रोवोस रेल: शानो-शौकत से अफ्रीकी नजारे

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बीती सदी के अस्सी के दशक के आखिरी सालों में एक दक्षिण अफ्रीकी रेल उत्साही रोहन वोस ने पुराने भाप के इंजनों और डिब्बों को खरीदना और उन्हें सहेजना शुरू किया। जमा-पूंजी बढ़ी तो आज वह रोवोस रेल नाम की लग्जरी ट्रेन कंपनी के मालिक हैं। रोवोस रेल के पास अफ्रीका का सबसे विशाल टूरिस्ट रेल नेटवर्क है। पुराने डिब्बों में अब राजसी रौनक है। एडवर्ड काल की आंतरिक सज्जा, 1920 के दौर जैसी ऑब्जर्वेशन कार, लकड़ी के स्तंभों से सजी डाइनिंग कारें, तीन तरह के सोने के कूपे, हर कूपे में मिनिबार और चौबीस घंटे के लिए खिदमतगार-ये सारी बातें एक बेहद आलीशान सफर की दास्तान लिखती हैं। आलीशान केवल पांच सितारा सुविधाओं के चलते नहीं बल्कि इसलिए भी कि ये ट्रेन अफ्रीका के कई इलाकों के बेहद दिलकश, रोमांचक और दुर्लभ प्राकृतिक नजारे दिखलाती है। इसीलिए इसका नाम भी प्राइड ऑफ अफ्रीका रखा गया है। रोवोस रेल की शुरुआत 1989 में हुई थी। उसके बाद से उसने लग्जरी ट्रेन यात्राओं के क्षेत्र में नित नए मापदंड स्थापित किए हैं। प्रीटोरिया का कैपिटल पार्क स्टेशन और लोकोमोटिव यार्ड इस निजी रेल कंपनी की सारी गतिविधियों का संचालन केंद्र है। ट्रेन दो हैं और सफर भी कई हैं। हर ट्रेन में 36 आलीशान कम्पार्टमेंटों में अधिकतम 72 सैलानी सफर कर सकते हैं।
भूली -बिसरी दास्तां

कंपनी के पास बीस डिब्बों और 72 शायिकाओं वाली दो ट्रेनें हैं। दोनों ट्रेनें अलग-अलग सफर पर रहती हैं। वहीं 13 डिब्बों और 42 शायिकाओं वाली तीसरी ट्रेन पूरे सालभर चार्टर के लिए उपलब्ध रहती है। हर इंजन और डिब्बे की अपनी अलग कहानी है। इनमें से कुछ 1911 के यूरोप में बने हैं जहां से उन्हें धरती के दूसरे सिरे पर अफ्रीका में ले जाया गया। कुछ डिब्बे राजसी शान के प्रतीक रहे तो कुछ खास गाडि़यों में रेस्तराओं के तौर पर इस्तेमाल में आते रहे। कुछ अभागे ऐसे भी रहे जो तमाम चकाचौंध से दूर यार्ड में धूल फांकते रहे। जैसे कि डाइनिंग कार शंगानी 1924 की बनी है और यह जोहानेसबर्ग के निकट एल्बर्टन में कहीं धूल फांकती पाई गई। इसे 1986 में रोवोस रेल ने अपने कब्जे में लिया। लेकिन अब ये सारे एक नई राजसी शान का हिस्सा हैं। बड़ी मेहनत से इन सारे डिब्बों को फिर से पुरानी शान दी गई। लकड़ी का वही काम जो उन्हें आज के दौर से अलग करता है। हर ट्रेन में 42-42 सीटों वाली दो डाइनिंग कार हैं और एक नो स्मोकिंग ऑब्जर्वेशन कार। ट्रेन के बीच में एक लाउंज कार है, जहां गिफ्ट शॉप भी है। लेकिन पुराने जमाने का ही अहसास दिलाने वाली एक बात और है कि पूरी ट्रेन में कोई रेडियो या टीवी सेट नहीं है।

