श्रीलंका: समंदर का मोती

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काफी कुछ अपना-अपना सा है श्रीलंका। कहीं-कहीं भाषा और खानपान का अंतर अगर दरकिनार कर दें तो काफी कुछ हमारे देश से मिलता-जुलता है। श्रीलंका पर्यटन विभाग के न्यौते पर वहां पहुंचे भारतीय मीडिया के सदस्यों को ऐसा ही महसूस हुआ। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से श्रीलंका एयरलाइंस की फ्लाइट ने भंडारनायके एयरपोर्ट, कटनायके पहुंचने में कुल सवा तीन घंटे का वक्त लिया। हम लोगों को ठहराने की व्यवस्था बेनटोटा और बेरूवेला के होटलों में अलग-अलग की गई थी। एयरपोर्ट से होटल पहुंचने में करीब ढाई घंटे का समय भी लगा। पहले दिन होटल में विश्राम करने के साथ-साथ शाम को स्थानीय बाजारों का जायजा लिया। दूसरे दिन सुबह से ही सड़क-सड़क और गली-गली जो बौद्ध धर्म की बयार का अनुभव हुआ, उसने भारतीय धार्मिक परंपराओं की याद ताजा करा दी। दिन में कई स्थानों पर बौद्ध पूजा देखने को मिली। इन पूजाओं में ध्यान की क्रिया प्रमुख रूप से करते हुए लोग दिखाई दिए। बौद्ध आराधना में लीन प्रत्येक भक्त उस दिन श्वेत वस्त्र ही धारण किए हुए था।

मीडिया सदस्यों को भी उस दिन श्वेत वस्त्र पहनने को कहा गया था। इसी दिन दोपहर को समुद्री तट पर एक द्वीप पर मीडिया के लिए भी मेडिटेशन प्रोग्राम था। नौकाओं द्वारा इस द्वीप पर भेजा गया। लगभग 200 मीटर की ऊंचाई पर धर्मदीप मेडिटेशन सेंटर, मोरेगली के धर्मगुरु डब्ल्यू. सारानंदा थेरो ने मेडिटेशन शुरू किया। इसी स्थान पर हमको ब्लैक हर्बल टी का लुत्फ उठाने का मौका भी मिला। शाम को समुद्री तट पर यू.डी.आई. ग्राउंड में भगवान बौद्ध से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। हम सब लोग भी सुबह से इन प्रोग्रामों में शरीक होते-होते स्वयं को बौद्धमय महसूस कर रहे थे। अगले दिन हम सबकी वैन रवाना हुई गॉल फोर्ट की तरफ। डच शासकों द्वारा अपने काल में बनाए किले की इमारतों में आज भी अदालतें और सरकारी कार्यालय खुले हुए हैं। इसी स्थान पर एक प्राचीन चर्च भी देखने को मिला।

कोलंबो की ओर

इसी दिन शाम को कोलंबो में हम लोगों के लिए होटल ताज समुद्र में होटल्स एसोसियेशन की ओर से डिनर आयोजित था। दिन भर की थकान के बाद भारी मन से हम लोग कोलंबो रवाना हुए लेकिन रास्ते में लगभग दो घंटे के दौरान ऐसा भव्य, भक्तिमय, वैविध्य वातावरण देखने को मिला कि सारी थकान मिट गई। रात करीब दो बजे तक जब हम अपने बेनटोटा के होटल लौटे तो कई स्थानों पर सजावट और रंगारंग प्रोग्रामों का सिलसिला जारी दिखाई दिया। चौथे दिन भी हमको नाश्ता करने के बाद ही निकलना था। कालीबोध मंदिर देखने के बाद हम फैचरी गये। इस फैचरी में कछुओं के अंडों का संरक्षण देखा। हमारे सामने ही फैचरी के स्वामी आरनोल्ड ने तीन दिन की उम्र वाले नन्हे-नन्हे कछुओं को समुद्र में छोड़ा। इस दृश्य को देखने के लिए पर्यटकों की काफी भीड़ इस फैचरी पर दिखाई दी। शाम को हम सबका भोजन बेनटोटा में होटल ताज एक्साटिका में विशेष आमंत्रण पर था। समुद्री बीच पर शानदार प्राकृतिक समुद्री लहरों की सरसराहट के बीच हम सबने भोजन का आनंद लिया।

