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पोखरा नेपाल में दूसरी सबसे ज्यादा घूमे जाने वाली जगह है। यह 827 मीटर ऊंचाई पर स्थित है और ट्रेकिंग और रैफ्टिंग के लिए भी प्रसिद्घ है। पोखरा की अद्भुत प्रकृति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महज आठ सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह से आठ हजार मीटर ऊंचाई वाली चोटियां बस हाथ बढ़ाकर छू लेने भर वाले फासले पर स्थित हैं। दुनिया में कहीं और आपको इतनी जल्दी एक हजार मीटर से आठ हजार मीटर ऊंचाई का सफर तय करने को नहीं मिलेगा।
जादुई सम्मोहन
फेवाताल का दृश्य और पीछे स्थित माछापुछे (6977 मीटर) पर्वत की शोभा मानो शांति और जादू के सम्मोहन में बाँध लेती है। चारों तरफ पर्वतों से घिरी पोखरा घाटी घने जंगलों, प्रवाही नदियां, स्वच्छ झीलों और विश्वप्रसिद्घ हिमालय के दृश्यों के लिए ख्यात है। काठमांडू से 200 किमी पश्चिम में स्थित यह नगर काठमांडू और भैरहवा (नेपाल का एक सीमांत शहर जो भारत के गोरखपुर से नजदीक है) से वायु और सड़क मार्ग से जुड़ा है। पोखरा धौलागिरी, मनासलू, माछापुछे, अन्नपूर्णा जैसा महत्वपूर्ण चोटियों और अन्य हिमालयी दृश्यों का आनंद प्रदान करता है।
पर्वतीय दृश्य: पोखरा का सबसे विलक्षण दृश्य अन्नपूर्णा पर्वत श्रेणी का है जो रंगमंच के पर्दे की शोभा प्रदान करता है। वैसे अन्नपूर्णा पर्वत श्रेणी में सबसे ऊंची चोटी अन्नपूर्णा (8091 मीटर) है, लेकिन माछापुछे पड़ोस की सभी चोटियों पर शासन करती है। माछापुछे शिखर मेहराबदार शिखर है।
फेवा झील: यह नेपाल की दूसरा सबसे बड़ा झील है जो पोखरा के आकर्षण का केंद्र है। उसका पूर्वी किनारा जो बैडैम या लेकसाइड के नाम से लोकप्रिय है। यह पर्यटकों के पसन्द का निवास स्थल है जहां अधिकतर होटल, रेस्तरां और हैंडिक्राफ्ट की दुकानें अवस्थित हैं।
बेगनास और रूपा झील: ये दोनों झील पोखरा से 15 किमी दूरी पर स्थित हैं और अपने चारों ओर स्वच्छ वातावरण के कारण पूर्णतया नैसर्गिक अनुभूति प्रदान करते हैं।
वाराही मंदिर: फेवा झील के मध्य भाग में निर्मित यह पैगोडा शैली का दोमंजिला मंदिर देवी शक्ति का उपासना स्थल है।
डेविस फाल: डेविस झरना एक विस्मयकारी झरना है जो पोखरा से दो किमी दक्षिण पश्चिम में हैं।
गुप्तेश्वर गुफा: यह एक धार्मिक गुफा है जो डेविस फाल के नजदीक है। यह गुफा तीन किमी लंबी है। गुफा के अंदर एक शिवलिंग स्थित होने के कारण हिंदुओं के लिए इस गुफा का विशेष महत्व है।
विन्ध्यवासिनी मंदिर: देवी भगवती जो शक्ति का ही एक दूसरा स्वरूप समझी जाती हैं यह मंदिर उनकी पूजा का स्थल है।
कैसे जाएं
सभी विदेशी यात्री जो भारत से सड़क मार्ग से नेपाल जाना चाहते हैं उन्हें नेपाल-भारत सीमा पर जिन रास्तों का इस्तेमाल करना चाहिए, वे हैं- 1. काकड़भिट्टा 2. वीरगंज 3. बेलहिया, भैरहवा 4. नेपालगंज 5. धनगढ़ी और 6. महेन्द्र नगर।
सड़क मार्ग से अपनी गाड़ी लेकर आने वाले पर्यटकों के पास नेपाल की सीमा में प्रवेश के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवहन प्रपत्र होना अनिवार्य हैं। दिल्ली से काठमांडू के लिए सीधी निजी बसें उपलब्ध होती हैं जो काठमांडू 28 घंटे में पहुंचाती हैं। वाराणसी से सुनौली भारत-नेपाल सीमा) की बसें छूटती हैं और दस घंटे में पहुंचाती हैं। सुनौली से काठमांडू की यात्रा आठ घंटे और पोखरा की छ: घंटे में पूरी की जाती है।
गोरखपुर से भी सुनौली के लिए लगातार बसें छूटती हैं जहां पहुंचने के लिए लगभग 3 घंटे लगते हैं। लखनऊ से-लखनऊ से बसें तीन घंटे में रूपैडिहा (भारत-नेपाल सीमा) तक पहुंचाती है। रूपैडिहा से काठमांडू तक की यात्रा 15 घंटे की और पोखरा की 14 घंटे की है। पटना से रक्सौल के लिए चलने वाली बसें छ: घंटे में रक्सौल मुख्य टर्मिनल पहुंचा देती है। रक्सौल से काठमांडू तक की यात्रा 8 घंटे में और पोखरा की छह घंटे में तय की जाती है।
सिलीगुड़ी से नेपाल की सीमा में प्रवेश के लिए पानी टंकी और काकड़भिट्टा (नेपाल) तक 36 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। काकड़भिट्टा से काठमांडू के लिए बसें मिलती है जो 14 घंटे में काठमांडू पहुंचाती हैं। इसके अलावा दिल्ली से करीब 8 घंटे में और नैनीताल से करीब साढ़े तीन घंटे में वनबसा पहुंचा जा सकता हैं। वनबसा से महेंद्रनगर की दूरी करीब 13 किलोमीटर की है जहां से काठमांडू के लिए दिन-रात बसों की सुविधा उपलब्ध है।
भारतीय मुद्रा-नेपाल के सभी बैंक एक्सचेंज काउंटरों पर भारतीय रुपये स्वीकार है। लेकिन 500 और 1000 रुपये के नोट नेपाल लाना वर्जित और दंडनीय है। सभी मुख्य क्रेडिट कार्ड बड़े-बड़े होटलों और सभी डिपार्टमेंटल स्टोर में स्वीकार किए जाते हैं। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए ट्रैवेलर्स चेक के बदले भी आसानी से नेपाली रुपये भुनाए जा सकते हैं।