कश्मीर: बहारें फिर से आएंगी

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कश्मीर भारत के मुकुट में जड़ा वो नगीना है जिसकी चमक देश-विदेश के सैलानियों को बरबस आकर्षित करती है। पिछले दो दशकों का आतंकवाद का दौर लोगों को यहां आने के बारे में डराता जरूर रहा है लेकिन यहां के प्रति लोगों का आकर्षण कम नहीं कर पाया है। यही वजह है कि मौका मिलते ही लोग सोचते जरूर हैं कि चलो एक बार कश्मीर हो आएं। यकीनन कश्मीर इस जोखिम को मोल लेने लायक है। इस खूबसूरत घाटी में चारों और छाई प्राकृतिक खूबसूरती यहां आने वाले हर व्यक्ति को चमत्कृत कर देती है। शायद कश्मीर की इसी खूबसूरती से प्रभावित होकर मुगल सम्राट जहांगीर ने इसे ‘धरती पर जन्नत’ जैसी उपमा से नवाजा था। वास्तव में आज भी यह कथन सत्य प्रतीत होता है। यह प्रकृति की उदारता ही कही जाएगी कि क्रूर ताकतों के बारूदी प्रहारों को झेलते हुए भी उसने कश्मीर के प्राकृतिक वैभव को किसी भी मायने में कम नहीं होने दिया। आज कश्मीर घाटी में हर ओर सुरक्षा बलों की मौजूदगी जरूर नजर आती है किंतु पर्यटकों के लिए वो किसी तरह असुविधाजनक नहीं है।

हिमालय और पीर पंजाल की बर्फ से ढकी चोटियों के बीच फैली यह घाटी हर मौसम में सैलानियों के लिए एक अनुकूल सैरगाह है क्योंकि हर मौसम में इसका बदला स्वरूप इसे एक अलग सौंदर्य प्रदान करता है।

लेक सिटी

राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर कश्मीर घाटी का सबसे प्रमुख शहर है। इस शहर को ‘लेक सिटी’ भी कहा जाता है क्योंकि यहां डल झील, नगीन झील और शहर के बाहर वूलर झील जैसी समृद्ध झीलें हैं। वैसे डल झील यहां का सबसे पहला आकर्षण है। झील के सामने तख्त-ए-सुलेमान नामक पहाड़ी है जिस पर प्रसिद्ध शंकराचार्य मंदिर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है। मंदिर का महत्व इसीलिए भी है क्योंकि यहां आदि शंकराचार्य ने 10वीं सदी में अपने कदम रखे थे। यहां से डल झील और पूरे श्रीनगर का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है। झील की दूसरी दिशा में हरिपर्वत नामक पहाड़ी है। वहां एक किला स्थित है जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में अफगान गवर्नर अता मुहम्मद खान ने कराया था। मुगलों द्वारा वादी-ए-कश्मीर में बनवाए गए उद्यान भी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं। इन उद्यानों की विशेषता है विभिन्न सोपानों पर बने मनमोहक बगीचे, उनके मध्य बहते सुंदर झरने और आकर्षक फव्वारे। इन बगीचों में खिले रंगबिरंगे फूल और ऊंचे घने चिनार के पेड़ इनकी खूबसूरती और बढ़ाते है। मुगल उद्यानों की पृष्ठभूमि में जाबरान पहाडि़यां है तो सामने डल झील का झिलमिलाता विस्तार है। इनमें शालीमार बाग सबसे भव्य है जिसे बादशाह जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के लिए बनवाया था। निशात बाग 1633 में नूरजहां के भाई ने बनवाया था। शाहजहां द्वारा बनवाया गया उद्यान चश्म-ए-शाही है। इस उद्यान में एक चश्मे के आसपास हरा भरा बगीचा है। इस चश्मे का पानी भी काफी चमत्कारिक और रोगनाशक माना जाता है। लोग दूर-दूर से इसका पानी भरकर ले जाते हैं। यहां से कुछ दूर पहाड़ी पर दाराशिकोह द्वारा बनवाया गया परी महल स्थित है।

हजरतबल

श्रीनगर में अनेक ऐतिहासिक मस्जिद और दरगाह भी देखने योग्य है। इनमें ‘हजरतबल’ सबसे महत्वपूर्ण धर्मस्थल है। कहते हैं यहां पैगंबर हजरत मुहम्मद का बाल संग्रहित है। कुछ धार्मिक दिवसों पर यह श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ प्रदर्शित किया जाता है। डलझील के पश्चिमी किनारे पर स्थित इस मसजिद का संगमरमर का सफेद गुम्बद और मीनार दूर से ही इसकी भव्यता का अहसास कराते हैं। ‘शाह-ए-हमदान’ कश्मीर में बनी प्रथम मसजिद होने के कारण दर्शनीय है। इसका निर्माण 1395 में किया गया था। बाद में कई बार इसका जीर्णोद्धार किया गया। इनके अलावा जामा मसजिद, दस्तगीर साहिब, मख्दूय साहिब भी दर्शनीय हैं। श्रीनगर शहर झेलम नदी के दोनों ओर बसा है। इस नदी पर कई स्थानों पर लकड़ी के पुराने पुल आज भी मौजूद है। नदी के आसपास नजर आते टीन की ढलवा छत वाले मकान एक अलग ही मंजर प्रस्तुत करते हैं। श्रीनगर से 27 किमी दूर हिंदुओं का पवित्र तीर्थ ‘खीर भवानी मंदिर’ स्थित है। इस मंदिर में देवी को खीर समर्पित करने की परंपरा है। नवरात्रों में इस मंदिर में भीड़ रहती है।

