सोना पिघलकर पर्वत पर फैल रहा

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नेपाल की सैर पर निकलें और पोखरा न जाए तो समझिए आपकी यात्रा अधूरी है। यूं तो पूरा नेपाल ही हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं और तराई में बसा है लेकिन पोखरा का नजारा इससे कुछ अलग है। आसमान छूते पर्वतों के बीच स्थित फेवा झील यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है। झील के तीन तरफ पर्वत है तो एक तरफ मुख्य शहर के बाजार। दरअसल यह बाजार पर्यटकों के लिए ही हैं। बोटिंग करने के लिए यहां विशेष प्रबंध है। छोटी नाव से लेकर पैडल बोट तक सब कुछ है। अपनी सुविधा के अनुसार आप नावों का चयन कर सकते है। करीब एक किलोमीटर चौडी और दो किलोमीटर लंबी इस झील के बीचों बीच एक मंदिर है जो झील की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।

बोटिंग का मजा

शांत पानी में बोटिंग का मजा ही कुछ अलग है। ज्यादातर नेपाली महिलाएं ही नावों की खेवनहार है। जो अपने पारंपरिक लिबास में सैलानियों से रू-ब-रू होती हैं। झील की गहराई कहीं-कहीं 60 फुट तक है। औसतन इसकी गहराई 18 फुट तक बताई जाती है। शांत व साफ पानी में झील की गहराई का बखूबी अनुभव भी किया जा सकता है। पर्वतों से घिरी यह झील सैलानियों के आकर्षण का केंद्र तो है ही, साथ ही किसी कविमन की कल्पना को साकार रूप देने में भी सक्षम है। मौसम के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। नवंबर के अंतिम सप्ताह में भी यहां का तापमान दिल्ली के तापमान से मिलता-जुलता है। पोखरा से ही कुछ किलोमीटर दूर सारंग कोट है।

सूर्योदय का अविस्मरणीय अनुभव

सारंग कोट, वह स्थान है जहां से सूर्योदय देखना अपने आपमें एक अविस्मरणीय अनुभव है। यह अनुभव की बात है जो आपकी यादों को कभी तरोताजा करता है तो कभी आपको रोमांच से भर देता है। पर्वतों के बीच से सूर्योदय होने से पूर्व की लालिमा जैसे-जैसे विराट रूप लेती है उसी क्षण पश्चिम दिशा में स्थित बर्फ की चादर ओढे हिमालय की अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला व फिश टेल देखने में ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने पूरे पर्वत की चोटियों को रक्त चंदन का लेप लगा दिया हो। ..और जैसे ही सूरज की पहली किरण सामने स्थित पर्वतों को छूती है तो जो नजारा सामने आता है उसकी कल्पना ही की जा सकती है। ऐसा महसूस होता है जैसे सोना पिघलकर पर्वत के चारों ओर फैल रहा हो। जैसे-जैसे सूरज की किरणें फैलती है उसी के अनुसार पर्वतों का रंग बदलता रहता है।

लालिमायुक्त पर्वत कुछ ही मिनटों में फिर से बर्फ की सफेद चादरों में ढक जाता है। यहां सुबह का तापमान नवंबर के अंतिम सप्ताह में करीब 3 से 4 डिग्री का था। हालांकि पर्वतों पर चढने के कारण ठंड का बहुत ज्यादा अनुभव नहीं हुआ। दिन के समय यहां का तापमान 20 से 22 डिग्री के करीब होता है। यही कारण है कि सूर्योदय से आधा घंटे पूर्व ही यहां सैलानी आ जाते हैं। सागर कोट से सामने की फिश टेल का नजारा काफी सुखदायक होता है।

पोखरा में एक स्थान डेवीफॉल का है। यहां का नजारा भी मन को छू जाता है। हालांकि इस फॉल को देखने का आनंद गुफा के अंदर से आता है। गुफा दो भाग में हैं। प्रथम भाग में शिवजी का मंदिर है और उसके दूसरे भाग से डेवीफॉल साफ नजर आता है। गुफा की लंबाई करीब 100 मीटर है। जुलाई-अगस्त माह में गुफा पानी से भर जाती है। इस कारण यहां घूमने का उपयुक्त समय अक्टूबर से अप्रैल तक है। बारिश होने के साथ ही गुफा में पानी आना शुरू हो जाता है।

