थाईलैंड: जादू है नशा है

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थाईलैंड के फुकेट द्वीप को एशिया के सबसे लोकप्रिय रिसॉर्ट के रूप में माना जाता है। यहां वो सब कुछ है जिसकी कल्पना एक शानदार छुट्टी मनाने के लिए की जा सकती है। उसपर अगर मौका हनीमून का हो तब तो कहना ही क्या। इससे रोमांटिक जगह आपको नहीं मिलेगी। सबसे शानदार होटल, खूबसूरत बीच, कई तरह के रोमांच, और आस-पास के बेइंतहा खूबसूरत द्वीपों की सैर-क्या कुछ नहीं है यहां। हर जगह आपको पिछली जगह से खूबसूरत लगेगी। फी फी द्वीप जाएं या फांग नगा बे या पातोंग बीच या काता व कारोन। अगर आपको एकांत में कुछ सुकून भरे रोमांटिक पल चाहिए तो व भी हैं और अगर नाचती-गाती नाइटलाइफ, तो वह भी।

अकल्पनीय प्राकृतिक सुंदरता

थाईलैंड में अकल्पनीय प्राकृतिक सुंदरता है तो प्रेरणादायक मंदिर और भव्य इतिहास के भग्नावशेष भी। माए होंग सोन की स्तूपों से लदी पहाडि़यों से लेकर अंडमान समुद्र में लाइमस्टोन के द्वीप तक और राजधानी बैंकाक के झूमते डांस क्लबों से लेकर मेकांग नदी के किनारे-किनारे बसे देहाती इलाकों तक-यहां हर किस्म के सैलानी के लिए बुहत कुछ है। यहां की मेजबानी आपका मन मोह लेगी और खाना तो बेहद लजीज है। अगर आप सी-फूड के शौकीन हों तो यह जगह आपके लिए मानो जन्नत है।

फुकेट

बैंकाक से 862 किलोमीटर दक्षिण में फुकेट है। थाईलैंड के इस सबसे बड़े द्वीप को अंडमान समुद्र का हीरा भी कहा जाता है। फुकेट प्रांत में कुल 40 छोटे-बड़े द्वीप हैं। मुख्य द्वीप उत्तर में दो पुलों के जरिये फांग नगा प्रांत से जुड़ा हुआ है। अंडमान समुद्र में फुकेट की जो बाकी तीन दिशाएं हैं उन्हें समुद्र की गहराइयां छानने के लिए बेहतरीन डाइविंग साइट्स में से एक माना जाता है। दूरी के लिहाज से थाईलैंड भारत के सबसे नजदीकी देशों में से है।

यहां के मौसम का हिसाब बेहद सीधा-साधा है। मई से अक्टूबर तक बारिश का मौसम और नवंबर से अप्रैल तक गरमी का। सिंतबर और अक्टूबर चूंकि सबसे ज्यादा बरसने वाले महीने होते हैं, इसलिए सैलानियों को इस समय यहां जाने की हिदायत आम तौर पर नहीं दी जाती है। यहां जाने का सबसे बढि़या समय नवंबर से फरवरी का ही है। इन दिनों आपको यहां साफ नीला आसमान मिलेगा। समुद्र से आती ताजी हवा को आप दिल खोलकर महसूस कर सकेंगे और कभी खजूर के पेड़ों से घिरे तटों की महीन रेत में पसरे रहेंगे और कभी गहराई तक झांकते साफ पानी में खुद को उतारने से रोक नहीं सकेंगे। इन दिनों यहां का तापमान 23 डिग्री से 33 डिग्री सेल्शियस के बीच होता है।

पट्टाया

यूं तो पूरे थाईलैंड सबसे ज्यादा अपने समुद्र तटों के लिए ही लोकप्रिय है, लेकिन राजधानी बैंकाक तट से दूर है। बैंकाक का सबसे निकट समुद्री तट 80 किलोमीटर दूर चोनबुरी में है। यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों व खूबसूरत बीचों से भरपूर है। आम तौर पर बैंकाकवासी इस जगह का इस्तेमाल अपनी छोटी-मोटी छुट्टियों के लिए करते हैं। लेकिन बैंकाक किसी काम से जाने वाले सैलानियों के लिए भी यह फुकेट या पट्टाया न जा पाने की स्थिति का बढि़या विकल्प हो सकता है।

बैंकाक से लगभग 170 किलोमीटर दूर थाईलैंड की खाड़ी के पूर्वी तट पर पट्टाया है। पिछली सदी के साठ के दशक में यह महज मछुआरों का एक गांव हुआ करता था। अप्रैल 1961 में वियतनाम के खिलाफ अमेरिकी जंग में हिस्सा लेने वाले लगभग सौ सैनिकों का जत्था यहां आराम करने के लिए आया। तभी से यह पर्यटन स्थल के रूप में अपनी धाक जमाने लगा। अब फुकेट की ही तरह यह भी दक्षिणपूर्व एशिया के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार यहां हर साल पांच लाख के लगभग पर्यटक आते हैं।

