पचमढ़ी: मध्य प्रदेश का सौंदर्य

  • SocialTwist Tell-a-Friend

पचमढ़ी के बारे में सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह उस जगह पर स्थित है जहां उसके होने की आम तौर पर कल्पना नहीं की जाती है। यही कारण है मध्य प्रदेश उसे अपना सबसे चमकदार हीरा मानता है। मध्य भारत के पठार में इस तरह का प्राकृतिक सौंदर्य वाकई शानदार है। लेकिन इसका यहां होना ही इस बात की सबसे बड़ी वजह है कि यहां पूरे सालभर में कभी भी जाया जा सकता है। पचमढ़ी में प्रकृति के अलावा मानव की कलाकारी भी जहां-तहां बिखरी है। पुरातात्विक लिहाज से भी इस जगह का खासा महत्व है। यहां की महादेव पहाडि़यों की गुफाओं में रॉक पेंटिंग का अनमोल खजाना है। इन चित्रों में से ज्यादातर 500 से 800 ईस्वी के हैं लेकिन सबसे पुरानी पेंटिंग्स दस हजार साल पुरानी बताई जाती हैं। हरे-भरे पहाड़ों के बीच में से जहां-तहां कलकल बहता पानी, अनगिनत झरने, कहीं साल के घने जंगलों के बीच में खुले खेत, बांस व जामुन के बगीचे और लाल मिट्टी पचमढ़ी की खास पहचान है। जंगल हैं तो यहां कई तरह के जानवर व पक्षी भी देखने को मिल जाते हैं।

सन 1857 में बंगाल लांसर्स के अंग्रेज कप्तान जेप्तस फोर्सिथ ने मध्य प्रदेश के सतपुड़ा की पहाडि़यों में घूमते हुए इस जगह को देखा। उसके बाद से ही रिसॉर्ट के रूप में यहां का आधुनिक विकास शुरू हुआ। यहां के गिरजाघरों व अन्य इमारतों आदि में औपनिवेशिक दौर की छाप साफ देखी जा सकती है। लेकिन पौराणिक कहानियों में यहां का इतिहास महाभारत के कालखंड से है। यहां आपको कई झरने ऐसे मिल जाएंगे जिनके बारे में आपको यह बताया जाएगा कि पांडवों के वनवास के दौरान द्रौपदी ने कहां-कहां स्नान किया था।

पांडव गुफाएं

पचमढ़ी का यह सबसे लोकप्रिय स्थान है। एक पहाड़ी पर बड़ी से चट्टान में बनी हैं ये पांच गुफाएं जिन्हें पांच पांडवों के नाम से जाना जाता है। इन पांच मढि़यों से ही पचमढ़ी को अपना यह नाम मिला है। इन गुफाओं को अब संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। सतपुड़ा की पहाडि़यों में सबसे ऊंचा स्थान धूपगढ़ है। यहां से आसपास की पहाडि़यों का शानदार नजारा देखने को मिलता है। यह जगह सूर्यास्त देखने के लिए बेहद शानदार मानी जाती है। पचमढ़ी में कई खूबसूरत से झरने हैं जो आम सैलानियों के साथ-साथ रोमांच प्रेमियों के लिए भी कई अवसर उपलब्ध कराते हैं। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए कई रास्ते भी सतपुड़ा की पहाडि़यों में ढूंढे जा सकते हैं।

