर में पांच-सितारा होटलों की भी कमी नहीं है,जो शहर में जगह-जगह फैले हैं। इनकी खास बात यह है कि ये देखने में उतने ही आकर्षक लगते हैं जितनी यहां की अन्य इमारतें। वस्तुत: इनकी डिजाइन और वास्तु बंगलौर के पुराने वास्तु-चरित्र से एकदम मेल खाती है। यहां के अक्लमंद और प्रतिभाशाली वास्तुकार व जागरूक नागरिक इस बात को लेकर हमेशा सजग रहे हैं कि वास्तु के मामले में नई इमारतें कोई असंतुलन पैदा न करें। यहां का एक लोकप्रिय संगीत ऑडिटोरियम वास्तुयोजना के मामले में बड़े वायलिन जैसा दिखता है।
झील व बागों से मन ऊब जाए तो आप अपनी शामें महात्मा गांधी रोड पर चहलकदमी कर गुजार सकते हैं। यह बंगलौर की शान है, जहां वैसे तो हर वक्त लोगों का आना-जाना लगा रहता है, पर दोपहर के बाद खास तौर पर शाम को यहां की रौनक देखने लायक होती है। इस रोड पर बंगलौर का दिल बसता है और अगर सही मायनों में आपको बंगलौर की संस्कृति की खुशबू लेनी है तो वह आपको यहीं मिल सकती है।
एक दुनिया शहर से दूर
शहर की दुनिया से मन ऊबे तो आप बिलकुल प्रकृति की गोद में भी कुछ वक्त गुजार सकते हैं। बंगलौर से लगभग 22 किमी दक्षिण में बन्नेर घट्टा राष्ट्रीय उद्यान है। 104 वर्गकिमी में फैला यह उद्यान 1971 में वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए बनाया गया था। यह काफी सुंदर जंगल है और यहां टाइगर, तेंदुआ, हाथी, सूअर से लेकर कई तरह के पशु और पक्षी देखे जा सकते हैं। बंगलौर के उत्तर में नंदी हिल्स नाम का एक खूबसूरत पहाड़ी इलाका भी है। यह स्थान टीपू सुल्तान ने खोजा था और वह गर्मियां बिताने यहां आया करते थे। समुद्रतल से लगभग 4000 फुट की ऊंचाई पर बसा यह इलाका हरियाली व प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से अनूठा है। पहाड़ी पर दो शिव मंदिर भी हैं। एक नीचे पहाड़ी पर गांव में स्थित है, जिसे बाना वंश की एक महारानी ने बनवाया था और दूसरा पहाड़ी के बिलकुल ऊपर है जिसको चोल राजाओं ने बनवाया था। ये दोनों ही मंदिर लगभग एक हजार साल पुराने हैं और तीर्थ यात्रियों को बड़ी तादाद में आकर्षित करते हैं।
कैसे जाएं
देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से बंगलौर हवाई जहाज और रेल दोनों से भलीभांति जुड़ा है।