भारत का स्विट्जरलैण्ड कौसानी- महात्मा गांधी

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समुद्र तल से 1890 मी0 की ऊंचाई पर कोसी और गरूड़ नदियों की ढलवा पहाड़ी पर स्थित कौसानी अपनी अद्भुत सुन्दरता और रमणीयता के लिए विश्व विख्यात है।सीढीनुमा खेत और पहाड़ों पर बिखरा अप्रतिम सौन्दर्य कौसानी यात्रा को अविस्मरणीय बना देते हैं। सन्  1929 में जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो यहां की प्राकृतिक छटाएं और हिमालय के भव्य सौन्दर्य को देख कर उनके मुख से अनायास निकल पड़ा कि ”आश्चर्य है भारत में कौसानी जैसे सुरम्य स्थानों के होते हुए भी लोग स्विट्जरलैण्ड घूमने क्यों जाते हैं।” राष्ट्रपिता को पूरे कुमाऊं में सबसे प्राकृतिक और सौन्दर्यपूर्ण स्थान कौसानी ही नजर आया। कौसानी में सूर्योदय का दृश्य प्रकृति प्रेमियों को आत्मविभोर कर देता है।

कौशिक मुनि का तपोस्थल

यहां का मुख्य आकर्षण 337 कि0मी0 तक फैली नगाधिराज हिमालय की विशाल पर्वत श्रृंखला है जोकि साफ नजर आती है। अगर कौसानी के इतिहास की कहें तो इस नाम के पीछे भी एक कथा है। कहा जाता है कि यहां पर कौशिक मुनि ने कठोर तप किया था। उन्हीं के नाम के ऊपर इस स्थान का नाम कौसानी पड़ा। कौसानी अंग्रेजों द्वारा सन् 1884 ई0 में प्रकाश में आया। परन्तु वास्तविक ख्याति तो इसे 1929 में महात्मा गांधी द्वारा ही प्रदान की गई। गांधी जी यहां पर 12 दिन रहे थे। उन्होंने ‘यंग इंडिया’ में कौसानी के अलौकिक सौन्दर्य और कुमाऊं की पहाडि़यों का वर्णन कर उसे सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्घ कर दिया। कौसानी अल्मोड़ा से मात्र 51 किमी0 की दूरी पर स्थित है। रास्ते में 12 कि0मी0 पहले सोमेश्वर के सीढ़ीनुमा खेत और सौन्दर्य के मनोहारी दृश्य पर्यटकों को बार-बार के लिए अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

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