रेत के समंदर पर शाही रेल का सफर

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रेल पर्यटन’ को बढ़ावा देने का श्रेय सही अर्थो में यदि किसी प्रदेश को दिया जाना चाहिए तो वह है-राजस्थान, जिसके रेतीले समंदर पर पैलेस ऑन व्हील्स, हेरीटेज ऑन व्हील्स और फेयरी क्वीन जैसी शाही रेल गाडि़यों का सैलाब उमड़ रहा है। आज दुनिया की सबसे मशहूर, लोकप्रिय और लग्जरी दस ट्रेनों में शामिल ”पैलेस ऑन व्हील्स” -द्वितीय” का आगाज होने वाला है। भारतीय रेल के करीब 155 वर्षो के स्वर्णिम इतिहास में पर्यटक रेल गाडि़यों को ऐसी अभूतपूर्व सफलता किसी और प्रदेश में नहीं मिली। राजा-महाराजाओं के प्रदेश रहे राजस्थान की विभिन्न पूर्व रियासतों के शासकों और उनके परिवारजनों के लिए प्रयोग में आने वाले ‘रॉयल सैलून’ वर्षो तक रेलवे के ‘लोको शेड’ में धूल खा रहे थे, जिन्हें साज-संवार कर रेल की पटरियों पर ”पहियों पर राजमहल” के रूप में दौड़ाने की कवायद राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) और भारतीय रेल मंत्रालय के साझा प्रयासों से संभव हो सकी।

शानदार सफर की शुरुआत

25 जनवरी 1982 को ”पैलेस ऑन व्हील्स” ने अपने शानदार सफर की शुरुआत उन्हीं ‘रॉयल सैलून्स’ के साथ की। इस तरह उसने उसी शाही अंदाज को फिर से जिंदा कर दिया, जिस अंदाज में कभी राजा-महाराजा सफर किया करते थे। इसने दौड़ती रेलगाड़ी में पांच सितारा होटलों जैसी विलासिता और ऐशो-आराम वाले सफर को मूर्तरूप दिया। रॉयल सैलून्स की पुरानी विरासत को भी ज्यों का त्यों संजोये रखा गया। यह ट्रेन 1993 तक ‘मीटरगेज’ पर चली। देश में बड़ी रेल लाइनों के बढ़ते जाल से राजस्थान भी अछूता नहीं रहा और 1994 में करीब 22 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ नई शान-शौकत और भव्यता के साथ ‘ब्रोडगेज’ पर दौड़ने लगी।

यह रेलगाड़ी अब तक अपने लगभग 746 फेरों में करीब 50 हजार से भी अधिक सैलानियों को राजस्थान के ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों, वन और पक्षी अभयारण्यों के अलावा विश्व के आश्चर्यो में शुमार ताजमहल का भ्रमण करवाने के साथ ही 200 करोड़ से भी अधिक की कमाई कर चुकी है। 104 यात्रियों की क्षमता से युक्त इस ट्रेन में 14 डीलक्स सैलून हैं जिनके नाम पूर्व रियासतों अलवर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जयपुर, झालावाड़, जोधपुर, किशनगढ़, कोटा, सिरोही और उदयपुर के नाम पर रखे गए हैं।

महाराजा और महारानी

इसके अलावा ट्रेन में दो खूबसूरत रेस्तरां ‘महाराजा और महारानी’ और एक ‘रिसेप्शन कम बार लॉज’ भी है। प्रत्येक सैलून के साथ एक छोटे लांज की सुविधा भी है जिसमें पर्यटक अपने हमराही सैलानियों से मित्रता बढ़ाने के साथ ही पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन और विभिन्न आमोद-प्रमोद की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। प्रत्येक सैलून के साथ टॉयलेट, गर्म पानी और अन्य सुविधाओं से युक्त बाथरूम और बच्चों की अलग शैयाएं आदि उपलब्ध हैं। सैलानियों की जरूरतों की देखरेख के लिए एक राजस्थानी अंदाज का खिदमतगार भी मौजूद रहता है। ट्रेन के हर सैलून को राजस्थानी अंदाज से सजाया संवारा गया है। इनमें इंटरकाम, टीवी, म्यूजिक, मिनरल वाटर की सुविधाएं भी है। रेस्तरां में कोटिनेंटल, चाइनीज, इंडियन, राजस्थानी व्यंजनों के स्वाद पर्यटकों के सफर का आनंद चौगुना करते हैं।

