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श्रावणी तीज, जयपुर, राजस्थान
सावन के भीगे-भीगे महीने की मौजमस्ती, चारों तरफ हरियाली और पेड़ों पर लगे झूले। तीज की बात ही निराली है। खास तौर पर महिलाओं का त्योहार। धार्मिक महत्व की बात की जाए तो देवी पार्वती के प्रति आस्था का पर्व। इस पर्व की खास रौनक भले ही राजस्थान में दिखती हो लेकिन इसे मनाया पूरे उत्तर भारत और नेपाल में भी जाता है। जयपुर में देवी पार्वती की पूजा के बाद हाथियों, ऊंटों व घोड़ों की सवारी देखने लायक होती है।
वुमैड, सिंगापुर
वर्ल्ड ऑफ म्यूजिक, आर्ट्स एंड डांस फेस्टिवल सिंगापुर के फोर्ट कैनिंग पार्क में पिछले दस साल से हो रहा है। दरअसल 1982 में इंग्लैंड में शुरू हुआ यह सिलसिला इस समय बीस देशों में इस रूप में चल रहा है। विभिन्न कलाकारों का प्रदर्शन और कई विषयों पर कार्यशालाएं इस फेस्टिवल का खास हिस्सा हैं। खाने व हस्तशिल्प के शौकीनों के लिए ग्लोबल विलेज है। संगीतकार यहां अपना दूसरा शौक-पाककला-भी प्रदर्शित करते हैं और अपने पसंदीदा पारंपरिक पकवानों पर हाथ आजमाते हैं।
मोबाइल फोन फेंको चैंपियनशिप, सैवोनलिन्ना, फिनलैंड
यूं तो गुस्से में कई बार हम सबका अपना मोबाइल फोन फेंकने का मन करता है लेकिन फोन फेंकने पर इनाम मिले तो क्या बात है। अगर आप भी फोन फेंकने के महारथी हैं तो फिनलैंड पहुंच जाएं जहां इसकी सालाना विश्व चैंपियनशिप होने वाली है। चैंपियनशिप में कई श्रेणियां होती हैं जिनमें भाग लिया जा सकता है। लेकिन आपको फोन की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपको अपना ही फोन नहीं फेंकना पड़ेगा। दरअसल, आयोजक फेंकने के लिए फोन उपलब्ध कराते हैं। हर ब्रांड व मॉडल के फोन फेंकने के लिए मिल जाएंगे। इनका वजन 220 ग्राम से 400 ग्राम के बीच होता है। पहले यह मुकाबले अलग-अलग देशों में होते हैं और फिर विश्व चैंपियनशिप होती है।
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, अल्लपुझा, केरल
केरल में बोट रेसों की श्रृंखला की सबसे महत्वपूर्ण व प्रतिष्ठित रेस। यह रेस हर साल अगस्त के दूसरे शनिवार को उस जगह पर होती है जो केरल में बैकवाटर्स का गढ़ माना जाता है- एलेप्पी या अल्लपुझा की पुन्नमड़ा झील। सौ-सौ फुट लंबी सजी-धजी सर्प नौकाओं में लगती है नेहरू ट्रॉफी के लिए होड़। वर्ष 1952 से हर साल हो रही इस रेस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसको देखने के लिए दो लाख से ज्यादा लोग जुटते हैं जिनमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी होते हैं। सौ फुट की नाव में चार मुख्य नाविक, सौ चप्पूचालक और 25 गायक होते हैं। अरणामुला बोट रेस ओणम पर्व के लिए नावों पर सामग्री जुटाकर लाने की परंपरा से शुरू हुई थी। वहीं अल्लपुझा की पयप्पड़ झील में होने वाली बोट रेस पयप्पड़ जलोत्सवम का हिस्सा है। महत्व व उत्साह में ये दोनों रेस भी किसी से कम नहीं हैं।
बर्लिन इंटरनेशनल बीयर फेस्टिवल, बर्लिन, जर्मनी