कैंडी का सफर

अगले दिन हमको बेनटोटा छोड़कर एक अन्य शहर कैंडी के लिए रवाना होना था। कैंडी का रास्ता बेनटोटा से करीब छह घंटे का था। रास्ते में एक टी फैक्टरी भी हम लोगों ने देखी। करीब साढ़े तीन बजे हम कैंडी पहुंचे। समुद्र तल से करीब 650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी पर हमारा होटल अमाया हिल्स था। पूरे कैंडी शहर का नजारा इस होटल की बालकनी से लिया जा सकता था। शाम को कैंडी में एक हीरों का शोरूम भी हमने देखा। अगले दिन कैंडी में 22 किलोमीटर दूर मताले नामक कस्बे में एक भव्य हिंदू मंदिर श्री मुत्तुमारिअम्मान देखने को मिला। इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा गणेश की थी। इसके अलावा इस मंदिर में सभी प्रमुख देवी-देवता विराजमान थे। इसके बाद हम दांबुला पहुंचे जहां ‘केव टेंपल’ है। तकरीबन साढ़े चार सौ सीढि़यां ऊपर एक विशाल गुफा में बौद्ध के जीवन की तमाम झांकियां हैं। इसके बाद कैंडी लेक, व्यू पाइंट आदि स्थानों पर होते हुए हम ‘टुथ टेंपल’ पहंुचे। इसी मंदिर के निकट एक ऑडिटोरियम में एक घंटे का श्रीलंकाई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा जो केवल पर्यटकों के लिए आयोजित होता है। अगले दिन हमको कैंडी छोड़कर कोलंबो रवाना होना था। रास्ते में हम पीनावाला स्थित ‘हाथी पार्क’ में रुके जहां केवल दो दिन का हाथी का बच्चा भी देखने को मिला। सर्वाधिक आकर्षण यहां वो दृश्य था जब छोटे हाथियों को उनके रखवाले बोतल से दूध पिला रहे थे। पीनावाला की नदी में ही इन हाथियों को दोपहर दो बजे स्नान के लिए ले जाया गया। पानी में हाथियों की मस्ती और शरारत के अद्भुत नजारे भी यहां देखने को मिले। कोलंबो में हम लोगों को होटल माउंट लावण्या में ठहराया गया। समुद्री तट पर बने इस होटल में कभी अंग्रेज गवर्नर रहते थे। शाम को डिनर पर हमारी मुलाकात श्रीलंका पर्यटन के सहायक निदेशक अशोक परेरा और जनसंपर्क अधिकारी महिका से हुई। श्रीलंका में हमारी यह अंतिम शाम थी। समुद्री लहरों की कल-कल ध्वनि, नजदीक ही कुछ जापानी पर्यटकों की डिस्को पार्टी, समुद्र में कोलंबो का प्रतिबिंब इस शाम को यादगार बना रहा था।

वन्य जीवन

जंगली हाथी, चीते, कछुए, मोर-क्या कुछ नहीं है इस छोटे से द्वीप समूह पर। विश्व के सर्वाधिक जैव विविध धनी देशों में श्रीलंका का प्रमुख स्थान है। विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और पशु-पक्षियों से समृद्ध श्रीलंका में तेरह राष्ट्रीय पार्क और सौ से अधिक अन्य वन्य संरक्षित क्षेत्र है। यह भी माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में विश्व की पहली वाइल्ड लाइफ व‌र्ल्ड सेंचुरी यहीं बनाई गई थी। श्रीलंका के हाथी अफ्रीकी जाति की तुलना में कुछ छोटे आकार के होते हैं। कैंडी-कोलंबो मार्ग पर ‘पीनावाला एलीफेंट आरफेंज’ देखने योग्य स्थल है जहां वन विभाग विगत 30 वर्षो से हाथियों की देखभाल कर रहा है। याला नेशनल पार्क में तेंदुओं की इतनी प्रजातियां और संख्या है कि विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेंचुरी में इसकी गिनती होती है। इसके अलावा भांति-भांति के हिरन, बंदर, जंगली भैंस, गिलहरी, जंगली बिल्ली आदि यहां के जंगलों में प्रचुरता से विचरण करते दिखाई देंगे। श्रीलंका को ‘बर्ड पैराडाइज’ के रूप में भी विश्व में जाना जाता है। यदि प्राकृतिक सौंदर्य के साथ श्रीलंका को वन्य जीव और पक्षी का सर्वश्रेष्ठ केंद्र माना जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। विदित हो कि श्रीलंका के केवल छह राष्ट्रीय पार्को में रहने और खाने-पीने के लिए खूबसूरत लॉज और रेसार्ट्स बने हुए हैं जहां रहकर आप प्रकृति का लुत्फ उठा सकते हैं।

