नैसर्गिक सौन्दर्य से मालामाल है रानीखेत

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प्रकृति ने रानीखेत को नैसगिक सौन्दर्य की अनुपम भेट से मालामाल करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। चारों और फैली हरियाली यहां आने वाले को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।

प्रकृति प्रेमी  के लिए प्राकृतिक वैभव जैसा रानीखेत में है दूसरे स्थानों में ऐसा कम ही  देखने को मिलता है। 1800 से 2200 मीटर की ऊंचाई पर बसा रानीखेत जहां सैलानियों को अपनी प्राकृतिक छटा से अभिभूत करता है वहीं धार्मिक पर्यटन की भी यहां कमी नहीं है। आध्यात्म की क्षुधा शान्त करने के लिए यहां सात सौ वर्ष प्राचीन माँ झूला देवी का मन्दिर है वहीं पौराणिक महत्व का दूनागिरी मन्दिर व पाण्डूखोली जैसे मनोहारी छटाओं से परिपूर्ण देवस्थल है।

दर्शनीय स्थलों की भरमार

विश्र्वविख्यात चौबटिया फल उद्यान,एशिया में अपना प्रमुख स्थान रखने वाला प्राकृतिक गोल्फ ग्राउन्ड,हॉल के वर्षो में बना हैड़ाखान का मन्दिर,भालू डैम,विनसर महादेव, काली मॉ का मन्दिर, ऐतिहासिक शस्त्रों को संजोए सेना का संग्रहालय तथा छावनी परिषद द्वारा हाल ही में बनाए गए आशियाना पार्क, दोनों ओर के प्रवेश द्वारों में निर्माणाधीन विजय चौक,विजय द्वार,कुमाऊं रेजिमेन्ट के सैनिकों की शौर्य गाथा समेटे सोमनाथ ग्राउन्ड यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शुमार है। यही नही आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होटल भी यहां कम नहीं है। रानीखेत का प्राकृतिक लुत्फ उठाने वाले सैलानियों को वर्ष के मार्च से जून व नवम्बर से जनवरी तक मौसम विशेष तौर से मुफीद होता है।

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