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भारत एक रंग-बिरंगा देश है. यहां की भौगोलिक स्थिति जितनी रंगारंग है उतनी ही विविधता इसके त्योहारों में भी है. भारत के कोने-कोने में मनाएं जाने वाले सांस्कृतिक त्योहारों की रंगीन तस्वीर देखते ही बनती है.
इसी क्रम में केरल का ओणम त्योहार भी शामिल है. इस त्योहार की सबसे बडी विशेषता यह है कि इस दिन लोग मंदिरों आदि में पूजा-अर्चना नहीं करते, अपितु घर में ही पूजा की जाती है. इस पर्व के संदर्भ में कहा जाता है कि महाबली नाम से एक असुर राजा था केरल में और इसी के आदर में लोग ओणम मनाते हैं. लोग इसे फसल और उपज के लिए भी मनाते हैं. ओणम दस दिन के लिए मनाया जाता है. इस दौरान सर्पनौका दौड़ के साथ कथकली नाच और गाना भी होता है.
श्रावण मास की शुक्ल त्रयोदशी को मनाए जाने वाले इस त्यौहार को तिरू-ओणम भी कहा जाता है. श्रावण के महीने में ऐसे तो भारत के हर भाग में हरियाली चारों ओर दिखाई पड़ती है किन्तु केरल में इस महीने में मौसम बहुत ही सुहावना हो जाता है. फसल पकने की खुशी में लोगों के मन में एक नई उमंग, नई आशा और नया विश्वास जागृत होता है. इसी प्रसन्नता में श्रावण देवता और फूलों की देवी का पूजन हर घर में होता है.
ओणम के त्योहार से दस दिन पूर्व इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं. हर घर में एक फूल-गृह बनाया जाता है और कमरे को साफ करके इसमें गोलाकार रुप में फूल सजाए जाते हैं. इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट का कार्यक्रम चलता है. नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है. उनकी पूजा की जाती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं. इस नृत्य को थप्पतिकलि कहते हैं. रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है और सायं को पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है.
ओणम को लोग विशेषकर इसकी नौका रेस के लिए जानते हैं. यह इसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है. नौका दौड़ को वल्लमुकलि कहते हैं. इस दौड़ में बड़ी-बड़ी लम्बी नौकाएं होती हैं और इन्हें चलाने वाले भी 20 से 40 तक व्यक्ति होते हैं.
इस पर्व का एक खास व्यंजन भी होता है जिसे वल्लसन कहते हैं और यह हर घर में पकाया जाता है. इस दिन प्रातः भाप से पके हुए केले के पकवान खाए जाते हैं. इस नाश्ते को नेमद्रम कहते हैं. यह एक विशेष प्रकार का केला होता है, जो केवल केरल में ही पैदा होता है. अन्य त्योहारों का भांति इस त्योहार में भी बढ़िया-बढ़िया पकवान बनते हैं.
इस पर्व को केरल सरकार एक पर्यटक त्योहार के रुप में मनाती है. इस दौरान केरल की सांस्कृतिक धरोहर देखते ही बनती है. ओणम के अवसर पर समूचा केरल नावस्पर्धा, नृत्य, संगीत, महाभोज आदि कार्यक्रमों से जीवंत हो उठता है. यह त्योहार केरलवासियों के जीवन के सौंन्दर्य को सहर्ष अंगीकार करने का प्रतीक है. यह त्योहार भारत के सबसे रंगा-रंग त्योहारों में से एक है.
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