

- Round Trip
- One Way


![]() |
![]() |
![]() |
![]() |
Select Your Theme
Number of Guest
Specify ages of children at time of travel:
मुख पृष्ठ » पश्चिम भारत » राजस्थान » माउंट आबू »
राजस्थान का एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंटआबू प्रकृति की नायाब देन है। गुजरात व राजस्थान के पर्यटकों के दम पर टिका यह ‘हिल स्टेशन अब उत्तर-पूर्वी राज्यों और विदेशी सैलानियों का भी मुख्य आकर्षण बनता जा रहा है। जीवन की आपा-धापी में कुछ पल सुकुन से गुजारने, मनोरंजन, मौज मस्ती करने युवा दंपत्ति एवं वृद्ध जन सभी का माउंटआबू प्यारा रमणीय स्थल है। वर्षा के साथ अनुपम दृश्यों को निहारने देशी-विदेशी पर्यटक इन दिनों हजारों की संख्या में यहाँ के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर नक्की लेक में नौका विहार का भरपूर आनंद लेते नजर आ रहे हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यहाँ पर पास के खड्डे में मुनि वशिष्ठ की गाम ‘नंदिनी’ गिर गई। मुनि ने गाय को बाहर निकालने के लिए सरस्वती नदी से सहायता मांगी, इस पर मुनि वशिष्ठ ने सोचा कि यह खड्ड तो हमेशा के लिए सिरदर्द रहेगा। अत: उन्होंने हिमालय से खड्ड भरने के लिए निवेदन किया। इस पर हिमालय ने अपने छोटे लंगड़े पुत्र नन्दीवर्धन को खड्ड भरने की आज्ञा दी। नंदीवर्धन एक विशाल अर्बुद नाम के सर्प के फन पर बैठकर गया एवं उसे खड्डे के भरने पर उस पर जो पर्वत खड़ा किया वह उस सर्प की शर्त के अनुसार माउंट आबू ‘अर्बुद’ के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी पर्वत पर ‘अर्बुदा’ देवी का मुख्य मंदिर 5,500 हजार वर्ष पुराना मंदिर प्राचीन तीर्थ है। एक आधारशिला के नीचे स्थित होने के कारण इसे अधरदेवी भी कहते हैं। यहाँ के रमणीय स्थलों एवं विश्वविख्यात वास्तु के अनुपम उदाहरण देलवाड़ा के प्राचीन मंदिर में स्थापत्य एवं मूर्तिकाल को देखने आते हैं।
गुरूशिखर
अरावली की सर्वोच्च चोटी ‘गुरुशिखर’ आबू नगर से लगभग 16 किमी. दूरी पर समुद्रतल से 5653 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ भगवान दत्तात्रेय मंदिर है। यहाँ एक विशाल घंटा है जिसकी ध्वनि हजारों फीट नीचे मैदानी भाग में सुनाई पड़ती थी।
अचलगढ
अचलगढ़ शहर से 7 किमी. दूरी पर स्थित है। यहाँ अचलेश्वर महादेव जी का मंदिर है। अचलेश्वर मंदिर से आगे चलकर यहाँ पर एक दुर्ग आता है जिसके कारण इसे अचलगढ़ के नाम से जाना जाता है। अचलेश्वर मंदिर के आगे सीढि़यां चढ़कर लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर है। फिर जैन तीर्थकर कुथुनाथ का मंदिर है जिसमें पीतल की विशाल मूर्ति है।
नक्खी झील
यह झील आबू पर्वत की सुन्दरता में चार चाँद लगाती है। नक्खी झील गंगा व पुष्कर झील के समान ही पवित्र मानी गई हैं। किवंदती है कि बालम रसिया ने इस झील को अपने नाखूनों से खोदा था। झील के चारों ओर पर्वतीय चट्टानें हैं जिनमें एक मेढ़क के आकार की विशाल चट्टान है। जिसे टॉडराक के नाम से जाना जाता है। नक्खी झील पर कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने की विशेष महत्ता है।
विश्वविख्यात देलवाड़ा जैन मंदिर
विश्वविख्यात देलवाड़ा जैन मंदिर अपनी अद्भुत कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। यह बस स्टेशन से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ के तीन मंदिर मुख्य हैं- पहला विमल वसहिं, दूसरा- लूणवसहिं, तीसरा-पित्तलहर या भीमाशाह का मंदिर।
विमलवसहिं
प्रसिद्ध लेखक कर्नल टांड ने देलवाड़ा मंदिर को भारतवर्ष के सभी मंदिरों में उत्कर्ष माना और कहा था कि ताजमहल को छोड़कर ऐसी और कोई इमारत नहीं। यह मंदिर 1031 में चन्द्रावती के दंडनायक एवं अणहिलवाड़ा के व्यापारी विमलशाह की ओर से बनाया गया। इस मंदिर की लागत उस समय 18 करोड़ 53 लाख रुपये आयी। हर स्तंभ छतरी एवं बेदी की बनावट व सजावट प्रस्तर की बारीक खुदाई भी भिन्न-भिन्न प्रकार से की गई है। 14 वर्षो में 15 सौ कारीगरों 12 सौ श्रमिकों की ओर से कठिन परिश्रम से बनकर तैयार इस मंदिर के लिए विमल शाह ने अनेक युद्ध भी किए थे।
लूंणवसहिं मंदिर
इसका निर्माण गुजरात के सोलंकी राजा वीरध्वज के महामंत्री वस्तुपाल व तेजपाल नामक दो भाईयों ने करवाया। इस मंदिर के देराणी-जेठाणी के गोखलों की उत्कृष्ट कला विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर पर 12 करोड़ 53 लाख रुपये की लागत आयी, व 15 सौ कारीगरों की सहायता से यह मंदिर सात वर्ष की अवधि में बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर 22वें जैन तीर्थकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
भीमाशाह का पित्तलहर का मंदिर
इस मंदिर में प्रथम जैन तीर्थकर आदिनाथ की 108 मन वजन की पीतल धातु की प्रतिमा है। इसको अहमदाबाद के सुल्तान महमूद बेगड़ा के दरबारी सुंदर व गदा ने वि. सं. सन् 1468 में प्रतिष्ठित किया था। पीतल की मूर्ति के कारण ही इसे पित्तलहर कहते हैं। इन मंदिरों को बाहर से देखने पर इनकी सरलता से भीतर की भव्यता का अनुमान लगाना अत्यंत कठिन है। शायद यही कारण है कि यह मंदिर मुस्लिम आक्रमणकारियों के अत्यधिक कोपभाजन का शिकार नहीं हुए। मंदिर में प्रवेश निशुल्क है, तथा यह दर्शकों के लिए दोपहर 12 से सायंकाल 6 बजे तक खुला रहता है।
अन्य स्थल
श्री रघुनाथ मंदिर,वशिष्ठ आश्रम, ब्रह्माकुमारी ओमशांति भवन, ज्ञान सरोवर, संत सरोवर, सूर्यास्त स्थल,अनादरा प्वाइंट, सूर्योदय स्थल,शंकर मठ, लख-चौरासी, अग्नि कुण्ड, ननराक, बेलेज वॉक, देव आंगन, नीलकंठ महादेव, पीस पार्क, विवेकानंद गार्डन, पालनपुर प्वाइंट, कोदरा डेम्प, मुख्य बाजार स्थित बिहारी जी मंदिर आबू के पर्यटन स्थलों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।