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हिंद महासागर में स्थित सेशेल्स दुनिया के सबसे खूबसूरत द्वीपसमूहों में से है और कई सबसे लोकप्रिय समुद्र तट यहां हैं, लेकिन यह देश इस समय संकट में है। मुख्य रूप से पर्यटन से चलने वाली यहां की अर्थव्यवस्था सैलानियों की कम आवक के कारण मुसीबत झेल रही है। यहां के सफेद बीच और टोपाज सरीखा नीला पानी उच्च वर्ग के सैलानियों को चुंबक की तरह आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन बिगड़ते हालात में सैलानियों ने मुंह मोड़ लिया और आय चौपट हो गई। यहां की मुद्रास्फीति 60 फीसदी तक पहुंच चुकी है, पूरे अफ्रीका में जिंबाब्वे के बाद सबसे ज्यादा। हालांकि कुछ उपायों के बाद गिरावट पर रोक लगी है लेकिन उसे उठने में फिलहाल वक्त लगेगा।
115 द्वीपों का समूह
मैडागास्कर द्वीप के उत्तर पूर्व में और अफ्रीकी मुख्य जमीन से 1500 किलोमीटर पूर्व में स्थित सेशल्स 115 द्वीपों का समूह है। जंजीबार इसके पश्चिम, मॉरीशस व रीयूनियन दक्षिण, कोमोरोस व मायोते दक्षिण-पश्चिम में और मालदीव का सुवादीव द्वीप सेशल्स के उत्तर पश्चिम में है। सेशल्स की आबादी किसी अफ्रीकी देश की आबादी की तुलना में सबसे कम है।
संकट में जैव-विविधता
दुनिया के कई नाजुक द्वीपसमूहों की ही तरह सेशल्स में भी मानव इतिहास की शुरुआत में जैव-विविधता का खासा नुकसान हुआ। इनमें ग्रैनिटिक द्वीपों से ज्यादातर विशालकाय कछुओं का विलुप्त हो जाना भी शामिल था। तटीय व मझोले आकार के जंगल भी नष्ट हो गए। सेशल्स तोते और खारे पानी के मगरमच्छ जैसे कई अन्य जानवर भी गायब हो गए। हालांकि कहा यह जाता है कि मॉरीशस व हवाई जैसे द्वीपों की तुलना में सेशल्स में प्राणियों के विलुप्त होने की प्रक्रिया धीमी रही क्योंकि इंसान यहां देर से (1770 के बाद) पहुंचे। इसीलिए सेशल्स को अपने जनजीवन को बचाए रखने की कामयाब कहानियों में भी गिना जाता है।
दुर्लभ प्रजातियां
सेशल्स के ग्रैनेटिक द्वीपों में पेड़ों की 75 दुर्लभ प्रजातियां हैं। अलदाबरा समूह में 25 अन्य प्रजातियां हैं। कोको द मेर खजूर की एक खास प्रजाति है जो केवल प्रासलिन व कयूरीयूज के द्वीपों में ही पाई जाती है। अपने आकार के कारण इसे लव-नट भी कहा जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा बीज है। इसी तरह जेलीफिश ट्री भी कुछ ही जगहों पर पाया जाता है। इस अनोखे पेड़ को बाकी जगह उगाये जाने के सभी प्रयास भी नाकाम रहे।