सिडनी जैसा कोई नहीं

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सिडनी हवाई अड्डे पर जिस समय हम उतरे सुबह के 6 बज रहे थे। दिसंबर के दूसरे हफ्ते में सुबह-सुबह गर्मी का अहसास दिल्ली से गए किसी भी व्यक्ति को जैसा सुखद लग सकता है, मुझे भी लगा। एयरपोर्ट से हम सीधे अपने लिए पहले से तय होटल पहुंचे। हमें यहां के फोर सीजन होटल में ठहरना था। कुल 32 मंजिल की इस होटल की इमारत से पूरे शहर का विहंगम नजारा दिखाई देता था। वहां से फ्रेश होकर, नाश्ता भी करके हम लंच लेने के लिए प्लेफेयर कैफे पहुंचे और लंच लेकर करीब दो बजे शहर घूमने निकल पडे। शहर की सबसे पहली चीज जिसने हमें प्रभावित किया, वह थी सफाई व वैभव। ऑस्ट्रेलिया के इस शहर की ये वे खूबियां हैं, जो हर भारतीय को चकाचौंध कर देती हैं।

ओपेरा हाउस

सबसे पहले हमें ओपेरा हाउस ले जाया गया। यह सिडनी के सौंदर्यबोध का जीवंत प्रतीक है। तमाम दीर्घाओं वाला यह ललित कला केंद्र सिडनी आने वाले पर्यटकों का सबसे पहला आकर्षण भी है। इसके निर्माण का विचार तो पिछली सदी के 40 के दशक में बना था, लेकिन यह मूर्त रूप ले पाया अगले दशक में। सन 1955 में इसके लिए एक डिजाइन मुकाबला आयोजित किया गया। दुनिया भर के 32 देशों के वास्तुकारों से इसमें कुल मिलाकर 233 प्रविष्टियां आई। गहन विचार विमर्श के बाद इनमें से जिस एक को इसके लिए चुना गया, वह जॉर्न उट्जोन का था। डेनमार्क के इस आर्किटेक्ट को आर्किटेक्चर के मामले में दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित प्रित्जकर प्राइज 2003 में मिला और इधर 2007 में ओपेरा हाउस को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहरों की सूची में भी शामिल कर लिया गया। देखने में यह दिल्ली के लोटस टेंपल जैसा लगता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त कला केंद्रों में एक है, जहां ओपेरा से लेकर सर्कस, रॉक और कैबरे सभी तरह की प्रस्तुतियां करीब पूरे साल चलती रहती हैं और साल भर में 15 लाख से अधिक दर्शक इनका आनंद लेते हैं।

सिडनी टॉवर

करीब एक घंटे तक ओपेरा हाउस के कंसर्ट हॉल और कई थिएटर घूमने के बाद हम सिडनी टॉवर के लिए चल पडे। सिडनी आने वाला हर पर्यटक यह टॉवर देखने जरूर आता है। सिडनी का सबसे ऊंचा व्यू प्वाइंट यही है। वैसे इसे सिडनी का स्काईवॉक भी कहते हैं। यह डिजिटल युग है। इसमें दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह वास्तव में एक दिलचस्प जगह है। अंदर पहुंचते ही आपको एक हेडफोन थमाया जाता है। जिस भाषा में चाहें उसमें इसे सेट कर सकते हैं। यह आपकी भाषा में ही आपको पूरी कमेंट्री सुनाएगा और टॉवर के भीतर आगे लगे स्क्रीन्स पर चलते चित्र देख कर पूरे ऑस्ट्रेलिया के इतिहास और भूगोल की जीवंत झलक मिलती है। इसमें थ्री डी तकनीक के इस्तेमाल के कारण यह भी नहीं लगता कि आप यह सब परदे पर देख रहे हैं।