दर्शनीय स्थल

पचमढ़ी को पीने का पानी उपलब्ध कराने वाला जमुना प्रपात, चट्टानों व पत्थरों के बीच से बहता रजत प्रपात यानी बिग फॉल और उसकी तलहटी में बना अप्सरा विहार और बेहध खड़ी व मुश्किल उतराई वाला जलावतरण यानि (डचेस फॉल) यहां के मुख्य प्रपातों में एक हैं।  इसी तरह छोटे-छोटे कुंड देखे जाएं तो जस्टिस विवियन बोस की पत्नी इरिन बोस द्वारा खोजा गया इरिन पूल, डचेस फाल से ढाई किलोमीटर दूर तैरने के लिए बेहतरीन सुंदर कुंड (सांडर्स पूल), त्रिधारा (पिकर्डिली सर्कस), देनवा धारा पर वनश्री विहार (पेनसी पूल) व संगम (फुलर्स खुड) प्रमुख हैं। जंगलों और पहाडि़यों के लिहाज से रीछगढ़, हांडी खोह, पवित्र महादेव, छोटा महादेव, चौरागढ़, जटाशंकर प्रमुख हैं। ये सभी स्थान मुख्य रूप से शिव की आराधना से जुड़े हुए हैं। लेकिन सभी प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत हैं। इसके अलावा यहां 1875 व 1892 में बनी दो पुरानी चर्च भी हैं जिनमें उस जमाने के वास्तुशिल्प का शानदार नमूना देखने को मिलता है। इसी तरह 1862 में बने बिसन लॉज को अब एक संग्रहालय का रूप दे दिया गया है जो पचमढ़ी की प्राकृतिक विविधता की झांकी पेश करता है।

गुफाएं

पचमढ़ी की सतपुड़ा पहाडि़यों में कई गुफाएं हैं और उनमें से कई सदियों पुराने चित्रों को अपने में सहेजे हुए हैं। अप्सरा विहार के निकट पैदल मार्ग पर धुआंधार है जहां कुछ तीरंदाजों की सफेद तस्वीरें हैं। भारत नीर (डोरोथी डीप) में जानवरों की आकृतियां बनी हुई हैं। इनकी खुदाई 1930 में हुई थी। अस्थाचल (मोंटे रोसा) में चार गुफाएं चित्रों से सजी हैं जिनमें ज्यादातर प्राचीन रेखाकृतियां हैं। जम्बू द्वीप घाटी के उत्तर में छह गुफाएं हैं जिनमें जानवरों व इंसानों के कई चित्र हैं। इनमें से एक में तो समूचा युद्ध का दृश्य दिखाया गया है। इसके अलावा जटाशंकर के निकट हार्पर्स केव है और काइट्स क्रेग में भी कई खूबसूरत चित्र हैं जो सफेद रंग से बने हैं और लाल रंग से उनकी आउटलाइन बनाई गई है।

आसपास

पचमढ़ी के पास ही बोरी व पचमढ़ी वन्य जीव अभयारण्य हैं। इनमें आपको बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, भालू, चिंकारा, नीलगाय व जंगली सूअर आदि देखने को मिल सकते हैं। पचमढ़ी से 78 किलोमीटर दूर तमिया सतपुड़ा पहाडि़यों में एक खूबसूरत रिसॉर्ट है। यहां से नर्मदा घाटी का शानदार नजारा लिया जा सकता है। चोटी से साढ़े तीन सौ मीटर नीचे दुधी पठार का दृश्य यहां का सबसे रोमांचक नजारा है।

कहां ठहरें

यहां ठहरने के लिए हर बजट का होटल है। आपको यहां 590 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक के किराये वाले डबल बेडरूम मिल जाएंगे। इसके अलावा हजार रुपये तक के किराये में कॉटेज भी आपको मिल सकते हैं।

कैसे जाएं

सबसे निकटवर्ती हवाईअड्डा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, यहां से 195 किलोमीटर दूर है। यहां के लिए दिल्ली, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर व मुंबई से सीधी उड़ानें हैं। रेल से जाना हो तो मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर पिपरिया स्टेशन पचमढ़ी से मात्र 47 किलोमीटर दूर है। पचमढ़ी के लिए भोपाल, होशंगाबाद, नागपुर, पिपरिया, छिंदवाड़ा से सीधी बसें हैं जबकि भोपाल व पचमढ़ी के बीच मध्य प्रदेश पर्यटन की बसें भी चलती हैं। टैक्सियां पिपरिया से भी मिल जाएंगी।

VN:F [1.9.1_1087]
Rating: 7.8/10 (23 votes cast)
पचमढ़ी: मध्य प्रदेश का सौंदर्य, 7.8 out of 10 based on 23 ratings



Leave a Reply

    * Following fields are required

    उत्तर दर्ज करें

     (To type in english, unckeck the checkbox.)

आपके आस-पास

Jagran Yatra