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बात हनीमून की हो तो कुछ लोग उसे रोमांचक तरीके से भी मनाना पसंद कर सकते हैं। ऐसे रोमांच प्रेमियों के लिए राफ्टिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। पहाड़ों पर बर्फ भले ही गिरनी शुरू हो गई है लेकिन नदियों में इस समय राफ्टिंग के लिए बहाव बेहद अनुकूल है। ज्यादा दूर न जाना हो तो हिमाचल में कुल्लू और उत्तरांचल में ऋषिकेश इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह हैं। यहां आपको पानी का बहाव भी मिलेगा और राफ्टिंग सीखने के मौके भी। दोनों ही जगहों पर शौकिया और पेशेवर, दोनों तरह के राफ्टर हाथ आजमा सकते हैं। राफ्टिंग, वाटर स्कीइंग, कैनोइंग व कयाकिंग का मजा ही कुछ और है, हालांकि यह है थोड़ा मजबूत दिल वालों के लिए और उनके लिए भी जो जिंदगी में कुछ न कुछ नया करते रहना और सीखते रहना चाहते हैं।
राफ्टिंग को आम तौर पर व्हाइटवाटर राफ्टिंग कहा जाता है क्योंकि यह नदी के उस पानी में होती है जहां प्रवाह या चट्टानों से टकराने के कारण पैदा होने वाला उफान पानी को सफेद कर देता है। पानी का यह उफान, चट्टानों पर राफ्ट का उछलना और धारा के साथ-साथ बहने का रोमांच ही इस अनुभव को अद्भुत बनाता है। बहाव, चट्टानों आदि के जोखिम के आधार पर ही नदी की धारा को राफ्टिंग के लिए छह श्रेणियों में बांटा जाता है। सबसे पहली श्रेणी (ग्रेड 1) सर्वाधिक आसान होती है। छठी श्रेणी (ग्रेड 6) सबसे कठिन, जिस पर राफ्टिंग करना जान जोखिम में डालना होता है। आप उसी हिसाब से तय कर सकते हैं कि आप किस धारा (इसे रैपिड कहा जाता है) में राफ्टिंग करना चाहते हैं।
उत्तरांचल में गढ़वाल मंडल विकास निगम ऋषिकेश से 40 किमी दूर कौडि़याला में बाकायदा राफ्टिंग का प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है। एक व्यक्ति के लिए तीन दिन के कोर्स की फीस साढ़े तीन हजार रुपये और पांच दिन के कोर्स की फीस छह हजार रुपये है। इसमें ठहरना, खाना व प्रशिक्षण शामिल है। छात्रों के लिए इस दर में थोड़ी रियायत है। शौकिया हाथ आजमाने वालों के लिए एक बार राफ्टिंग करने का शुल्क चार सौ रुपये है। तीन दिन का कोर्स तो अक्टूबर से ही शुरू है और जनवरी तक ही होगा। पांच दिन का कोर्स फरवरी व मार्च में कराया जाएगा। गढ़वाल मंडल विकास निगम के दफ्तरों से इस बारे में सारी जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा राफ्टिंग कराने वाले कई निजी टूर ऑपरेटर और कंपनियां भी हैं। पुख्ता जानकारी करके इनमें से किसी की सेवा ली जा सकती है। पड़ताल करने में मुख्य बात सुरक्षा इंतजामों पर निगाह रखने की होती है। कम ग्रेड वाले रैपिड के लिए तो तैरना आना भी जरूरी नहीं क्योंकि लाइफ-जैकट हमेशा आपके शरीर से बंधी रहती है।
भागीरथी और अलकनंदा में राफ्टिंग ज्यादा जोखिम वाली
ऋषिकेश से ऊपर देवप्रयाग में गंगा की दो प्रमुख शाखाएं भागीरथी और अलकनंदा मिलती हैं। इन दोनों नदियों में राफ्टिंग ज्यादा जोखिम वाली है। देवप्रयाग से नीचे आने पर यह जोखिम थोड़ा कम हो जाता है। ब्यासी में जहां एक जल-दीवार है, वहीं थोड़ा आगे शिवपुरी से चार किलोमीटर नीचे एक जलीय गोल्फ-कोर्स भी है। सफर में रोमांच के कारण सांसें ज्यादा तेज चलने लगें तो बीच में कहीं भी नदी के किनारे रेत पर राफ्ट को खींचकर सुस्ताया भी जा सकता है। मजा केवल प्रवाह का नहीं है, रास्ते में कहीं पाट के दोनों ओर बांज, चीड़, सुरई और देवदार के जंगल मिल जाएंगे तो कहीं सीढी़दार खेतों का मनोरम दृश्य देखने को मिल जाएगा। बहते-बहते कभी आप किसी गांव के बीच से गुजर रहे होंगे तो कभी किस्मत से चीतल, बंदर, गुलदार, बाघ आदि के दर्शन हो जाएं तो आप पानी से ही जंगल की सैर भी कर लेंगे। कुल मिलाकर यह रोमांच ऐसा है, जिसका अनुभव मौका मिले तो अवश्य किया जाना चाहिए।
उत्तरांचल में यमुना, टौंस, अलकनंदा, भागीरथी, भिलंगना, मंदाकिनी व गंगा नदियों पर राफ्टिंग के कई रैपिड हैं। खास तौर पर जलक्रीड़ा के लिए विकसित किए गए स्थानों में कौडि़याला के अलावा देहरादून से चंडीगढ़ के रास्ते पर आसन बैराज, कुमाऊं में जौलजीवी व टनकपुर और नैनीताल क्षेत्र की सभी झीलें प्रमुख हैं। आसन बैराज में वाटर स्कीइंग, सर्फिग के हाथ भी आजमाए जा सकते हैं। यमुना व आसन नदियों के संगम पर बना यह बैराज पक्षी प्रेमियों की भी पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।
3 Responses to “लहरों पर अठखेलियां साथ-साथ”
June 30, 2010
लहरों पर अठखेलियां साथ-साथ अच्छा आर्टिकल है