एक सप्ताह का स्वर्ग

‘पैलेस ऑन व्हीलस’ में एक सप्ताह के सफर के अनुभव को ‘स्वर्ग सी यात्रा’ का विशेषण देना अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह गाड़ी सितंबर से लेकर अप्रैल तक के आठ महीनों में हर बुधवार की शाम पौने छह बजे दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना होती है। राजसी अगवानी के साथ सैलानियों की यात्रा शुरू होती है। पहले यह यात्रा दिल्ली कैंट से शुरू होती थी, लेकिन पर्यटकों की सुविधा की दृष्टि से इस वर्ष से इसका स्थान बदला गया है। एक बार ट्रेन में बैठने के बाद यात्रियों को न अपने सामान की देखरेख की चिंता सताती है और न ही खाने-पीने घूमने और ऐश-आराम की चिंता, क्योंकि हर प्रकार की सुख सुविधाओं के लिए राजस्थानी वेश-भूषाओं में सजे-धजे आरटीडीसी के ‘अटेंडेंट’ (खिदमतगार) हर वक्त तैयार होते हैं।

पहले दिन दिल्ली से प्रस्थान कर पर्यटक जयपुर पहुंच कर रात्रि विश्राम करते हैं और दूसरे दिन पिंकसिटी जयपुर का भ्रमण करने के बाद तीसरे दिन जैसलमेर के सोनार किले और पंखों की हवेली, सम के धोरों पर ऊंट सफारी सैलानियों को रोमांचित करती है। चौथे दिन सूर्य नगरी जौधपुर-भ्रमण के बाद पांचवें दिन रणथंभौर टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध सवाई माधोपुर और चित्तौड़गढ़ दुर्ग उनका पड़ाव होता है। छठे दिन झीलों की नगरी उदयपुर की सैर करने के बाद अंतिम दिन विश्व धरोहर में शामिल भरतपुर घना पक्षी अभ्यारण्य और आगरा में दुनिया के सातवें अजूबे ‘ताजमहल’ का भ्रमण कर सैलानी फिर से नई दिल्ली पहुंचते हैं। हनीमून जोड़ों के लिए ही नहीं हर उम्र के पर्यटकों के लिए दौड़ती रेलगाड़ी में पांच सितारा होटलों जैसी विलासिता के चरम आनंद की अनुभूति सैलानियों के लिए जीवन की एक अविस्मरणीय यात्रा बन जाती है।

और बात किराये की

ट्रेन में एक व्यक्ति का किराया 535 अमेरिकन डॉलर करीब प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से पूरी यात्रा का किराया करीब 1.70 लाख रुपये (भारतीय मूल्य में) है। यदि आप जोड़े सहित हैं तो यह राशि 385 डॉलर प्रतिदिन (यानि एक सप्ताह का भारतीय करेंसी से लगभग 1.21 लाख रुपये) और तीन व्यक्तियों पर यह किराया 315 डॉलर प्रतिदिन की दर से एक सप्ताह का 99 हजार रुपये से कुछ अधिक होता है। 5 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए आधा किराया है। देशी पर्यटकों की दृष्टि से बहुत महंगी ट्रेन होने के बावजूद इस ट्रेन की लोकप्रियता खास कर विदेशी पर्यटकों में इस कदर है कि अगले कई वर्षो के लिए यह शाही रेल एडवांस में बुक हो चुकी है। ट्रेन की इसी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए ‘पैलेस ऑन व्हील्स- द्वितीय’ लांच की जा रही है। दोनों ट्रेनों में इंटरनेट, सेटेलाइट फोन, एटीएम, ब्यूटी पार्लर, जिम आदि अनेकों नई सुविधाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है।

नई पैलेस ऑन व्हील्स में हर सेलून को लग्जरी सूट्स में बदलने का भी प्रस्ताव है ताकि सैलानियों को और अधिक ऐशो-आराम और सुविधाएं मिल सकेगी। भले ही इन ट्रेनों की यात्रा काफी महंगी हो लेकिन हालत यह है कि इनकी बुकिंग काफी पहले करानी होती है क्योंकि खास तौर पर विदेशी पर्यटकों में ये ट्रेनें काफी लोकप्रिय हैं। फिर जो देशी पर्यटक साल में दो-ढाई लाख रुपये किसी विदेश यात्रा पर खर्च कर सकते हैं, उनके लिए भी साल में एक यात्रा इन राजसी ट्रेनों की करना मुनासिब हो सकता है। आलम यह है कि पैलेस ऑन व्हील्स में तो 2010 तक के लिए बुकिंग कराई जा चुकी है।

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