यूरोप के कई देशों, खास तौर से जर्मनी में बीयर पीने-पिलाने के बस बहाने ढूंढे जाते रहते हैं। बर्लिन बीयर फेस्टिवल में आपको एक मील लंबे दुनिया के सबसे बड़े बीयर गार्डन का नजारा मिल सकता है। इस मौके पर बर्लिन के कार्ल मार्क्स एले में हर साल दस लाख लोग जुटते हैं। हर साल अगस्त के पहले सप्ताहांत में एक मील लंबी सड़क पर लगे स्टालों में 1200 से ज्यादा किस्म की बीयर मिलेंगी। आनंद दूना करने के लिए 12 मंच संगीत व अन्य शो पेश करते रहते हैं। पूरी जर्मनी के अलावा पोलैंड, चेक गणराज्य, बेल्जियम और ब्रिटेन की तमाम ब्रेवरीज अपनी स्टाल लगाती हैं। अगर थोड़ा सुरूर बाकी रह जाए तो सर्बिया के बेलग्राद में भी 15-19 अगस्त को बीयर फेस्टिवल है। इसने भी हाल के सालों में अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है। पिछले साल साढ़े पांच लाख लोग यहां पांच लाख लीटर से ज्यादा बीयर गटक गए।
ला टौमेटिना या टमाटरों से जंग, बुनयोल, स्पेन
हर साल एक दिन इस छोटे से गांव के लगभग नौ हजार बाशिंदे यह पाते हैं कि रातों-रात उनकी आबादी चार-पांच गुना बढ़ गई है। आखिर आस-पास से हजारों की तादाद में लोग टमाटरों से लड़ी जाने वाली इस सबसे बड़ी जंग में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। हर व्यक्ति अपनी जंग सामने आने वाले हर व्यक्ति से लड़ता है। टमाटर से भरे पांच रॉकेट आकाश में छोड़कर जंग का ऐलान किया जाता है और फिर दो घंटे तक खुला खेल फर्रूखाबादी होता है। नियम के तौर पर केवल एक यह नियम है कि टमाटर के सिवाय कुछ नहीं फेंका जएगा और टमाटर साबुत नहीं, फोड़कर फेंका जाएगा। टमाटरों की कमी की चिंता करने की जरूरत नहीं है-सवा लाख (जी हां, सवा लाख) किलो पके हुए टमाटर जंग के लिए उपलब्ध रहते हैं। इस जंग के बाद क्या नजारा होता होगा-या तो इसकी कल्पना कीजिए या फिर स्पेन का रुख कर लीजिए।
दाढ़ी-मूंछ यूरोपीय चैंपियनशिप, ग्रोटेगली, इटली
यूं तो भारत में भी दाढ़ी-मूंछों के कम धनी नहीं हैं लेकिन ऐसी प्रतिस्पर्धाएं हमारे यहां नहीं होती। यह एक सालाना स्पर्धा है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। मूंछों व दाढि़यों की कई-कई श्रेणियों के लिए मुकाबले होते हैं। रोचक इनाम भी रखे जाते हैं।
ओणम, केरल
ईश्वर की अपनी धरती कहे जाने वाले केरल का सबसे महत्वपूर्ण पर्व। पूरे राज्य में स्कूलों व कॉलेजों के लिए दस दिन की छुट्टियां। फसलों की कटाई से जुड़ा यह पर्व मुख्य रूप से खेलों व आमोद-प्रमोद का होता है। सजे-धजे लोग और खूबसूरत रंगोलियां केरल के इस त्योहार की पहचान हैं। ओणम मलयालम कैलेंडर चिंगम के पहले महीने में मनाया जाता है। यह मलयाली लोगों की सामूहिक सांस्कृतिक चेतना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। त्योहार का दसवां दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है जब परिवार के सभी लोग पत्तों पर किए जाने वाले पारंपरिक भोजन के लिए जमा होते हैं। ओणम के दिनों में केरल देखना जोरदार अनुभव है।