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इटली के बीच से पुरुष वर्जित
पुरुषों की अनचाही निगाहों से परेशान इटली की महिलाएं अब बिना किसी परेशानी के बीच पर मौजमस्ती कर सकेंगी। अब एड्रियाटिक तट पर एक बीच को पुरुषों से मुक्त घोषित कर दिया गया है यानि वहां पुरुषों का जाना वर्जित होगा। यूरोपीय बीचों पर महिलाओं का बिकनी पहनना या टॉपलेस होकर धूप सेंकना आम बात है लेकिन पुरुष आखिर पुरुष हैं। निगाहें दौड़ाने से बाज नहीं आते। जाहिर है, इससे महिलाएं भी असहज हो जाती हैं। इसलिए रिसिओने रिसॉर्ट के बीच नंबर 134 को न केवल पुरुषों के लिए बल्कि बच्चों के लिए भी वर्जित कर दिया गया है। यानि अब महिलाए वहां सुकून के पल बिता सकेंगी। बीच पर जाने की इजाजत पाने वाले पुरुषों में केवल हेयरड्रेसर व लाइफगार्ड ही हैं। बीच की देखरेख की जिम्मेदारी एक व्यवसायी फास्टो रेवेगलिया की है। उसी ने अपनी तरफ से यह नियम लागू किया है।
पर्यटन के लिए मिले कर रियायतें
देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों के अनुकूल बजट बनाया जाना चाहिए। यह मानना है फेडरेशन ऑफ होटल व रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश होटल व रेस्टोरेंट एसोसिएशन का। फेडरेशन की मांग है कि देश में कर कानूनों को भी उदार बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा पर्यटकों को पर्याप्त रियायतें भी मिलनी चाहिए। सरकारी कर्मचारियों व वेतनभोगियों को एलटीसी जैसी सहूलियतें देने से देश में पर्यटन की रफ्तार को खासा बढ़ावा मिलेगा। लेकिन चूंकि एलटीसी का फायदा आबादी के काफी कम हिस्से को ही मिल पाता है इसलिए एसोसिएशन का मानना है कि सरकार को गैर-सरकारी कर्मचारियों-पेशेवरों व व्यवसायियों को भी उनके जीवन स्तर और हैसियत के अनुरूप कुछ रियायतें देनी चाहिए। ये सभी संभावित पर्यटक हो सकते हैं। होटल व्यवसायियों का मानना है कि इससे सबकी चांदी ही चांदी है। लोग ज्यादा से ज्यादा घूमने के लिए प्रेरित होंगे। होटलों का धंधा तो चलेगा ही, सरकार की जेब में भी ज्यादा से ज्यादा राजस्व जुटेगा। एसोसिएशन का कहना है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को रियायतें देने की परंपरा कोई हाल की नहीं बल्कि सातवीं सदी में राजा हर्षवर्धन के जमाने की है। पर्यटन उद्योग वैसे भी फायदा कमाने वाले उद्योग में से है और रियायतें देने के बाद भी सरकार को घाटे की जगह फायदा ही होगा।