ट्रेन में भीतर जाने पर आपको उसका वातानुकूलित कम्पार्टमेंट होटल के किसी कमरे जैसा लगेगा। हर स्यूट में आपकी पसंद के अनुरूप दो अलग-अलग बिस्तर भी हो सकते हैं और एक डबल बेड भी। हर स्यूट में लिखने-पढ़ने की सुविधा है, मिनीबार और साथ ही अत्याधुनिक फिटिंग लेकिन पारंपरिक शैली वाला बाथरूम भी। स्यूट तीन तरह के हैं। एक रॉयल स्यूट लगभग आधे डिब्बे के बराबर होता है। उसका अपना लाउंज और विशालकाय विक्टोरिया शैली का बाथरूम होता है। डीलक्स और पुलमैन स्यूट में बाथरूम तो एक जैसे ही होते हैं लेकिन डीलक्स स्यूट में लाउंज एरिया अलग होता है। पुलमैन स्यूट में बिस्तर बंक की तरह ऊपर-नीचे भी हो सकते हैं और दंपतियों के लिए डबल बेड के तौर पर भी। दिन में ये बिस्तर बैठने के सोफे में तब्दील हो जाते हैं। खान-पान के मामले में हर तरह की विविधता मिलेगी और स्थानीय पकवानों का खास स्वाद। चूंकि इस ट्रेन की कुछ यात्राएं खासी लंबी हैं, इसलिए खाने-पीने के मामले में भी अलग-अलग मांसाहारी व शाकाहारी व्यंजनों के स्वाद चखने को मिल जाते हैं। सवेरे के नाश्ते, दोपहर के खाने और रात के खाने में माहौल भी अलग-अलग हो जाते हैं।

दर और सफर

रोवोस रेल दो मुख्य रास्तों पर चलती है- केपटाउन से प्रीटोरिया जो दो रातों और तीन दिन का सफर है। दूसरा व मुख्य सफर केपटाउन से जिंबाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स तक छह दिन व पांच रात का है। दोनों रास्तों पर वापसी का सफर भी उसी ट्रेन से करना हो तो समय दोगुना कर लीजिए। केपटाउन से प्रीटोरिया जाने के रास्ते में पहले दिन मैजिसफोंटेन के ऐतिहासिक गांव को देखते हैं। दूसरे दिन किम्बरले में बिग होल व डायमंड म्यूजियम घूमते हैं और तीसरे दिन प्रीटोरिया के कैपिटल पार्क स्टेशन पहुंचते हैं। वहीं विश्व प्रसिद्ध विक्टोरिया फॉल्स के रास्ते पर पहले तीन दिन तो प्रीटोरिया तक वही रास्ता है। उसके बाद ट्रेन माफिकेंग और जिंबाब्वे में बुलावायो होते हुए जिंबाब्वे-जांबिया की सीमा पर स्थित विक्टोरिया फॉल्स पहुंचती है। इसके अलावा केपटाउन से जॉर्ज और प्रीटोरिया से डरबन के रास्ते पर भी ट्रेन चलती है। इन नियमित यात्राओं के लिए भी हर महीने तारीखें तय हैं। इसके अलावा कुछ सालाना ट्रिप भी खास तौर पर चलती हैं जो दार-ए-सलाम, गोल्फ सफारी, एयर सफारी वगैरह के रूप में होती हैं। तारीखें इनकी भी तय हैं। दरें महंगी लगती हैं लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि यह लग्जरी ट्रेन है। केपटाउन से प्रीटोरिया तक सबसे सस्ते पुलमैन स्यूट में एक व्यक्ति का किराया 9860 अफ्रीकी रैंड यानि लगभग साढ़े चौवन हजार रुपये है। वहीं डीलक्स स्यूट के लिए यह 14720 रैंड (लगभग 81 हजार रुपये) और रॉयल स्यूट के लिए 19490 रैंड (एक लाख साढ़े सात हजार रुपये) है। केपटाउन से विक्टोरिया फॉल्स तक के सफर के लिए इन दरों को हर श्रेणी के लिए दोगुना से थोड़ा ज्यादा कर लीजिए। यात्रा की निर्धारित तारीखों और विस्तृत दरों के लिए रोवोस रेल की वेबसाइट पर जाएं।

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