लगभग पौन घंटे तक इस ऊंचे टॉवर से भीतर-बाहर की दुनिया का जायजा लेने के बाद डार्लिग हार्बर के लिए हम चल पडे। हम भारतीयों के लिए यह वास्तव में एक आश्चर्यजनक चीज है। समुद्र पर बने इस पुल की खासियत यह है कि स्थिर होते हुए भी यह स्थिर नहीं है या फिर दोनों एक साथ है। समुद्र से जब भी कोई जहाज इधर से गुजरना होता है तो इसे घुमा दिया जाता है। जैसे ही जहाज गुजर जाता है इसे फिर से अपनी जगह सेट कर दिया जाता है और यह सागर के आर-पार मौजूद दो भूखंडों को आपस में जोडने लगता है। यह जगह भी अपने-आपमें खास है। सिडनीवासियों की सबसे पसंदीदा जगह है, जहां वे मौज-मस्ती के लिए आते हैं। यहां खाने-पीने के लिए उम्दा रेस्तरां तो हैं ही, यह क्रूज का भी खास स्टेशन है। यहां क्रूज से आप तमाम जगहों की यात्रा कर सकते हैं। यहीं के क्रूज सिडनी शोबोट में हमने डिनर लिया। डिनर लेते हुए हम यहां के मनोरंजक कार्यक्रम भी देखते रहे। डिनर लेने के बाद रात के दस बजे हम वहां से अपने होटल के लिए चल पडे।

कैप्टन कुक क्रूज पर भ्रमण

ऑस्ट्रेलिया के पर्यटन विभाग की ओर से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अगले दिन सुबह के नाश्ते के बाद हमें सर्कुलर क्वे के लिए निकलना था। सवा 11 बजे हम कैप्टन कुक क्रूज पर पहुंचे और उसी से सिडनी शहर के पर्यटन स्थलों के भ्रमण पर निकल पडे। सबसे पहले हम फोर्ट डेनीसन गए। अब एक ऐतिहासिक किले जैसे दिखने वाले इस द्वीप को रॉक आइलैंड भी कहा जाता है। किसी जमाने में यह भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप की सेल्यूलर जेल जैसा काम देता था। यहां कैदियों को रखा जाता था और बाद में इसने एक सुरक्षा अड्डे का काम भी दिया। हालांकि अब म्यूजियम बन चुका है और पर्यटकों के लिए ऑस्ट्रेलिया के इतिहास को समझने का एक खास केंद्र बन गया है।

क्रूज यात्रा पर हमारा अगला पडाव था टोरोंगा जू। तमाम लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए बनाया गया यह प्राणी उद्यान दुनिया भर के जीव-जंतु प्रेमियों में खास लोकप्रिय है। यहां लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के अलावा कुछ जानवरों के करतब भी दिखाए जाते हैं और ये शो आम लोगों के लिए आकर्षण की बडी वजह हैं। इस जू में तमाम प्राणियों को देखते-देखते दो घंटे कब बीत गए, पता ही नहीं चला। इसके बाद हमें टी गार्डेन्स कैफे जाना था। यह यहां की एक ऐसी जगह है जहां हर उम्र के लोगों के लिए खाने-पीने और मनोरंजन का इंतजाम है। इसके बाद हमें एक मोटरबाइक राइड पर निकलना था। समुद्रतट पर हम बाइक से थोडी देर घूमे। वहां के सौंदर्य और मौसम को महसूस किया। लौटकर सिडनी एक्वेरियम जाना था। यह एक मजेदार और दिलचस्प अनुभव था। समुद्री जीवों के इस अजायबघर में करीब 11 हजार प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इसकी गिनती दुनिया के सबसे बडे एक्वेरियम्स में की जाती है। बाद में हम हार्बरसाइड शॉपिंग सेंटर भी गए। काफी कुछ देखते-सुनते रात में हम जाफरान इंडियन रेस्तरां पहुंचे। यहां के रेस्तराओं में यह सबसे बडा है। यह भारतीय पर्यटकों का बेहद पसंदीदा भी है। डिनर हमने यहीं लिया और रात में करीब 10 बजे वापस अपने होटल के लिए लौट चले।

