बढ़ रहा है सैर-सपाटे का शौक

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सोने का अंडा देने वाली मुर्गी

भारत में विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए चाहे जितनी मुसीबतें गिनाई जाती रहें, लेकिन हकीकत यह है कि विदेशी पर्यटकों से होने वाली औसत आय में भारत का स्थान फ्रांस से भी ऊंचा है। आंकड़े कहते हैं कि भारत हर विदेशी पर्यटक से औसतन 65, 085 रुपये कमाता है जो फ्रांस के मुकाबले तीन गुना और 37,570 रुपये के विश्व औसत का लगभग दोगुना है। लेकिन इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है कि भारत भौगोलिक दृष्टि से बड़ा देश है और यहां पर्यटकों के लिए आकर्षण भी विविध तरह के हैं। लेकिन इस सुखद स्थिति में एक खतरा भी निहित है। कमाई के इस जरिये को भुनाने के चक्कर में पर्यटन उद्योग से जुड़ी विभिन्न सेवाएं अपने दाम बढ़ा रही हैं। इसके चलते भविष्य में नुकसान उठाना पड़ सकता है पर्यटक चीन व सिंगापुर जैसी जगहों का मुंह कर सकते हैं जो सस्ती सेवाएं पेश कर रही हैं। जाहिर है, तब ये जो आय का आंकड़ा हमारे पक्ष में है, वह हमारे खिलाफ हो जाएगा। इसलिए जरूरत सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को हलाल करने की नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने की है कि वह लंबे समय तक सोने का अंडा देती रहे।

हाल यह है कि भारत में होटल का अधिकतम औसत किराया जहां 8500 रुपये है वहीं चीन में यह 6250 रुपये और सिंगापुर में महज 5500 रुपये है। अकेले शंघाई में 135,000 कमरे पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं जबकि पूरे भारत में इनकी संख्या महज 105,000 है। हमारी राजधानी दिल्ली से भी आकार में छोटे सिंगापुर में 48,000 कमरे उपलब्ध हैं पर्यटकों की संख्या के मामले में भी चीन व सिंगापुर भारत के लिए चुनौती हैं। बित्ते से सिंगापुर में पूरे भारत में सालभर में आने वाले पर्यटकों की संख्या के बराबर टूरिस्ट आ जाते हैं। वहीं चीन में तो हमसे दस गुना ज्यादा पर्यटक पहुंचत हैं। इसलिए आय का झुनझुना बहुत दिन बजने वाला नहीं है।

ख्वाजा का उर्स

ख्वाजा गरीब नवाज के विसाल की याद में मनाए जाने वाले छह दिवसीय उर्स के दौरान देश-विदेश से लाखों जायरीन हर वर्ष यहां मौजूद उनकी विश्वविख्यात दरगाह के आस्थाने शरीफ में व्यक्तिगत रूप से हाजिरी देने आते हैं और मजार पर मखमली चादर चढ़ाने के बाद अकीदत के फूल पेश कर मन्नते मांगते हैं।

मॉरीशस जाने वाले भारतीयों में इजाफा

मॉरीशस से भारतीयों का जुड़ाव बहुत पुराना है और यह लगातार बढ़ ही रहा है। वहां जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या भी इस बात की ओर इंगित करती है। आंकड़े कहते हैं कि पिछले साल 37,498 भारतीय पर्यटक मॉरीशस गए। उससे पिछले साल की तुलना में उनकी संख्या में 26 फीसदी का इजाफा हुआ। भारतीयों के मॉरीशस जाने के पीछे की वजहों में वहां की प्राकृतिक खूबसूरती, भारत से नजदीकी, घर जैसा माहौल तो प्रमुख हैं हीं। वहां का पर्यटन विभाग मानता है कि वहां पहुंचने पर साठ दिन का वीजा मिलने की सुविधा और ईसीएनआर क्लीयरेंस से छूट भी लोगों को मॉरीशस जाने के लिए प्रेरित करते हैं। पर्यटकों की इस संख्या में और इजाफा करने के इरादे से वहां के टूरिज्म प्रोमोशन अथॉरिटी ने कोलकाता, दिल्ली व मुंबई में मॉरीशस लक्जूरियस वेकेशंस अभियान भी छेड़ा है ताकि भारतीयों को नई सहूलियतों के बारे में अवगत कराया जा सके।

जापान सरल करेगा वीजा नियम

एशियाई देशों के बीच संपर्क और द्विपक्षीय समझ बढ़ाने के मकसद से जापान भारतीय सैलानियों के लिए वीजा नियमों को सरल बनाएगा। यह द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के इरादे से मनाए जा रहे जापान-भारत पर्यटन आदान-प्रदान वर्ष 2007 का हिस्सा है। जापान व भारत के बीच राजनीतिक, आर्थिक व सुरक्षा क्षेत्रों में बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए दोनों देशों की सरकार लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने को लेकर बेहद गंभीर है। जापान राष्ट्रीय पर्यटन संगठन इस बात को लेकर आश्वस्त है कि इतिहास और संस्कृति को सकारात्मक रूप से पेश करने से द्विपक्षीय समझ और आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। जापान अप्रैल में दक्षिण एशिया यात्रा और पर्यटन आदान-प्रदान कार्यक्रम में शरीक हुआ था और बदले में भारत सितंबर में होने वाले व‌र्ल्ड ट्रैवल फेयर कार्यक्रम में भाग लेगा।

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