मनोरम झारखंड: दिल भी अटके नजर भी

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प्राकृतिक सौंदर्य, खनिज संपदा और बहुआयामी पर्यटन स्थलों का धनी प्रदेश है झारखंड, जहां आप प्राकृतिक विरासत का वास्तविक आनंद ले सकते हैं। झारखंड आधुनिकीकरण और शहरीकरण के दुष्प्रभावों से काफी हद तक बचा हुआ है। जंगल, पहाड़, घाटी, जलप्रपात, वन्यजीवों, दुर्लभ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का धनी झारखंड भ्रमण पर्यटकों को असीम आनंद का आभास कराता है। यहां के उन्मुक्त प्राकृतिक वातावरण में लोग असीम सुख की अनुभूति करते है। राजधानी रांची खास तौर पर हिल स्टेशन जैसा आभास कराती है तो जमशेदपुर राज्य के औद्योगिक विकास की कहानी कहता है और वहीं धनबाद राज्य की खनिज संपदा का प्रतीक है।

झारखंड में राज्य सरकार के पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव सुशील कुमार चौधरी ने बताया कि दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर झारखंड को स्थापित करने के लिए विभाग ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को मूर्त रूप दिया है और इसे आगे बढ़ाने के प्रयास तेजी से हो रहे हैं। संसाधनों के बहुआयामी विकास के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों को आत्मसात करते हुए विभाग ने कन्वर्जेस के सिद्धांतों का बखूबी प्रयोग शुरू कर दिया है। इस कड़ी में ‘पर्यटक आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार’ का गठन किया गया है, जिसके मुखिया खुद मुख्यमंत्री हैं। इसके माध्यम से विभिन्न विभाग समन्वित रूप से पर्यटक सुविधा बढ़ाने में अपनी भागीदारी निभाएंगे और इनकी नियमित बैठक होगी। राज्य में पर्यटन विकास का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जहां अविभाजित बिहार में पर्यटन का बजट बमुश्किल 3-4 करोड़ होता था वह झारखंड में बढ़ कर पहले वर्ष जहां 18 करोड़ रुपये का था और इस वर्ष यह 25 करोड़ रुपये है। जबकि क्षेत्रफल पहले से छोटा हो गया है। यह सरकार की प्रतिबद्धता और पर्यटन के विकास की इच्छाशक्ति को दर्शाता है।

समाचार पत्रों, पत्रिकाओं व विभिन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय चैनलों के माध्यम से भी झारखंड के पर्यटन वैभव की जानकारियां प्रसारित की जा रहीं है। इससे पर्यटक लाभान्वित हो सकेंगे। इसके अलावा कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद सहित देश के प्रमुख शहरों में आयोजित होने वाले पर्यटन मेलों में विभाग ने झारखंड को स्थापित किया है और आगे भी इसके प्रयास जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय पहचान वाली ट्रेवल एजेंसियों व उनके संगठन से भी विभाग जुड़ा है, ताकि ‘बिजनेस टू बिजनेस’ पर्यटक गतिविधियों को बढ़ाया जा सके। इस दिशा में अगली कड़ी लंदन में ‘व‌र्ल्ड टूरिज्म मार्ट’ द्वारा छह से आठ नवंबर के बीच आयोजित समारोह में राज्य की वादियों और संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रस्तुत होगी। ग्लोबल टूरिज्म के साथ-साथ देशी पर्यटन के लिए भी विभाग ने कई गतिविधियों का प्रचार-प्रसार किया है। इस कड़ी में गिरिडीह जैसे स्थलों पर एडवेंचर स्पॉट विकसित किए जा रहे हैं और पड़ोसी राज्यों के रोमांचक पर्यटक यहां की गतिविधियों में शिरकत भी कर रहे हैं।

राज्य निधि के साथ-साथ केंद्र से प्राप्त निधियों के लिए पर्यटन विभाग ने कार्य योजना तैयार कर ली है। इसे भेज भी दिया गया है। पर्यटन सर्किट और डेस्टिनेशन राज्य के पर्यटन के विकास की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इस दिशा में रांची-बेतला-नेतरहाट, रांची-चांडिल-जमशेदपुर-घाटशिला, पारसनाथ-तिलैया-कोडरमा जैसे सर्किट पर कार्य शुरू हैं। धार्मिक पर्यटनों स्थलों को भी एक-दूसरे से जोड़ा जा रहा है। विभाग ने रजरप्पा-इटखोरी-बोधगया को पर्यटक सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना तैयार कर ली है। मसानजोर, देवघर, पारसनाथ भी डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। ग्रामीण पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण कड़ी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां के एक-एक गांव हैं, जहां क्रमश: प्राचीन कला और छऊ नृत्य कला का विकास द्रष्टव्य है। इनके विकास के लिए केंद्र प्रति गांव 50 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराती है।

पर्यटकों को आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने को लेकर पथ निर्माण विभाग को 18 सड़कों के निर्माण की सूची दी गई है। निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने को भी कहा गया है। रांची में पर्यटक सूचना केंद्र खुल चुके हैं और अन्य स्थानों पर खोलने की कवायद शुरू है, ताकि देशी-विदेशी सभी पर्यटकों को राज्य से स्थानों की जानकारी मिल सके। अगले वर्ष धनबाद और हजारीबाग में सूचना केंद्र खोले जाएंगे। पर्यटन विभाग कई आरामगृहों का निर्माण और मरम्मत करा चुका है और इसे निजी हाथों में सौंपा भी चुका है। नतीजा बेहतर रहा तो झारखंड टूरिज्म डेवलमेंट कार्पोरेशन को मानीटरिंग बाडी बनाया जाएगा और निजी हाथों से कार्य लिया जाएगा।

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