आम है सौदेबाजी का रिवाज

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अनन्नास, गन्ने, चाय और धान की फसलें उगाने वाली ताईवान की धरती की उर्वरता ही वर्षो तक तमाम आक्रांताओं की आंख की किरकिरी बनी रही। लेकिन अब इसे इन चीजों के लिए नहीं, बल्कि नवीनतम तकनीकी और  नई डिजाइन के परिधानों के लिए जाना जाता है। बाजार यहां कई तरह के हैं। सुविधासंपन्न मॉल्स से लेकर निम्न मध्यवर्गीय कस्बाई बाजार और साप्ताहिक हाट भी यहां लगते हैं। आज यह देश विश्वस्तरीय साइकिलों, प्लास्टिक उत्पादों, रासायनिक पदार्थो, वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उच्च गुणवत्ता वाले कागज उद्योग के निर्यात के बलबूते अरबों अमेरिकी डॉलर की मुद्रा कमा रहा है। 70 के दशक तक केवल कृषि उत्पादों के दम पर चलने वाले इस देश की अर्थव्यवस्था का यह आलम है कि आज उसका विदेशी मुद्रा भंडार जापान के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है।

लैपटॉप और सेलफोन के लिए सेमीकंडक्टर्स बनाने वाले इस देश की पौने तीन सौ कंपनियों में 75000 से अधिक लोग सेवाएं दे रहे हैं। सस्ते मानवीय श्रम वाले ताईवान में ज्यादातर सैलानी सस्ती और नई तकनीक वाली आकर्षक चीजों की खरीद के चाव में ही आते हैं। खरीद-फरोख्त खुद ताईवानवासियों का राष्ट्रीय शौक भी है। युवा पीढ़ी की नाजुक नफीस चप्पलें, घडि़यां, चमड़े की जैकेट और फैशनेबल परिधानों की दुकानों की यहां अच्छी-खासी तादाद है। मध्यवर्गीय दुकानों का संचालन ज्यादातर ताईवानी महिलाएं करती हैं। यहां की दुकानों में सौदेबाजी का रिवाज आम है। ताइपेई में जेड की ज्वेलरी और सजावटी सामानों के अतिरिक्त फूलों के साप्ताहिक हाटों के दिन नियत हैं।

पारंपरिक औषधियां और एंटीक वस्तुएं

ताइपेई रेल स्टेशन के निकट तिहुआ स्ट्रीट का पुराना बाजार चीनी पारंपरिक औषधियों और एंटीक वस्तुओं की बिकवाली का केंद्र है। फिर भी तीन मंजिले शासकीय चाइनीज हैंडीक्राफ्ट मार्केट से प्रामाणिक वस्तुओं की खरीदारी ही सैलानियों के लिए सर्वथा उपयुक्त है। खरीदारों के लिए नवनिर्मित 101 मंजिली इमारत जो कि 1671 फीट ऊंची है, भी आकर्षण का केंद्र है। विश्व की सबसे ऊंची इमारतों की फेहरिस्त में शीर्ष पर आसीन यह वन नॉट वन नाम की इमारत कुआलालम्पुर के पेट्रानॉज टॉवर से भी 183 फीट ऊंची है।

नाइट मार्केट

ताईवानी जीवनशैली की खासियत हैं नाइट मार्केट। सूरज ढलते ही इन बाजारों की रौनक परवान चढ़ने लगती है। वैसे तो ये बाजार ताईवान के हर शहर का हिस्सा होते हें पर राजधानी ताइपेई का शिहलिन नाइट मार्केट सबका सरताज है, 100 साल से भी ज्यादा पुराना यह बाजार भीड़ भरी सड़कों और गलियों का मकड़जाल है। इसमें फेरीवाले से लेकर बीचों-बीच सड़क पर चादर बिछाकर ढेरियां लगाये विक्रेताओं की कतारें होती हैं। यों तो इन बाजारों में जूतों, टी-शर्टो, पेंओं और कुत्ते के पिल्लों से लेकर सब कुछ बिकता है पर असली ग्राहक तो यहां बत्तख की जीभ, मुर्गी के पंजे और सिंकी हुई मछलियों की तलाश में आते हैं। यहां भाप में पकाये सांप के गोश्त, प्यालियों में बिकते सांप के सूप को देखकर हमारी तरह आप भी एकबारगी ठिठक ही जाएंगे।

यहां की सांप गली में कोबरा से लेकर किस्म-किस्म की प्रजातियों के जिंदा अथवा मृत सांपों को मर्तबान में बिकते देखा जा सकता है, चीनी संस्कृति में पारंपरिक दवा इलाज में सांपों का उपयोग तरह-तरह के काढ़ों में होता है। यहां के रहवासियों में कन्फयूशियस के अनुयायी शामिल हैं तो ताओ सम्प्रदाय के मानने वाले भी, बौद्धों की संख्या तो यहां सर्वाधिक है। इसीलिए मांसाहारियों के इस देश में निरामिष भोजन के अभिलाषियों के लिए बौद्ध भिक्षुओं की भोजशालाएं सर्वाधिक उपयुक्त ठिकाना हैं। खुद को उदारमना यानी जेइचिंग कहलाने वाले ताईवानी जी भर कर सत्कार करने में माहिर हैं। ये लोग भोजनोपरांत चाय परोसते हैं जो इस बात का संकेत होता है कि अब विदा की घड़ी आ गई है।

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