दुनियाभर से लोग तफरीह की असीम संभावनाएं लिए यहां के तटों पर खिंचे चले आते हैं। फुकेट में तो तटों की प्राकृतिक बनावट का मोह ही सबको खींच लाता है जबकि पट्टाया में सैलानियों को हर सर्वोत्तम चीज उपलब्ध कराई जाती है। हर चीज का मतलब यहां हर उस चीज से है जिसकी कल्पना कोई व्यक्ति अपनी छुट्टियों को आनंददायक बनाने के लिए कर सकता है-सुकून, मनोरंजन, खेल, साइटसीइंग, मौज-मस्ती। पट्टाया हर किस्म के पर्यटक के लिए स्वर्ग सरीखा है। यह वो जगह है जहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक आप अंतहीन गतिविधियों में शिरकत कर सकते हैं- हाथी की सवारी कर सकते हैं, ऑटोमैटिक मिनी बाइक या भारी-भरकम क्रूज बाइक या फिर बहुरंगी कनवर्टिबल जीपों पर हाथ आजमा सकते हैं। हवाई खेलों व पानी से जुड़ी तमाम गतिविधियां तो हैं ही। लेकिन यदि आप कुछ न करना चाहें तो सिर्फ शांत माहौल में रिलैक्स भी कर सकते हैं। यहां की नाइटलाइफ काफी चर्चित है और कुछ मायनों में काफी बदनाम भी। यहां रातभर चलने वाले रेस्तरां हैं, बार, थिएटर, कैबरे, नाइट क्लब, डिस्को, मसाज पार्लर वगैरह सबकुछ हैं। यहां की एक और अद्भुत चीज शॉपिंग है जो बेरोकटोक दिन-रात, चौबीसों घंटे की जा सकती है। फुकेट और पट्टाया के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि यहां आने वाले लोगों में काफी बड़ी संख्या उन विदेशी पर्यटकों की है जो यहां बार-बार आते हैं। इन लोगों के लिए छुट्टियों का मतलब ही पट्टाया या फुकेट से होता है। तो फिर देर किस बात की, हो जाए..।

माया बीच

दुनिया में ऐसे बीच बिरले ही होंगे जो इस कदर प्रसिद्धि पाते होंगे। यूं तो मियामी के साउथ बीच से लेकर दक्षिण अफ्रीका के कैंप्स बे तक और आस्ट्रेलिया के मैन बीच से लेकर ब्राजील के बुजियोस और हमारे अपने गोवा और कोवलम तक ऐसे ढेरों बीच हैं जो लोगों को मोह लेते हैं। लेकिन लोग थाईलैंड के फी फी द्वीप पर माया बे बीच को एक परफेक्ट बीच कहते हैं। टाइटैनिक के हीरो लियोनार्डो डीकाप्रियो की बहुचर्चित हॉलीवुड फिल्म द बीच बहुत से लोगों ने देखी होगी। माया बीच को लोकप्रिय बनाने में उस फिल्म का जबरदस्त योगदान था। फिल्म में यह बीच जितने खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है, हकीकत में वहां जाकर भी वह उतना ही मंत्रमुग्ध कर देने वाला लगता है। यह अलग बात है कि यह फिल्म शूटिंग के दौरान माया बीच के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए भी काफी विवादों में रही। इसकी वजह यह थी कि माया बे एक राष्ट्रीय पार्क का हिस्सा है।

यह रोचक बात है कि प्रकृति ने भी मानो अपनी इस नायाब कृति की पहरेदारी के पूरे इंतजाम कर रखे हैं। बीच का मुख्य हिस्सा चारों तरफ से ऊंची पहाडि़यों से घिरा हुआ है। उन्हीं पहाडि़यों के बीच से एक रास्ता खुलता है जो समुद्र के उस पार आने-जाने का रास्ता है। अब आप चाहे समुद्र की ओर से आएं या फिर द्वीप के अन्य जमीनी इलाकों से, बीच तक पहुंचे बगैर उसे दूर से देखा नहीं जा सकता। मानो प्रकृति भी चाहती है कि आप उसे नजदीक जाकर ही उसका पूरा आनंद लें। माया बे से जुड़ी हरेक चीज उसी तरह से प्रकृति ने गढ़ी है, जैसे किसी बेशकीमती हीरे को हर कोण से तराशा जाता है। जैसे कि वहां का साफ पानी, वहां के ताड़ के पेड़, वहां के तट की सफेद रेत और वहां चमकती धूप। अगर आपको पानी से नफरत नहीं है तो यकीन मानिए, वहां जाकर आपको इस बीच से प्यार हो जाएगा। यही है माया बीच की माया।

माया बीच को समेटने वाले फी फी द्वीप जाने के लिए पहले फुकेट या क्राबी पहुंचना होगा। वहां से फी फी द्वीप 40 किलोमीटर दूर है। यह सफर स्टीमर या बड़ी नाव से तय करना होता है। सामान्य यात्री नाव से यह रास्ता ढाई घंटे में पूरा होता है जबकि एक एक्सप्रेस नाव आपको 40 मिनट में वहां पहुंचा देगी। राजधानी बैंकाक से फुकेट 860 किलोमीटर दूर है। ये सफर बस, रेल या हवाई जहाज, किसी भी तरीके से पूरा किया जा सकता है।

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