खानपान

सिडनी में रेस्तरां बहुतायत में हैं और ज्यादातर अच्छे रेस्तरां मल्टीक्विजीन हैं, जहां सभी तरह के डिशेज आसानी से मिलते हैं। आप चाहे यूरोपियन, चाइनीज या भारतीय किसी भी तरह के खाने के शौकीन हों, यहां कोई दिक्कत आपको महसूस नहीं होने पाएगी। बीयर और वाइन यहां सामान्य चीजों की तरह मानी जाती है। इन्हें आप कहीं भी पा सकते हैं। दुनिया की सभी प्रमुख ब्रांड के अलावा कुछ जगहों पर इनका स्थानीय उत्पादन भी होता है।

एक द्वीप पेंग्विन और सील का

मेलबॉर्न के निकट एक द्वीप है, जिसे फिलिप आइलैंड कहते हैं। इसे दुनिया के सबसे अनूठे नेचर पा‌र्क्स में गिना जाता है। करीब दस हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल वाला यह द्वीप पेंग्विन परेड के लिए जाना जाता है। शाम के वक्त यहां लाखों पेंग्विन का झुंड इस तरह एक साथ आकर उपस्थित हो जाता है, जैसे उनकी परेड हो रही हो। इसे ही पेंग्विन परेड कहा जाता है। यह एक दुर्लभ दृश्य है, जो दुनिया में शायद और कहीं नही देखा जा सकता। लगभग यही स्थिति यहां मौजूद सील रॉक की भी है।

महज कायदों का देश  

सिडनी में ही मुलाकात हुई सुधीर वारियर से। यह सिडनी शोबोट्स एंड मैजिस्टिक क्रूज के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं। भारतीय मूल के सुधीर वस्तुत: गोवा से गए हैं। वह बताते हैं कि वह वहां गए तो थे इंजीनियरिंग की पढाई करने। पढाई पूरी भी की और इसके बाद उन्हें वहीं नौकरी मिल गई। नौकरी भी सुधीर को एक क्रूज में ही मिली, जहां काम करते हुए उन्होंने क्रूज के व्यवसाय का पूरा तौर-तरीका जान लिया। फिर धीरे-धीरे धन जुटा कर पहले उन्होंने एक क्रूज खरीदा और फिर थोडे दिनों बाद दूसरा। अब उनके पास दो क्रूज हैं, जिनसे उन्हें करीब 60 हजार डॉलर की आय प्रतिदिन होती है।

यह पूछने पर कि क्या आपका कभी भारत लौटने का मन नहीं करता, सुधीर कहते हैं, करता तो है, पर वहां हम व्यवसाय नहीं कर पाएंगे। मैं सालों से यहां रह रहा हूं और यह व्यवसाय कर रहा हूं। न तो मैं यहां के किसी नेता को जानता हूं और न ही किसी नौकरशाह को। लेकिन न तो मुझे पुलिस तंग करती है और न कोई और भय है। मैं केवल यहां के सरकारी नियम-कानून का पालन करता हूं और निश्चिंत रहता हूं। यहां की सरकार अपने देश के व्यापारियों से सिर्फ इतना ही चाहती भी है। जबकि भारत में मेरे लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा।

भारतीय मूल के ही विक्रांत कपूर जाफरान रेस्तरां के शेफ-पार्टनर हैं। विक्रांत करीब 10 साल पहले भारत से वहां गए। विक्रांत भी यहां पढाई के लिए ही आए थे। उन्होंने यहां होटल मैनेजमेंट की पढाई की और जब देखा कि यहां व्यवसाय करने में कोई दिक्कत नहीं है तो फिर उन्होंने यहीं अपने व्यवसाय का मन बना लिया। इसी बीच उनकी मुलाकात भारतीय मूल के ही रश डोसा से हुई। रश भी व्यवसाय करना चाहते थे। लिहाजा दोनों ने मिलकर यह रेस्तरां शुरू कर दिया। आज यह सिडनी का गौरवशाली रेस्तरां है और सिडनी आने वाला हर शख्स कम से कम एक बार जाफरान का स्वाद जरूर लेना चाहता है।

विक्रांत बताते हैं कि वह तरह-तरह के क्विजीन के माहिर हैं। वह अपने रेस्तरां का किचन संभालते हैं, जबकि रश काउंटर और अन्य कार्य देखते हैं।


 

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