सैलानियों के लिए यहां बाजार को काफी सजाया गया है। 8-10 वर्ष पूर्व यहां बिजली नहीं होती थी। लेकिन अब यह बाजार बिल्कुल जगमग है। होटलों, रेस्तराओं में सैलानियों के लिए डिस्को व लोकनृत्य का भी प्रबंध है। बाजार भारतीय व चीनी सामान से अटा पडा है। नेपाली खुखरी लगभग सभी दुकानों पर देखने को मिल जाती है।

छोटे प्लेन से हिमालय दर्शन

काठमांडू, नेपाल की राजधानी, प्राचीन काल व आधुनिक काल दोनों के समागम का मिलता-जुलता रूप है। प्राचीन काल की धरोहरों को जहां काफी सहेज कर रखा गया है, वहीं आधुनिक काल से कदमताल करते मॉल, होटल, रेस्तरां की संख्या भी कम नहीं है।

हिंदुओं का पवित्र स्थल, पशुपति नाथ मंदिर, प्राचीनता की चादर ओढे ऐसा खूबसूरत स्थान है जहां देखने को बहुत कुछ है। पंचमुख महादेव (चार दिशा व ऊपर की ओर) की पूजा के लिए चार गेट है। मंदिर के एक तरफ बागमती नदी है। जहां कई घाट बने हुए है। मंदिर के निर्माण में उपयोग किए गए लाल पत्थर व लकडी पर नक्काशी अलग छटा प्रस्तुत करती है। गुंबद का ऊपरी हिस्सा सोना व शेष भाग चांदी का बना है। कुछ भाग में तांबे का भी उपयोग किया गया है। मंदिर को घूमने में ही डेढ से दो घंटे का समय लग जाता है।

काठमांडू का स्वयं-भू-नाथ स्थान से सूर्यास्त देखने का अलग आनंद आता है। यह स्थान भी व‌र्ल्ड हैरिटेज स्थलों में शामिल है। अन्य स्थानों में से एक वर्गाकार बख्तरपुर दरबार है। नाम के अनुरूप ही यह क्षेत्र वर्गाकार तो है ही साथ ही यहां प्राचीन काल में राजाओं के महल या मकान है, वे भी वर्गाकार है। जमीन से लेकर ऊपरी भाग तक जितनी भी मंजिल है सब वर्गाकार और लकडी के काश्तकारी कार्य से पूर्ण है।

काठमांडू जाए तो यहां के थैमल बाजार को जरूर घूमना चाहिए। यह बाजार आधुनिकीकरण व प्राचीन काल का मिश्रण है। रेस्तराओं व होटलों में आधुनिक समय के डिस्को, पब से लेकर प्राचीन काल में प्रचलित गजल व मुजरा, ऐसा समां बांधता है जो आपको मंत्रमुग्ध करने में सक्षम है।

नागर कोट यात्रा

काठमांडू से करीब 26 किलोमीटर दूर नागर कोट नेपाल के लोगों के लिए हिल स्टेशन है। चूंकि पूरा नेपाल ही एक तरह से हिल पर बसा है। इस हिल स्टेशन के बारे में आसानी से समझा जा सकता है जो नेपाल के लोगों के लिए हिल स्टेशन हो। यहां से सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा देखना असीम आनंद देता है। नागरकोट के जिस स्थान पर आप खडे हो जाए वहीं से इस तरह का नजारा आपको देखने को मिल जाता है। हालांकि नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी यहां सुबह व शाम की ही ठंड है। हिमालय दर्शन के लिए नेपाल सरकार की तरफ से विशेष व्यवस्था है। प्रत्येक आधे घंटे के अंतराल में माउंटेन व्यू प्लेन उडान लेती है। जो एक घंटे की उडान में हिमालय की आठ पर्वत श्रृंखलाओं अन्नपूर्णा, कंचन जंगा, लहोत्से, मकालू, छो-ओ-यू, धौलागिरी, मानसल पर्वत श्रृंखलाओं का दर्शन कराता है।

इसी तरह का नजारा देखने का आनंद आप पोखरा से अल्ट्रा मंकीलाइडिंग से भी ले सकते हैं। यह एक तरह से टू-सीटर हल्का प्लेन होता है जिसमें कैप्टन व आप होते है। ओपन प्लेन में उडान भरना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है। करीब आठ से नौ हजार फुट की ऊंचाई से आप हिमालय दर्शन कर सकते हैं। आधे घंटे की इस उडान में आपको कई तरह के अनुभव मिलते है।

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