खिलौना गाड़ी का मजेदार सफर

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आपने रेलयात्राएं खूब की होंगी, लेकिन सिर्फ पर्यटन या मनोरंजन के लिए भी रेल यात्रा की जा सकती है, इसका पता आपको दार्जिलिंग की खिलौना गाड़ी (ट्वाय ट्रेन) में सफर करके ही चल सकता है। सौ वर्षो से अधिक समय से दार्जिलिंग की पहचान बनी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को अब यूनेस्को ने विश्वविरासत भी घोषित कर दिया है। खिलौना गाड़ी का सफर अपने-आपमें रोमांचक और यादगार अनुभव है। यह ट्वॉय ट्रेन पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलती है। 4 जुलाई 1881 को पहली बार छोटे से नीले रंग के छुक-छुक करते इंजन ने यह सफर शुरू किया था। लगभग सवा सौ साल के इसके सफर में वैसे तो दुनिया ने कई रंग बदले, पर ट्वॉय ट्रेन का रंग वही है और पर्यटकों के मन में इसके लिए वही आकर्षण है जो पहले था। न्यू जलपाईगुड़ी व दार्जिलिंग दोनों जगहों से यह ट्रेन सुबह विपरीत स्थानों के लिए सफर शुरू करती है। इसके छोटे से भाप वाले इंजन का वजन 14 टन है। यात्रियों की संख्या के अनुसार इसमें नीले रंग के तीन या चार डिब्बे लगते हैं। डिब्बों की सीटों का रंग भी नीला है। इसके लिए बिछाई गई पटरियों की चौड़ाई दो फुट है और इसे दुनिया की सबसे संकरी पटरी होने का भी गौरव प्राप्त है।

सुहाने सफर का मजा

न्यू जलपाईगुड़ी से यह ट्रेन धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। भीड़भाड़ वाले शहर से गुजरते हुए पहला स्टेशन सिलीगुड़ी आता है। यहां तक का रास्ता सपाट और हरियाली से भरा है। दोनों ओर चाय के बाग और हरे-भरे पेड़ हैं। इसके बाद पहाड़ पर चढ़ाई शुरू हो जाती है। रास्ते में दोनों ओर गहरी घाटियां व एक-दूसरे से ऊपर जाने की होड़ करते चक्करदार पहाड़। ठंडी हवाएं और हरियाली की अनंत श्रृंखला। जैसे-जैसे ट्रेन इस चक्करदार रास्ते से गुजरते ऊपर बढ़ती है काले, सफेद, नीले व स्लेटी बादल आपके और करीब आते जाते हैं। हरे-भरे पेड़ों की झलक व बादल सौंदर्य का विस्मयकारी संसार बुनते हैं। ट्रेन की गति इतनी ही रहती है कि पटरी के बगल में खाई न हो तो ट्रेन से उतरकर थोड़ा टहलकर आप फिर से चढ़ सकते हैं। दोनों ओर से 12 स्टेशन, पुल व पहाड़ पार करके 88 किमी का सफर यह करीब आठ घंटे में पूरा करती है।

वैसे यह रेल लाइन न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग जा रही सड़क से एकदम वैसे ही गुंथी हुई है जैसे किसी विशाल वृक्ष से लताएं गुंथी रहती हैं। इसका कारण यही है कि दार्जिलिंग जाने के लिए पहाड़ पर जो सड़क है वह इतनी चौड़ी नहीं है कि वहां अलग से कुछ नया रास्ता बनाया जा सके। इसकी पटरी इतनी संकरी रखने का यही कारण था। सड़क से गुंथे होने से सड़क पर चलते वाहनों व ट्रेन ड्राइवर के बीच अच्छा सामंजस्य बना रहता है। कहीं सड़क के वाहन इसकी छुक-छुक की आवाज सुनकर रुक जाते हैं, तो कहीं वाहनों का काफिला देखकर ट्रेन का ड्राइवर ही ब्रेक लगा देता है। पूरे रास्ते पर कहीं कोई फाटक भी नहीं है। दार्जिलिंग से करीब पांच किमी पहले अंग्रेजी के यू अक्षर की तरह बने बतासिया लूप पर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं। यह लूप भी इंजीनियरिंग का चमत्कार ही है। पहाड़ों के बीच नीचे से ऊपर आती लाइन एकदम झूले जैसी ही है।

रोमांचित करती हैं खतरनाक मोड़ व सुरंगें

रास्ते में कई जगह खतरनाक मोड़ व सुरंगें भी हैं, जो आपको रोमांचित कर देंगी। दार्जिलिंग से ठीक पहले वाला स्टेशन है घुम। करीब सात हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित घुम दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा स्टेशन है। घुम के बाद बस दो-ढाई सौ फुट नीचे कुछ किमी चलकर दार्जिलिंग आ जाता है। अगर आप यह पूरी यात्रा न करना चाहें तो पर्यटकों के लिए घुम और दार्जिलिंग के बीच चलने वाली पर्यटक स्पेशल ट्रेन में भी यात्रा कर सकते हैं। यह भी आपको वही रोमांचक अनुभव देगी जो पूरी यात्रा में मिलता है। इस अद्वितीय यात्रा में रास्ते भर हरे-भरे पेड़ों की अंतहीन श्रृंखला, बादलों का स्पर्श व प्रकृति की असीम सुंदरता मन मोह लेती है। दार्जिलिंग अपने आपमें सुंदर कस्बा तो है ही, यहां तक पहुंचाने वाली ट्वॉय ट्रेन भी कम दर्शनीय नहीं है। बॉलीवुड के लोगों के लिए भी यह प्रमुख आकर्षण रही है। फिल्म ‘आराधना’ के गाने ‘मेरे सपनों की रानी कब.’ और ‘झुक गया आसमां’  के गाने ‘कौन है जो सपनों में आया’ सहित सैकड़ों फिल्मों में इस ट्रेन की झलक आपने देखी होगी। लेकिन फिल्में अगर, अगर आप जा सकें तो इस ट्रेन पर सफर जरूर करें।

ऐसे पहुंचें न्यू जलपाईगुड़ी

दिल्ली, कानपुर, इलाहाबाद से न्यू जलपाईगुड़ी ट्रेन मार्ग से सीधा जुड़ा है। देश के प्रमुख शहरों से यहां के बागडोगरा हवाई अड्डे के लिए सीधी विमान सेवा भी उपलब्ध है। आ गया मौसम-आमतौर पर यहां मौसम ठंडा रहता है, इसलिए मई-जून में भी हलके गर्म कपड़े की जरूरत पड़ सकती है। 15 जून के बाद बारिश शुरू हो जाती है। पूरे बरसात के मौसम में यहां आना सुविधाजनक नहीं रहेगा। हां, सर्दियों के मौसम में जाएं तो भारी गर्म कपड़े जरूर ले जाएं। सर्वश्रेष्ठ मौसम फरवरी से मई के बीच और बाद में सितंबर अंत से नवंबर तक। न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग दोनों ही जगहों पर मध्यम और अच्छे स्तर के होटल हैं। हां, गर्मियों के मौसम में इनके किराए कुछ ज्यादा जरूर हो सकते हैं। फिर भी बजट में आने वाले काफी होटल हैं। यहां खरीदारी के लिए अच्छी किस्म की चाय, हाथ से बुने ऊनी वस्त्र, स्थानीय दस्तकारी की चीजें उपलब्ध हैं।

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