सिक्किम मानो स्वर्ग का एक्सटेंशन है

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मैं बचपन से काफी आउटगोइंग स्वभाव की रही हूं। बिंदासपन शायद मेरे लिए गॉडगिफ्टेड है। ट्रैवल व टूरिज्म, माउंटेन ट्रैकिंग, डिबेट- हर चीज में मैं अव्वल आती रही हूं । कोलकाता सिटी में मध्यम वर्गीय परिवार में मेरा बचपन बीता। मेरे माता-पिता ने मेरी और मेरे बहनों की परवरिश काफी खुले विचारों वाले माहौल में की। मैं 8-9 साल की उम्र से ही पर्वतारोहण के लिए जाने लगी थी। सच तो यही है कि पर्यटन से हम फ्री होते है ..हमारे विचारों का आदान-प्रदान होता है, सांस्कृतिक लेन-देन होता है..संकुचित विचारों से हम दूर चले जाते है। हमारे भीतर जो भय छिपा होता है, उसे भी निकालने में पूरी मदद मिलती है । साहस की भावना तेजी से बढ़ती है।

पर्यटन के कई फायदे

ऐसे कई फायदे होते हैं पर्यटन पर जाने से। मैं भी निडर, साहसी बन पाई तो शायद इसका बीज कहीं न कहीं मेरे माउंटेन ट्रैकिंग के शौक में हो सकता है ..। जहां तक मैं अपने प्रिय पर्यटन स्थल की बात करूं तो वह है भारत में सिक्किम। मुझे याद है कि मैं शायद छठी कक्षा में थी तो पहली बार स्कूल कैंप की तरफ से सिक्किम गई थी, और फिर बार-बार जाती रही। हमने शायद कोलकाता से पहले रेल और फिर आगे का सफर बस से किया था। मेरे लिए सिक्किम का पहली बार दर्शन जैसे लव एट फ‌र्स्ट साइट वाली बात हो गई थी। उगते सूरज को प्रणाम करना हो तो..डूबते सूरज को प्रणाम करना हो तो..सिक्किम से बढ़कर कोई और जगह नहीं हो सकती। सामने फैले हिमालय के शिखर..आप किसी भी चोटी तले खडे़ हो.. आपके मन में यह अहसास जरूर आएगा कि आप कुदरत के सामने कुछ नहीं..आपसे बहुत बड़े हैं ये शिखर..उन्हें देखने की तीव्र इच्छाशक्ति से आप झुकते है..और दिल में जम जाता है विनम्रता का स्पर्श..।

सिक्किम में कितनी खूबसूरती भरी है। प्रकृति के लिए यह शायद पसंदीदा स्थल होगा, सुंदरता भर-भर के फैली हुई है इस जगह पर। जैसे यह भूमि न हो स्वर्ग का एक्सटेंशन हो..। मैं जब भी, जितनी बार भी सिक्किम जाती हूं, मुझे हर बार यहां की सुंदरता अलग महसूस होती है। हर बार लगता है जैसे यह जगह मुझसे कुछ कह रही है। मेरी शांति की तलाश इस स्थान पर आकर जैसे खत्म हो जाती है। मुझे स्विट्जरलैंड या पेरिस जाने की जरूरत नहीं पड़ती ।

सिक्किम की वादियों से मुझे सकारात्मक नजरिया भी हासिल होता है। यहां का लोक जीवन तक मुझे आकर्षित करता है। सिक्किम के बच्चे इतने खूबसूरत हैं कि उन्हें प्यार-दुलार किए बिना आपसे रहा नहीं जाएगा..उनके लाल-लाल टमाटर जैसे गाल, छोटी-छोटी आंखें..और गोरा चिट्टा रंग ..कितने प्यारे होते है यह बच्चे। यहां के लोग बेहद संवेदनशील होते है। मैं सिक्किम को इन सभी कारणों से चाहती हूं। यहां से लौटने के बाद मुझे अपने काम में, जीवन में बेहद ताजगी का अहसास होता    है..।

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