पहलगाम

श्रीनगर के अतिरिक्त कश्मीर घाटी में ऐसे अनेक स्थल हैं, जहां प्रकृति अपने अलग-अलग रूपों में विद्यमान है। समुद्रतल से 2130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ‘पहलगाम’ भी ऐसा ही एक स्थान है। किसी जमाने में पहलगाम चरवाहों का छोटा सा गांव मात्र था। किंतु यहां की अद्भुत नैसर्गिक छटा ने इसे कालांतर में खुशनुमा सैरगाह बना दिया। लिद्दर नदी ओर शेषनाग झील से आती धारा के संगम के निकट बसे पहलगाम में पहुंच पर्यटकों का साक्षात्कार प्रकृति के एक अद्वितीय रूप से होता है। बैसरन में सुंदर बुग्याल, और हरे भरे जंगल, आरू व चंदनवाड़ी नामक स्थानों की खूबसूरती पर्यटकों को अवश्य प्रभावित करती है। पहलगाम से हर वर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा भी शुरू होती है। श्रीनगर से पहलगाम जाते हुए मार्ग में, केसर की खेती के लिए विख्यात पांपोर, नौंवीं शताब्दी के शहर अवंतिपुर के कुछ भग्नावशेष और भगवान सूर्य का मार्तड मंदिर भी देखे जा सकते है।

गुलमर्ग  व सोनमर्ग

गुलमर्ग देश का प्रसिद्ध स्कीइंग केंद्र है। 2650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान का सबसे बड़ा आकर्षण बर्फ से ढके ढलान हैं। इसलिए यह विंटर स्पोर्टस यानि बर्फ के खेलों का आदर्श स्थल है। यहीं गंडोला यानि केबलकार द्वारा बर्फीली ऊंचाइयों को छूकर आना सैलानियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। शौकिया तौर पर थोड़ी बहुत स्कीइंग कर उन्हें एक नए रोमांच का अनुभव भी मिलता है। गर्मियों में जब निचले स्थानों की बर्फ पिघलती है तो यहां मखमली घास के मैदान उन्हें प्रभावित करते है।

सोनमर्ग भी कश्मीर की एक निराली सैरगाह है। सुंदर पहाड़ों और देवदार के वृक्षों से घिरा सोनमर्ग एक रमणीक स्थान है। यहां से कुछ दूर थाजीवास ग्लेशियर देखना हो तो घोड़ों पर आसानी से जा सकते हैं। यहां बर्फ पर घूमने का आनंद भी लिया जा सकता है। अमरनाथ यात्रा का एक मार्ग सोनमर्ग से भी जाता है। समुद्रतल से 2012 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ‘कोकरनाग’ औषधीय गुणों से युक्त चश्मों की वजह से पर्यटकों को पसंद आता है। इस स्थान को पाप शोधन नाग भी कहते हैं। नाग का अर्थ यहां चश्मा भी होता है। बेरीनाग झेलम नदी का उद्गम स्थल है। यहां स्थित चश्मों को बादशाह जहांगीर ने एक मोहक सरोवर में एकत्र कर एक अलग ही रूप प्रदान किया था। अस्सी मीटर दायरे में फैले इस सरोवर के आसपास सुंदर बगीचे हैं।

कश्मीर का सुहाना सफर श्रीनगर से आरंभ किया जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए पहले रेलगाड़ी द्वारा जम्मू या उधमपुर पहुंच सकते है। आगे का सफर बस या टैक्सी से करना होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1-ए जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है। यह दूरी करीब 300 किमी है। लेकिन इस रास्ते को पूरा करने में दस से बारह घंटे लग जाते हैं। पूरा मार्ग खूबसूरत नजारों से भरा है। बनिहाल में जवाहर सुरंग भी इस मार्ग का एक आकर्षण है। यह सुरंग कश्मीर को देश के बाकी हिस्से से जोड़ती है। इस मार्ग पर जम्मू-कश्मीर राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से चलती हैं। इनके अलावा टैक्सी आदि भी आसानी से मिलती हैं। श्रीनगर वायु मार्ग द्वारा चंडीगढ़ अमृतसर, दिल्ली व जम्मू से जुड़ा है। एयरपोर्ट शहर से 14 कि.मी. दूर है। वहां से टैक्सी व बसें उपलब्ध होती है। टीआरसी यानि पर्यटक स्वागत केंद्र, श्रीनगर में पर्यटन गतिविधियों का मुख्य केंद्र है। इसके निकट ही राज्य परिवहन निगम का बस स्टेंड है। यहां से विभिन्न दिशाओं के साइटसीन टूर भी बुक किए जा सकते हैं। स्थानीय भ्रमण टैक्सी या आटोरिक्शा द्वारा भी संभव है।

श्रीनगर में ठहरने के लिए डलझील के सामने बुलवर्ड रोड पर और राजबाग व लालचौक पर हर बजट के होटल हैं। पर्यटकों को यहां भाषा की वजह से कोई असुविधा नहीं होती क्योंकि यहां हिंदी भाषा भी समझी व बोली जाती है। वैसे यहां कश्मीरी, उर्दू व डोगरी भाषा बोली जाती हैं। आम कश्मीरी मिलनसार व मददगार होते हैं। गर्मियों में भी कश्मीर की यात्रा पर ऊनी वस्त्र अवश्य ले जाने चाहिए।

क्या खरीदें

कश्मीर की यादें साथ ले जानी हो तो यहां से अनेक यादगार वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। श्रीनगर में कई अच्छे बाजार व एंपोरियम हैं जहां से अखरोट की लकड़ी और पेपरमेशी के बने हस्तशिल्प, कश्मीरी कढ़ाई के वस्त्र, पश्मीना शॉल, संगमरमर के बने ज्वेलरी बाक्स आदि खरीदे जा सकते हैं। अखरोट, बादाम व केसर भी सैलानी यहां से अवश्य खरीदते हैं।

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