प्रमुख बीच

पर्यटन के नजरिये से अगर श्रीलंका को देखें तो लगभग एक हजार किलोमीटर से लंबा रेतीला समुद्री तट जीवन में एक नया संचार पैदा करता है। यदि मौसम के हिसाब से देखें तो नवंबर से मार्च तक पश्चिमी और दक्षिणी तटों की सुन्दरता का जवाब नहीं। वहीं अप्रैल से अक्टूबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान समुद्र बीच का मजा पूर्वी तट पर भरपूर लिया जा सकता है। यूं तो श्रीलंका में बारह महीनों तक पश्चिम, दक्षिण और पूर्वी तटों पर हजारों लोग समुद्र में डुबकी लगाते और रेत में लोट लगाते देखे जा सकते हैं।

माउंट लावण्या कोलंबो से ग्यारह किलोमीटर दक्षिण में गॉल मार्ग पर एक बीच रेसार्ट है। बताते हैं कि एक ब्रिटिश गवर्नर और एक लावण्या नामक स्थानीय लड़की के साथ प्रेम संबंधों में इस तट की गवाही थी। उसी के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा जहां इसी नाम का आज होटल भी मौजूद है।

मुख्य भोजन

स्थानीय व्यंजनों, फलों और मसालों की श्रीलंका में कहीं कमी नहीं है। श्रीलंकाई भोजन में भारतीय के साथ चीनी, अरबी और कुछ यूरोपीय देशों के खान-पान का मिश्रण भी देखा जा सकता है। आम तौर पर चावल और करी (कोई एक सब्जी) हर घर में खाया जाने वाला मुख्य पदार्थ है। इसमें सब्जी की जगह फिश या मीट ज्यादातर जगह देखने को मिलता है। सुबह का नाश्ता, लंच या डिनर मुख्य भोजन आमतौर पर इसी रूप में होता है। श्रीलंका में मसालों की प्रचुरता भी एक कारण है कि यहां व्यंजन काफी चटपटे बनाए जाते हैं। लाल मिर्च और काली मिर्च का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। श्रीलंका में एक प्रथा यह भी खास है कि पश्चिमी सभ्यता के विपरीत एक बार में ही आपको भोजन लेना है। कुछ खास अवसरों पर नारियल मिल्क और मिर्च मसाले डालकर ‘येलो राइस’ भी पकाया जाता है। इस ‘येलो राइस’ में काजू, अन्य सूखे मेवे एवं उबला हुए अंडे के पीस भी मिलाए जाते हैं। यहां मनाये जाने वाले त्यौहारों पर कभी खास तौर पर ‘कड़ी भात’ भी बनता है। लेकिन यहां ‘कड़ी भात’ का अभिप्राय: ‘दूध चावल’ से है। हालांकि सैलानियों के लिए यहां का सी-फूड भी खास आकर्षण है।

कैसे पहुंचें

श्रीलंका का प्रमुख हवाई अड्डा भंडारनायके इंटरनेशनल एयरपोर्ट ‘कटनायके’ नामक स्थान पर है। कोलंबो शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित एयरपोर्ट से विश्व के प्रमुख देशों के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। भारत में नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई से श्रीलंका की उड़ानें उपलब्ध हैं। श्रीलंका एयर लाइंस, इंडियन और जेट की उड़ानें श्रीलंका के लिए सेवा दे रही हैं। श्रीलंका में किसी भी शहर में जाने के लिए कटनायके एयरपोर्ट से सड़क मार्ग ही बेहतर विकल्प है।

कहां ठहरें

श्रीलंका जाने वाले ज्यादातर सैलानी बेरूवेला, बेनटोटा, कैंडी अथवा कोलंबो में ठहरते हैं। ‘सी बीच’ का सर्वाधिक मजा बेरूवेला और बेनटोटा में ठहरने पर मिलता है जबकि पहाड़ी सौंदर्य की अनूठी छटा कैंडी के होटलों में ठहरने से मिलती है। पाश्चात्य माहौल का लुत्फ आपको कोलंबो में मिल सकता है। गगनचुंबी इमारतों से लेकर समुद्री तट, फास्ट फूड और खरीदारी के मजे लेने हैं तो कोलंबो से बेहतर कोई जगह नहीं। पंच सितारा होटल में ताज ग्रुप का खास रोल है। बेनटोटा में ‘ताज एक्सोटिका’ और कोलंबो में ‘ताज समुद्र’ हैं। इसके अलावा इन शहरों में बेहतर और खूबसूरत होटलों की कमी नहीं है।

उपयुक्त मौसम

श्रीलंका घूमने का मजेदार मौसम अक्टूबर से अप्रैल-मई तक है। शेष दिनों में आर्द्रता का प्रतिशत अधिक रहता है। सर्दी अधिक नहीं पड़ती। गर्मियों में अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्शियस तक रहता है।

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